-पूरे समय हीटर या ब्लोअर चलने से हवा में मौजूद नमी को करता कम
-अस्थमा के रोगियों के लिए हीटर नुकसानदायक
-बच्चे की त्वचा और नाक को पहुंचा सकता नुकसान 

दरभंगा,1 फरवरी। सर्दियों में खुद को गर्म रखने के लिए लोग रूम हीटर का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। सर्द हवाओं के असर को कम करने के लिए ज्यादातर घरों में रूम हीटर लगे होते हैं। खासतौर से बुजुर्ग और बच्चों को ठंड से बचाने के लिए रूम हीटर लगा देते हैं, जिससे सर्दी का असर कम हो सके। डीएमसीएच के पूर्व वरीय चिकित्सक डॉ के के सिंह  ने बताया कि ज्यादातर हीटर में लाल-गर्म धातु की रॉड या सिरेमिक कोर होती है जो गर्म होकर गर्म हवा फेंकती है। लेकिन हीटर से निकलने वाली गर्म हवा त्वचा को रूखा और लाल कर सकती है। दरअसल गर्म हवा कमरे में मौजूद नमी को सोख लेती है। जिससे त्वचा और सांस संबंधी परेशानियां बढ़ जाती हैं। इससे घर में ऑक्सीजन की मात्रा भी कम होने लगती है, जो कई बार जानलेवा भी हो सकती है। ऐसे में अगर हीटर का इस्तेमाल करते हैं तो इन बातों का ध्यान रखें।

नमी कम करता है हीटर-

डॉ सिंह के अनुसार अगर घर में पूरे समय हीटर या ब्लोअर चलता है तो ये हवा में मौजूद नमी को कम कर देता है। जिस कमरे में हीटर चलता है, वह वहां मौजूद प्राकृतिक नमी को सोख लेता है। इससे आपको त्वचा से जुड़ी परेशानी हो सकती है। आपकी त्वचा सूखी, खुरदरी या लाल हो सकती है। आपको त्वचा पर खुजली की समस्या भी हो सकती है। अगर बच्चे के कमरे में हीटर चलता है तो इससे बच्चे की त्वचा और नाक को नुकसान हो सकता है। इससे शिशुओं की त्वचा पर चकत्ते भी पड़ सकते हैं।
जहरीली गैस बढ़ा सकता है हीटर-
डॉ सिंह ने कहा ज्यादातर हीटर कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषकों को छोड़ते हैं। इससे बच्चे के दिमाग और दूसरे अंगों को नुकसान हो सकता है। कमरे में ज्यादा देर तक हीटर लगाकर रखने से बड़े लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। अस्थमा के रोगियों के लिए हीटर खतरनाक हो सकता है। उन्हें सांस लेने में तकलीफ या उससे जुड़ी अन्य परेशानी हो सकती हैं। 

आकस्मिक दुर्घटना भी हो सकती है-
डॉ के के सिंह ने बताया बंद कमरे में रातभर हीटर चलाने से ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है। जिससे सांस लेने में तकलीफ या मौत भी हो सकती है। अगर आप लोहे का हीटर इस्तेमाल करते हैं तो ये काफी गर्म हो जाता है। ऐसे में जलने का खतरा रहता है। जो लोग कॉन्टेक्ट लेंस पहनते हैं या चश्मा लगाते हैं उन्हें हीटर से दूर रहना चाहिए। इससे आपकी आंखों को नुकसान होने का खतरा रहता है।

हीटर से स्वास्थ्य समस्याएं-
हीटर के लगातार इस्तेमाल से आक्सीजन लेवल कम हो जाता है। ऐसे में सुस्ती, जी मिचलाना और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
हीटर से सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल बढ़ने से घुटन महसूस हो सकती है।
ज्यादा देर तक हीटर का इस्तेमाल करने से सांस के रोगियों के फेफड़ों में बलगम जमने लगता है। जिससे खांसी और छींक आने लगती है।
लगातार हीटर चलाने से त्वचा संबंधी परेशानी जैसे खुजली, जलन या लाल निशान हो सकते हैं।
बंद कमरे में रातभर हीटर चलाने से ऑक्सीजन कम होने लगता है जिससे दम घुटने का खतरा रहता है।

हीटर का उपयोग बरते ये सावधानी-
जब भी हीटर का इस्तेमाल करें, कमरे में किसी बर्तन में पानी भरकर रख दें। इससे वाष्पीकरण होता रहेगा और नमी का स्तर बरकरार रहेगा। 
हीटर को एक सही तापमान पर सेट कर दें, जिससे रूम ज्यादा गर्म न हो। 
हीटर का इस्तेमाल करने से पहले उसकी सर्विस जरूर करवा लें। इससे हीटर की ट्यूब, कॉइल और बैंड के बारे में पता चल जाएगा।
जब हीटर चलाएं तो कमरे का दरवाजा या खिड़की खोलकर रखें। इससे कमरे में साफ हवा और ऑक्सीजन का लेवल ठीक रहेगा।
रात भर हीटर चलाकर कभी न रखें.म। सोते वक्त 1-2 घंटे के लिए हीटर चलाएं, फिर हीटर को स्विच से बंद करके ही सोएं।
बच्चों और बुजुर्गों के कमरे में रूम हीटर का इस्तेमाल कम करें।