पटना: चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव 2022 की तारीखों का ऐलान कर दिया है. 18 जुलाई को भारत के 16वें राष्ट्रपति का चुनाव होगा. 15 जून को अधिसूचना जारी होगा, वहीं 29 जून को नामांकन होगा. 21 जुलाई को 16वें राष्ट्रपति के नाम का एलान होगा. मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है. 24 जुलाई से पहले निर्वाचन प्रक्रिया पूरी की जानी है.

अगले महीने यानी 25 जुलाई को देश के 16वें राष्ट्रपति शपथ लेंगे. नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. तब से ही हर साल 25 जुलाई को ही राष्ट्रपति शपथ लेते आ रहे हैं. पिछले बार राष्ट्रपति चुनाव-2017 में मतदान 17 जुलाई को हुआ था और मतगणना 20 जुलाई को हुई थी.
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राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. राष्ट्रपति का चुनाव बड़ा खास होता है. इस चुनाव में जनता भाग नहीं लेती है. राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम के जरिए होता है. जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य, राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के चुने गए सदस्य शामिल होते हैं.
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हालांकि मनोनीत सांसद और विधायक चुनाव में हिस्सा नहीं लेते हैं. भारत का कोई भी नागरिक कितनी भी बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकता है. हालांकि अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रपति का चुनाव लड़ना चाहता है तो यह जरूरी है कि उसे इस चुनाव में शामिल होने वाले कम से कम 100 विधायक जानते हों.

राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 35 साल की उम्र होना जरूरी है. इसके साथ ही लोकसभा सदस्य होने की पात्रता और किसी भी लाभ के पद पर न होना जरुरी है. साथ ही उम्मीदवार के पास कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 समर्थक विधायक होने चाहिए. चुनाव आयोग ने कहा कि वोट देने के लिए विशेष इंक वाला पेन मुहैया कराया जाएगा. वोटरों को एक, दो, तीन लिखकर पसंद बतानी होगी. पहली पसंद नहीं बताने पर वोट रद्द हो जाएगा.

बता दें कि 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में अभी 230 सांसद हैं. वहीं 543 सदस्यों वाली लोकसभा में अभी 540 सांसद हैं. इस मतदान प्रक्रिया में 776 सांसद और 4033 विधायक शामिल होंगे. राष्ट्रपति चुनाव में 4 हजार 809 वोटर होंगे. राष्ट्रपति चुनाव में ऐसा नहीं है कि एक व्यक्ति का वोट एक ही गिना जाएगा. बल्कि उसके क्षेत्र की जनसंख्या के आधार पर इसके वोट का मूल्य गिना जाता है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा की सभी खाली सीटों पर उपचुनाव हो जाएंगे. ऐसे में चुने गए सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालेंगे.

राष्ट्रपति चुनाव में एकल हस्तांतरणीय मत यानी सिंगल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली के जरिए मतदान होता है. जिसका मतलब यह हुआ कि राज्यसभा, लोकसभा और विधानसभा का एक सदस्य एक ही वोट कर सकता है. राष्ट्रपति चुनाव में ईवीएम का नहीं बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता है. आम चुनावों की तरह यह चुनाव भी गोपनीय तरीके से होता है. गोपनीय मतदान का मतलब हुआ कि निर्वाचक अपना वोट किसी को दिखा नहीं सकते. अगर वह ऐसा करते हैं तो उनका वोट रद्द माना जाएगा. राष्ट्रपति पद का चुनाव किसी भी स्थिति में नहीं रुकेगा. अगर किसी राज्य में विधानसभा ही भंग हो गई हो या कई राज्यों में विधानसभा सीटें रिक्त हैं तो भी चुनाव तय समय से ही होंगे.