बिहार में श्रम, बुद्धि और पैसे का है पलायन, यहां आजादी से पहले वाली व्यवस्था आज भी कायम, हम लोगों का पैसा, पढ़े-लिखे लोग जा रहे दूसरे राज्य, वहां पर तैयार सामान आ रहा बिहार: प्रशांत किशोर
अंग्रेज यहां से कपास ले जाकर इंग्लैंड में बनाते थे कपड़े और तैयार सामान लाकर यहीं बेचते थे, आज भी वही हाल बिहार का है: प्रशांत किशोर।
बिहार के गांव-गांव में बच्चों में वह समझ और ताकत है कि वह अपने लिए रोजगार का अवसर पैदा कर सकते हैं: प्रशांत किशोर
#MNN@24X7 दरभंगा, जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर बिहार में शिक्षा में सुधार कर दिया जाए और पूंजी की उपलब्धता करा दी जाए, तो यहां के लोगों में वो ताकत है कि वे अपने लिए रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं। जबतक वो नहीं होगा तबतक बिहार में गरीबी-बेरोजगारी खत्म होने वाली नहीं है। बिहार में सिर्फ श्रम का पलायन नहीं है, यहां श्रम के साथ बुद्धि और पैसों का भी पलायन है। ये तीनों चीजे बिहार से दूसरे राज्यों में जा रही है। महाराष्ट्र में अगर मोटरसाइकिल की कोई फैक्ट्री लगी है, तो उस फैक्ट्री को जो लोन मिला है उसमें भी बिहार का पैसा लगा है। उस फैक्ट्री में जो मजदूर और इंजीनियर काम कर रहे हैं वो भी बिहार के हैं। वही, जब मोटरसाइकिल बन जाती है तो उसे भी बिहार में लाकर बेचा जाता है।
बिहारी आजादी के पहले उगाते थे कपास, अब दूसरे राज्यों में तैयार कर रहे सामान, वही बिहार लाकर बेचा जा रहा: प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने कहा कि आजादी से पहले क्या होता था, आप यहां कपास की खेती करते थे, अंग्रेज कपास को इंग्लैंड में ले जाते थे वहां पर कपड़ा बनाकर यहां लाकर बेचते थे। वही हाल बिहार का है। हम लोगों का पैसा भी जा रहा है, पढ़े-लिखे लोग भी जा रहे हैं और जब दूसरे राज्यों में सामान बन गया जैसे सीमेंट, मोटरसाइकिल आदि तो उसे बिहार में बेचा भी जा रहा है। उससे बिहारियों का लाभ तो होगा नहीं।