राजकीय महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान ,दरभंगा में बिहार दिवस के अवसर पर दो दिवसीय 22 एवं 23 मार्च को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने बिहार दिवस के मौके पर बिहार के स्वर्णिम इतिहास के बारे में बताते हुए यह कहा कि गौरवशाली बिहार का इतिहास हजारों साल पुराना है।
बिहार का ज्ञान -वैभव, संस्कृति ,सभ्यता एवं प्राकृतिक सौंदर्य इतनी उच्च कोटि की थी की बाहर से लोग यहां पर भ्रमण करने के लिए आते थे । इसी कारण इस प्रदेश का नाम बिहार पड़ा । बिहार अर्थार्त दर्शन योग्य, घूमने योग्य ,पवित्र आध्यात्मिक भूमि। विश्व की प्रथम लोकतंत्र की बुनियादी नीव बिहार में पहली बार पड़ी । यह धरती तत्त्वदर्शन , आध्यात्मिकता, परिवर्तन , प्रथम आंदोलन , स्वतंत्रता सेनानियों एवं विद्वानों की रही है । जैन और बौद्ध दर्शन इसी धरती पर पल्लवित एवं पुष्पित हुआ है। गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली भी बिहार है । आर्यभट्ट जिन्होंने दुनिया को गणित का ज्ञान दिया था उनका भी जन्म इसी बिहार की धरती पर हुआ है। बिहार अशोक और चाणक्य की कर्मभूमि है। सम्राट अशोक ने अखंड भारत की कल्पना की थी और उनके शासनकाल में भारत देश के साम्राज्य का सर्वाधिक विकास हुआ था। भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को अपनी दर्शन के माध्यम से दूर-दूर देशों तक पहुंचाने वाले भगवान बुद्ध ने अपनी तपोस्थली बिहार की धरती बौद्ध गया को ही चुना था। भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति इसी बिहार की धरती पर हुई थी। मानव जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। इन चारों में मोक्ष को परम पुरुषार्थ माना गया है। अपने पितरों की मोक्ष की कामना हेतु देश ही नहीं विदेशों से भी लोग पिंडदान करने हेतु विश्व प्रसिद्ध जगह गया में आते हैं । ऐसा माना जाता है भगवान राम ने भी अपने पिता दशरथ के लिए पिंड का दान बिहार की धरती गया क्षेत्र में किया था । प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के विकास में बिहार की अहम भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बिहार की धरती अनेक आयुर्वेदिक मनीषियों की जन्म एवं उनका कर्म क्षेत्र रही है। महर्षि विश्वामित्र के पुत्र महर्षि सुश्रुत जो कि सुश्रुत संहिता के रचयिता हैं उनका जन्म स्थान बिहार का बक्सर जिला है। पुराणों में वर्णित समुद्र मंथन जिसमें भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए वह बिहार का बांका क्षेत्र है। माधव निदान के रचयिता माधव मिश्र का जन्म स्थान बिहार है। इस प्रकार आचार्य भाव मिश्र, आचार्य शांर्गधर की जन्मस्थली बिहार है।पटना के कुम्हार क्षेत्र में खुदाई से ” आरोग्य विहार ” नामक एक आयुर्वेदिक चिकित्सालय के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है, जो गौरवशाली बिहार के अतीत के साथ-साथ स्वर्णमिआयुर्वेद काल का घोतक है । आरोग्य विहार में विश्व कि प्रथम अंतरंग विभाग हॉस्पिटल की कल्पना की गई थी। इसमें रोगी को भर्ती कर ईलाज किया जाता था।
राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित विद्वानों में आचार्य राम रक्षक पाठक, आचार्य प्रियव्रत शर्मा ,वैद्य शिव कुमार मिश्रा, डॉ बी. एन सिन्हा, वैद्य पक्षधर क्षा आदि का जन्म स्थली बिहार है। इन सभी ने आयुर्वेद के विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया है।
कार्यक्रम के आयोजक डॉ दिनेश कुमार ने बताया कि भारत देश में बिहार राज्य को अधिक महत्व दिया गया क्योंकि देश के कई महत्वपूर्ण जैसे – सम्राट अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य, राजा विक्रमादित्य, आर्यभट्ट आदि का जन्म बिहार की धरती पर हुआ है । प्राचीन काल में विश्व का प्रथम अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय होने का गौरव बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय को प्राप्त है ।यहां पर देश ही नहीं विदेशों से भी विदेशी छात्र नाना प्रकार के ज्ञान अर्जन हेतु आते थे। प्राचीन काल में नालंदा विश्वविद्यालय के साथ-साथ बिहार की धरती पर विक्रमशिला विश्वविद्यालय का भी अस्तित्व था । जहां पर वेद ,पुराणों ,दर्शनों एवं व्याकरण शास्त्र आदि की शिक्षा दी जाती थी। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय मे आयुर्वेद के क्षेत्र में रस शास्त्र में काफी अनुसंधान पूर्वक कार्य किया गया । इसके कुलपति आचार्य नागार्जुन एक कुशल रस शास्त्री थे । ये सोना बनाने की विधा में निपुण थे।
डॉ मुकेश कुमार ने बताया कि शालाक्य विज्ञान के आचार्य महर्षि निमि की जन्मस्थली बिहार है। डॉ अमोद कुमार ने बताया कि बिहार में कई दर्शनीय स्थल है जो पर्यटकों को ध्यान आकर्षित करते हैं। भागलपुर का सिल्क , मधुबनी का पेंटिंग, मनेर का लडडू , मुजफ्फरपुर की लीची, हाजीपुर का केला, गया का तिलकुट बहुत ही प्रसिद्ध है। बिहार का महान पर्व छठ पूजा अब पूरे देश में लोकप्रिय हो रहा है। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर एवं फणीश्वर नाथ रेणु की धरती बिहार है । वीर कुंवर सिंह के चटानी बहादुरी, क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त का साहस, अमर शहीद खुदीराम बोस की शहादत की धरती बिहार है। प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि वर्तमान समय में सरकार के अथक प्रयास से आयुर्वेद शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने हेतु राजकीय महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान , दरभंगा एवं राजकीय अयोध्या शिवकुमारी आयुर्वेद महाविद्यालय सह चिकित्सालय बेगूसराय में नए आधुनिकतम शैक्षणिक भवनों का निर्माण शुरू होने जा रहा है । इस अवसर पर बिरजू कुमार ,अजीत कुमार, अर्चना कुमारी, जितेंद्र कुमार आदि मौजूद रहे ।