भागलपुर केंद्र के निदेशक प्रो0 संजय झा ने की पहल
कहा- वेद व शास्त्रों से ली जाएगी मदद
जैविक खेती को मिलेगा नया साधन
#MNN@24X7 दरभंगा, प्राच्य विषयों में व्याप्त शास्त्रीय ज्ञान व वैदिक व्यवस्था का लाभ कृषि व आर्थिक उन्नति के लिए लिया जाएगा। इसके लिए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर (एईआरसी ), भागलपुर से जोड़कर शोध को नया आयाम दिया जाएगा। इससे न सिर्फ संस्कृत का दायरा बढ़ेगा बल्कि इसके विद्वानों को भी राष्ट्रीय पहचान मिलेगी। उक्त बातें सेंटर के निदेशक सह टीएनबी कालेज , टीएम विश्वविद्यालय, भागलपुर के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो0 संजय झा ने कही। वे कुलपति प्रो0 लक्ष्मी निवास पांडेय व प्रतिकुलपति प्रो0 सिद्धार्थ शंकर सिंह से अनौपचारिक मुलाकात करने आये थे। बता दें कि भारत सरकार के कृषि मंत्रालय व किसान कल्याण विभाग के अधीन संचालित भागलपुर के इस शोध केंद्र के अधीन बिहार व झारखण्ड के 62 जिले आते हैं और दोनों प्रदेशों में यह केंद्र इकलौता है।
उक्त जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के पीआरओ निशिकांत ने बताया कि निदेशक प्रो0 झा ने संस्कृत साहित्य व वेदों में वर्णित खासकर कृषि सम्बन्धी व्यवस्था को शोध का विषय बनाने की वकालत की। साथ ही जैविक खेती में पौराणिक शास्त्रीय व्यवस्था से हमसभी कहाँ तक लाभान्वित हो पाएंगे और उससे किस प्रकार आर्थिक फलक को विस्तारित किया जा सकता है, इसे शोध का नया विषय बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि निकट भविष्य में पूरे देश मे संचालित ऐसे शोध केंद्रों की परामर्शदातृ समिति की दिल्ली में बैठक होने वाली है। इसमें संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्वानों से कृषि व आर्थिक क्षेत्र मै वैदिक व शास्त्रीय फीड बैक लेकर रखा जाएगा। इस कार्य के लिए उन्होंने प्रतिकुलपति प्रो0 सिंह को जिम्मेदारी सौंपी है। निदेशक प्रो0 झा ने यह भी कहा कि हाल ही में मखाना जुड़े कई शोध कार्यों से किसानों को लाभ मिल चुका है।
इसी क्रम में उन्होंने बताया कि शोध केंद्र से जुड़ने से संस्कृत विश्वविद्यालय को बगल के कृषि विश्वविद्यालय, सबौर और पूसा से भी शैक्षणिक लाभ मिल जाएगा।
वहीं, भेंट के क्रम में प्रतिकुलपति प्रो0 सिंह ने निदेशक प्रो0 झा को पाग व चादर देकर सम्मानित किया। मौके पर डॉ सत्यवान कुमार, प्रो0 दिलीप कुमार झा, डॉ सुधीर कुमार झा व सीनेटर अंजीत चौधरी, डॉ रीतेश कुमार चतुर्वेदी मौजूद थे।