पानी पिलाना सबसे बड़ा पुण्य का काम है वो भी इस भीषण गर्मी में। दरभंगा के खान चौक पर इन दिनों इस भीषण गर्मी और जल संकट के बीच कुछ लोगों ने अपनी तरफ से पहल की है। इस गर्मी में पीने के पानी के लिए जरुरतमंद आने जाने वाले राहगीरों को पीने के लिए पानी उपलब्ध करा रहे हैं।

हम सभी जानते हैं कि अच्छी सोच अच्छी पहल के द्वारा युवाओं में सामाजिक प्रेम, मानवता और इंसानियत के भाव को जगाया जा सकता है। इस तरह से कार्य करके बहुत से लोगों को आत्मसंतुष्टि मिलती है। हमें भी अपने घर या प्रतिष्ठान के बाहर पानी के मटके या इस तरह के पानी के डब्बे गिलास के साथ जरूर रखनी चाहिए।

साथ ही पशु पक्षी के लिए भी छोटे-छोटे बर्तनों में छतों पर या घर के आंगन में जरूर पानी रखनी चाहिए। इस तरह की नि:शुल्क जल सेवा उपलब्ध कराने वाले खान चौक निवासी, खुशहाल खान ने बताया हमारे मन में मानवता को लेकर प्यास बुझाने के लिए इस तरह से पानी की व्यवस्था की शुरुआत करने का ख्याल आया और जिसकी शुरुआत मैंने अपने अस्तर से की है। उन्होंने कहा कि मैं लोगों से आग्रह करता हूं कि जिसे भी ऐसी मदद करने की भावना हो आवश्यकता एवं सुविधा अनुसार पीने के पानी जरूर उपलब्ध कराने का प्रयास करें। इससे बड़ी पूण्य की बात कोई और हो ही नहीं सकती हैं।

वहीं पानी पीने वाले में मो आरजू ने कहा कि ऐसी पहल की सराहना की जानी चाहिए साथ ही उन्होंने इस प्रयास को बहुत बेहतर बताया। उन्होंने कहा कि अगर हम एक दो डिब्बा पानी प्रतिदिन अपने घर के पास रखते हैं तो ऐसे में बहुत सारे लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है। अभी जिस तरह की गर्मी पड़ रही है सारे चापाकल सूख रहे हैं और अधिकांश सूख चुके हैं तो वहीं दूसरी ओर पीएचईडी विभाग के खान चौक स्थित पानी टंकी से पिछले 4 दिनों से पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बंद है। जिसका असर सबसे ज्यादा स्थानीय लोगों पर पड़ रहा है। यहां हजारों ऐसे परिवार हैं जिन्हें ना तो कोई समरसेबल है और ना ही चापाकल ही काम कर रहा है। अब उनका एकमात्र सहारा जिस पर सभी लोग निर्भर हो चुके हैं वह है पीएचइडी का जलापूर्ति सेवा।

जबकि शहर में ऐसे कई पानी की टंकी है जो अगर खराब हो जाए तो कई की दिनों तक पानी की सेवा बहाल नहीं कर पाता है। कुछ में 15 दिन से अधिक भी समय लग जाते हैं और जलापूर्ति सेवा प्रभावित होती रहती है। लोगों को पानी के लिए जगह जगह भटकना पड़ता है। अस्ल में यह जिनकी जिम्मेदारी होती है वह अपनी जिम्मेदारी समय पर पूरा नहीं कर पा रहे हैं और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था ही की जाती है। ऐसे में लोग पानी के लिए बेहाल हो रहे हैं।मगर कोई देखने वाला नहीं है।