-बालिका के जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार चला रही कन्या उत्थान योजना।

•योजना से बाल विवाह पर लगेगा अंकुश।
•योजना के तहत कन्या शिशु के जन्म से लेकर स्नातक तक मिल रही आर्थिक मदद।

#MNN@24X7 मधुबनी,3 नवंबर। राज्य सरकार कन्या शिशु मृत्यु दर कम करने को लेकर विभिन्न योजनाओं का संचालन कर रही है। वहीं, अभिभावकों को कन्याओं के स्वास्थ्य व भविष्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। समाज कल्याण विभाग के द्वारा कन्या उत्थान योजना के तहत जन्म से लेकर स्नातक तक शिक्षा ग्रहण करने तक प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

योजना का उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या को रोकना तथा जन्म निबंधन एवं कन्या जन्म को प्रोत्साहित करना है। साथ ही बालिका शिशु मृत्यु दर को कम करना तथा बाल विवाह पर अंकुश लगाना है।

कन्या उत्थान योजना के तहत दिए जाने वाले आर्थिक लाभ:

कन्या उत्थान योजना के तहत कन्या के जन्म पर 2000 रुपये, कन्या शिशु के 1 वर्ष पूरा होने पर 1000 रुपए, कन्या के 2 वर्ष होने पर (टीकाकरण उपरांत) 2000 रुपये, वर्ग 1-2 प्रतिवर्ष (पोशाक) के लिए 600 रु., वर्ग 3- 5 प्रतिवर्ष (पोशाक)700 रु., वर्ग 6 से 8 प्रतिवर्ष (पोशाक) 1000 रुपये, वर्ग 9- 12 प्रतिवर्ष (पोशाक) 1500 रुपये , इंटरमीडिएट उत्तीर्ण करने पर (अविवाहित) 25000 रु., स्नातक उत्तीर्ण करने पर 50,000 रु., वर्ग 7 से 12 (प्रति वर्ष किशोरी स्वास्थ्य योजना अंतर्गत सेनेटरी नैपकिन के लिए) 300 रु. आर्थिक लाभ देने का प्रावधान है। .

संपूर्ण टीकाकरण कराने पर मिलती है 2000 रु की राशि :

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत बेटियों के संपूर्ण टीकाकरण कराने वालों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसके लिए अभिभावकों को दो वर्ष तक की आयु की कन्या शिशु का टीकाकरण कराना होता है। योजना का मुख्य उद्देश्य नियमित प्रतिरक्षण कार्यक्रम को सुदृढ़ करने तथा जानलेवा बीमारियों से कन्या शिशुओं के बहुमूल्य जीवन को सुरक्षा प्रदान करना है। बीते वर्ष में कोरोना संक्रमण के कारण भले ही योजनाओं और सेवाओं की गति धीमी हो गई थी, लेकिन सरकार सभी योजनाओं की गति बढ़ाने के लिए तत्पर है। जिसको लेकर जिला स्वास्थ्य समिति को सभी योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर बल देने का निर्देश दिया जा रहा है। ताकि, अधिक से अधिक लोग योजनाओं और सेवाओं का लाभ उठा सकें।

जानलेवा बीमारियों से सुरक्षा देता है सम्पूर्ण टीकाकरण :

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ.एस के विश्वकर्मा ने बताया, पूर्व के दिनों में कन्या शिशु की मृत्यु दर बालक शिशु की अपेक्षा काफी अधिक रहती थी। जिसका मुख्य कारण यह था कि दो वर्ष की आयु तक की कई कन्या शिशुओं का संपूर्ण टीकाकरण नहीं कराया जाता था। 24 माह के अंदर के सभी बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण नहीं कराने से कई बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है। इसलिए दो साल तक संपूर्ण टीकाकरण आवश्यक है।

उन्होंने बताया, सम्पूर्ण टीकाकरण बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। टीकाकरण एक प्रकिया है, जिसमें टीका के जरिए बच्चों को संक्रामक रोगों के विरुद्ध सुरक्षित किया जाता। इससे बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना का लाभ संस्थागत प्रसव की स्थिति में सरकारी अस्पताल में जननी सुरक्षा योजना के साथ-साथ आवेदन कर प्राप्त किया जा सकता है।