#MNN@24X7 मधुबनी, जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने शनिवार को जिले के रहिका प्रखंड, जितवारपुर गांव के महारानीगाछी में प्रेस वार्ता की। इस दौरान जिले की मूलभूत समस्याओं को गिनाया। प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं अबतक चार हजार गांवों में पैदल चलकर गया हूं। मधुबनी बिहार का सातवां सबसे गरीब जिला है। देश में प्रति व्यक्ति आय है एक लाख 35 हजार रुपए, बिहार में प्रति व्यक्ति आय है 34 हजार रुपए और मधुबनी में प्रति व्यक्ति आय है 22 हजार रुपए। मधुबनी में कई लोग बताते हैं कि ये विद्वानों की जमीन है, लेकिन मैं गांव-गांव घूम-घूमकर बता रहा हूं कि ये विद्वानों की जमीन कभी थी। लेकिन, आज ये मजदूरों और गरीबों की जमीन है। यहां पलायन और कृषि की उत्पादकता बिहार में सबसे कम है। मधुबनी में गेहूं का जो उत्पादन होता है वो बिहार के अन्य जिलों के मुकाबले में यहां सबसे कम है।
31 हजार हेक्टेयर जमीन है जलकर,नहीं हो रहा व्यावसायिक उपयोग, बाढ़ और जल जमाव के कारण ज्यादा है गरीबी: प्रशांत किशोर।
खेती की समस्या पर प्रशांत किशोर ने कहा कि जिले में 31 हजार एकड़ जमीन जलकर है,ये जिले की सबसे बड़ी ताकत और कमजोरी भी है। जिले में कुल 2 लाख 23 हजार हेक्टेयर खेतीहर भूमि है, जिसमें 31 हजार हेक्टेयर जमीन जलकर है। 31 हजार हेक्टेयर जमीन में 85 फीसदी जलकर जमीन पर कोई भी काम नहीं हो सकता। उस जमीन को व्यावसायिक व आर्थिक उपयोग में नहीं लाया जा रहा है। जिले की गरीबी का एक और बड़ा कारण जलकरों का उपयोग न होना भी है। ये यहां की सबसे बड़ी ताकत है। आप लोग जो मच्छली-मखाना की बात करते हैं, ये उसी से जुड़ा हुआ है। क्योंकि यहां तालाब, पोखर बहुत हैं। बावजूद इसके ये रख रखाव के आभाव में बर्बाद हो गए हैं। 85 फीसदी जलकर जमीन को व्यावसायिक उपयोग में नहीं लाया जाता है। जिले में बाढ़ और जल जमाव के कारण भी गरीबी काफी ज्यादा है।