दिनांक 2 फरवरी 2022 महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह महाविद्यालय, दरभंगा, बुधवार। बहुमुखी प्रतिभा के धनी समाजसेवी एवं राजनेता स्वर्गीय ललित नारायण मिश्र की 100 वीं जयंती के अवसर पर महाविद्यालय सभागार में प्रधानाचार्य डॉ (प्रोफेसर) मंजू चतुर्वेदी की अध्यक्षता में एक समारोह का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में महाविद्यालय के शिक्षकों, शिक्षकेतरकर्मी, राष्ट्रीय सेवा योजना के वालंटियर और छात्र छात्राओं ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज के प्रधानाचार्य द्वारा स्वर्गीय ललित बाबू के तैल -चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुई, जो कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे, उसके बाद संगीत विभाग की डॉ. ममता रानी ठाकुर, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ अमरकांत कुमार, इतिहास विभागाध्यक्ष कैप्टन अनिल कुमार चौधरी, जूलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. ऋषिकेश कुमार, विभागाध्यक्ष संस्कृत डॉ विनय कुमार झा, प्रशाखा पदाधिकारी सामान्य श्री केवल कांत झा, एनएसएस स्वयंसेवक, छात्र इस अवसर पर उपस्थित थे।


इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए डॉ. विनय कुमार ने कहा,ललित नारायण मिश्रा एक भारतीय राजनेता थे, जिन्होंने 1973 से 1975 तक भारत सरकार में रेल मंत्री के रूप में कार्य किया। पहली, दूसरी लोकसभा और 5वीं लोकसभा के सदस्य थे। वे 1964 से 1966 और फिर 1966 से 1972 में राज्य सभा के सदस्य रहे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी और सरकार में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। इस मौके पर उपस्थित ममता रानी ठाकुर ने कहा, रेल मंत्री के रूप में मिथिलांचल के पिछड़े क्षेत्रों में झंझारपुर-लौकहा रेललाइन,भपटियाही से फारबिसगंज रेललाइन जैसी 26 रेल योजनाओं के सर्वेक्षण की स्वीकृति उनकी कार्य क्षमता, दूरदर्शिता तथा विकासशीलता के ज्वलंत उदाहरण है। स्वर्गीय मिश्र पिछड़े बिहार को राष्ट्रीय मुख्यधारा के समकक्ष लाने के लिए सदा कटिबद्ध रहे। उन्होंने अपनी कर्मभूमि मिथिलांचल की राष्ट्रीय पहचान बनाने के लिए पूरी तन्मयता से प्रयास किया।

कैप्टन अनिल ने मौके पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, विदेश व्यापार मंत्री के रूप में उन्होंने बाढ़ नियंत्रण एवं कोशी योजना में पश्चिमी नहर के निर्माण के लिए नेपाल-भारत समझौता कराया। ललित बाबू पिछड़े बिहार को राष्ट्रीय मुख्यधारा के समकक्ष लाने के लिए सदा कटिबद्ध रहे.. रेल मंत्री के रूप में मिथिलांचल के पिछड़े क्षेत्रों में उनकी कार्य क्षमता, दूरदर्शिता और विकासशीलता के ज्वलंत उदाहरण है। प्रधानाचार्य मंजू चतुर्वेदी चतुर्वेदी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा स्वर्गीय ललित नारायण मिश्र को रेल मंत्री बनाया गया था। विदेश व्यापार मंत्री के रूप में, वह भारत के भूतपूर्व प्रधान मंत्री, डॉ मनमोहन सिंह की क्षमता को पहचानने वाले पहले लोगों में से एक थे और उन्हें विदेश व्यापार मंत्रालय में अपने सलाहकार के रूप में नियुक्त किया।

कार्यक्रम पदाधिकारी सह समन्वयक डा० कालिदास झा ने अपने वक्तव्य में कहा,राष्ट्र एवं बिहार की राजनीति के पुरोधा ललित बाबू राजनीति में एक प्रखर नेता के रूप में जाने जाते थे। वह आज भी एक आदर्श व्यक्तित्व के धनी पुरुष, जो अपनी राजनीतिक दूरदर्शिता, धर्मनिरपेक्षता , प्रशासनिक दक्षता, राष्ट्र-भक्ति और नि:स्वार्थ जन-सेवा के लिए जन-जन में चर्चित हैं।उन्होंने मिथिला चित्रकला को देश-विदेश में प्रचारित कर उसकी अलग पहचान बनाई। ललित बाबू को अपनी मातृभाषा मैथिली से अगाध प्रेम था। यह उन्हीं का योगदान है कि मैथिली की साहित्यिक संपन्नता और विशिष्टता को देखते हुए 1962-64 में उनके पहल पर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उसे ‘साहित्य अकादमी’ में भारतीय भाषाओं की सूची में सम्मिलित किया और अब मैथिली संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में चयनित विषयों की सूची में सम्मिलित है।

कार्यक्रम में कई लोगों द्वारा सहायता प्रदान की गई जिनमें तकनीकी सहायता सहायक अनूप कुमार झा ने प्रदान किया। कार्यक्रम सज्जा और निर्माण में महाविद्यालय के छात्र ओमराज, राजा कुमार ठाकुर, आदर्श आनंद, तृप्ति मिश्रा, दीक्षा चौधरी, अनुज कुमार, गौरव सागर, आयुष मैथिल, कृष्ण कुमार और सुजीत कुमार पासवान की सक्रिय भागीदारी देखी गई, तथा कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम पदाधिकारी डॉक्टर कालिदास झा के निर्देशन में संपन्न हुआ।