#MNN@24X7 मधुबनी/18 जून, जलकुंभी को पर्यावरण का आतंकवादी पौधे के रूप में पहचाना जाता है। यह एक जलीय खरपतवार है। वहीं तालाब से लेकर नदियों तक इस जलीय खरपतवार से लोगों को ही नहीं बल्कि पर्यावरण को भी काफी ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। सरकार हर साल नदियों और तालाबों से जलकुंभी हटाने के लिए करोड़ों रुपए की धनराशि को खर्च करती है। वहीं इस बेकार पौधे को ही जिले की बिस्फी प्रखंड की छात्रा आद्या मिश्र ने अपनी कमाई का जरिया बना डाला।
उन्होने घाट भटरा ग्राम में जलकुम्भी से बैग/ पर्स बनाने की एक कुटीर उद्योग की आधारशिला रखी । जिसका उद्घाटन मधुबनी के डीडीसी विशालराज द्वारा किया गया। इस नई पहल पर उन्होंने खुशी ज़ाहिर की है।कहा कि आद्या ने एक सोशल इन्ट्रप्रेन्यूर के रूप में गांव के सबसे गरीब तबकों, निचले वर्गों को कैसे आर्थिक लाभ पहुंचे, ख्याल रखकर गांव में एक कुटीर उद्योग की स्थापना की। विशालराज ने छात्रा के प्रयास की सराहना की।
उन्होंने इस अवसर पर वेस्ट से वेल्थ अवधारणा पर अपना मंतव्य भी प्रकट किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इसमें अपने विभिन्न स्कीमों के तहत जितना सहयोग कर सकेगी वह करेगी। हर तरह की मदद दी जाएगी। आद्या दिल्ली स्थित डीपीएस आरके पूरम की बारहवीं क्लास की छात्रा है। इस अवसर पर बिस्फी के बीडीओ, सीओ व अन्य अधिकारी तथा घाट भटरा और नजदीक के मुखिया सरपंच और ग्राम की जनता बड़ी संख्या में वहाँ एकत्रित हुई थी।
मौके पर 8 बार विश्व रिकॉर्ड होल्डर मुदित पाठक भी थे। जिन्होंने बताया कि यह पहल बहुत अच्छी है। इंटरनेशनल स्तर पर वो इस इनिशिएटिव को देखते हैं। आद्या ने खुद को पहले जलकुंभी के पौधे से सामान बनाने के लिए तैयार किया। जलकुंभी से घरेलू उपयोग में आने वाली टोकरी, चटाई और अलग-अलग तरह की बास्केट को बनाकर बाजार से अच्छी आमदनी की जा सकती है। जलकुंभी में कई औषधीय गुण भी होते हैं। जिसके चलते कई बीमारियों में भी अब इसके गुणों का उपयोग किया जाने लगा है।
जलकुंभी से होती है अब लाखों की कमाई:
आद्या बताती है कि उनके द्वारा जलकुंभी से कई तरह के प्रोडक्ट बनाए जाएंगे। वहीं उन्होंने जलकुंभी के बेकार पौधे को अपनी आमदनी का जरिया बनाने के लिए काफी काम किया है। इस पौधे को पहले तालाब से निकालकर सुखाते हैं। वहीं सूखने के बाद इसके रेशों से कई तरह के घरेलू उपयोग में आने वाले सामान को बनाया जाएगा। उनके साथ सैकड़ों महिलाओं को जोड़ा जायगा। वहीं इससे उनको अच्छी आमदनी भी होगी। जलकुंभी को उपयोग में लाकर चटाई ,टोकरी ,लॉन्ड्री बॉस्केट, फ्रूट बास्केट और महिलाओं के पर्स जैसे कई उपयोगी सामान बनाए जाएंगे। जिनकी बाजार से लेकर विदेशों तक अच्छी डिमांड है। जलकुंभी से बने हुए सामान पूरी तरीके से इको फ्रेंडली है।
पोषक तत्वों से भरपूर है जलकुंभी:
जलकुंभी के पौधे को उत्तर भारत में बेकार समझा जाता है, लेकिन इसमें पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। आद्या बताती हैं कि इसमें विटामिन ए, विटामिन बी, प्रोटीन, मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व हैं। इसके अलावा ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और मधुमेह में जलकुंभी काफी फायदेमंद मानी जाती है। इसके अलावा इसकी सब्जी और सलाद भी खाई जाती है। इसका फूल सजावट के लिए उपयोग किया जाता है।