#MNN@24X7 दरभंगा 2जुन। मिथिला लेखक मंच दरभंगा के तत्वावधान में “भाषा के मानकीकरण” परिचर्चा आयोजित अखिल भारतीय मैथिली साहित्य परिषद के प्रांगण में डा सुरेन्द्र भारद्वाज की अध्यक्षता और संचालन श्री चंद्रेश ने किया। मानकीकरण पर गहन विमर्श किया गया विद्वानों द्वारा।

इस अवसर पर प्रोफेसर श्रीउदय शंकर मिश्र ने कहा कि मैथिली भाषा का मानकीकरण प्रो रमानाथ झा ने किया जिससे असहमत थे बाबू भोलालाल दास। फिर मैथिली साहित्य व्यवस्थित रूप मिला, जिसके कारण मैथिली को साहित्य अकादमी और आठमी सूची में मान्यता मिली है। मैथिली आज भाषा के रुप में प्राथमिक से माध्यमिक स्तर की शिक्षा का माध्यम नहीं बना है।

इस अवसर पर श्री कमलेश झा ने कहा कि मैथिली विभिन्न तरह से लिखा जा रहा है जिससे असहमत रहने के बाद भी मैथिली साहित्य का विकास हो रहा है।

मैथिली साहित्यकार रमेश ने कहा कि मैथिली साहित्य विभिन्न वर्तनी में लिखा जा रहा है। जो अराजकता का कारण है। जिसे एकरुपता करना जरूरी है।

इस अवसर पर डा टून टून झा सुबेदार नंद किशोर झा नितू कुमारी राजकिशोर झा राम कुमार झा शम्भू कान्त झा विजय शंकर झा आदि ने भाग लिया।