संतोषजनक रही आयोजन के लिए गठित विभिन्न समितियों की कार्य प्रगति।
दरभंगा। विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में चालू वर्ष के नवंबर महीने में 6, 7 एवं 8 तारीख को आयोजित होने वाले तीन दिवसीय मिथिला विभूति पर्व के स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह की तैयारियों की समीक्षा के लिए वृहस्पतिवार देर शाम एमएलएसएम कॉलेज परिसर में बैठक आयोजित हुई।
समारोह को ऐतिहासिक बनाने के लिए आयोजन की सलाहकार समिति के अध्यक्ष पं कमलाकांत झा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में आयोजन से संबंधित पूर्व से गठित समितियों के कार्य प्रगति की समीक्षा के साथ कई नयी समितियां गठित की गई.
समारोह के स्वागताध्यक्ष के लिए बिहार सरकार के कला संस्कृति एवं युवा मामले के मंत्री आलोक रंजन झा के नाम की घोषणा पूर्व में ही की जा चुकी है. जबकि समाजसेवी एवं शिक्षा शास्त्री प्रजेश कुमार झा एवं प्रतिभा सिंह को इस ऐतिहासिक आयोजन का कार्यकारी स्वागताध्यक्ष बनाया गया है.
बैठक में आयोजन की तैयारी को लेकर कार्यकारी स्वागताध्यक्ष प्रजेश कुमार झा द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को आम सभा ने ध्वनिमत से पारित किया.जानकारी देते हुए संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने बताया कि सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संरक्षण एवं संवर्धन के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करने के साथ ही मिथिला की गौरवशाली विरासत से नई पीढ़ी को रूबरू कराना इसका मुख्य उद्देश्य होगा. इस अवसर पर अनेक अप्रकाशित धरोहर पांडुलिपियों के प्रकाशन के साथ ही आम पाठकों के पहुंच से बाहर हो रही धरोहर साहित्य सामग्रियों के प्रकाशन पर विशेष जोर रहेगा. इस कार्य की जवाबदेही डॉ महेंद्र नारायण राम, मणिकांत झा, डा अशोक कुमार मेहता, हरिश्चंद्र हरित एवं प्रवीण कुमार झा को सौंपी गई है।
उन्होंने बताया कि स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह में मिथिला पेंटिंग एवं मिथिला की धरोहर कलाकृतियों को प्रदर्शित करने वाली आकर्षक प्रदर्शनी के साथ साथ मिथिला के लजीज व्यंजनों का स्टाल भी लगाया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस ऐतिहासिक अवसर पर मिथिला के विभूतियों की कीर्ति के प्रदर्शन सहित विभिन्न दीर्घाओं का नाम उनके नाम से उल्लिखित किया जाएगा।
स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह की सांस्कृतिक एवं सलाहकार समिति के अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने इस ऐतिहासिक आयोजन में नयी पीढ़ी के कलाकारों को अधिक अवसर प्रदान किए जाने का प्रस्ताव रखा जिसे आम सभा ने सर्वसम्मति से पारित किया. मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा एवं शोभायात्रा प्रभारी विनोद कुमार झा ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए व्यक्तिगत की बजाय सामूहिक रूप से प्रचार-प्रसार और सहयोग राशि संग्रहण का प्रस्ताव रखा।
उनके प्रस्ताव पर हरिश्चंद्र हरित के संयोजन में प्रचार प्रसार समिति का गठन किया गया. प्रवीण कुमार झा को इस समिति का सह संयोजक बनाया गया जबकि प्रजेश कुमार झा, मणिभूषण राजू, आशीष चौधरी, नवल किशोर झा एवं पुरूषोत्तम वत्स इसके सदस्य बनाए गए . पं कमलाकांत झा के संयोजन में गठित 5 सदस्यीय सम्मान समिति में डा अशोक कुमार मेहता, डा महेंद्र नारायण राम, डा अनिल कुमार झा एवं डा उषा चौधरी को शामिल किया गया है.
पुस्तक प्रकाशन समिति में डा महेंद्र नारायण राम, डा अशोक कुमार मेहता, मणिकांत झा, हरिश्चंद्र हरित एवं प्रवीण कुमार झा को शामिल किया गया है. मिथिला पेंटिंग एवं अन्य प्रदर्शनी के संयोजन की कमान वैद्य गणपति झा को सौंपी गई है. जबकि मणि भूषण राजू, आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स एवं चंदन ठाकुर इस कार्य में उनकी मदद करेंगे.
विनोद कुमार झा ने शोभायात्रा की चल रही तैयारी के बारे में अवगत कराया. मणि भूषण राजू ने कार्यक्रम से युवाओं को सीधे जोड़़ने के लिए उनके संयोजन में चल रही तैयारियों की बाबत जानकारी दी. महिला दीर्घा की कमान डॉ उषा चौधरी एवं डॉ सुषमा झा को संयुक्त रूप से सौंपी गई है. मौके पर सुषमा झा ने चल रही तैयारी की जानकारी दी जिस पर संतोष व्यक्त किया गया.
अतिथियों के आवासन प्रबंधन की जवाबदेही निभा रहे दुर्गानंद झा, नवल किशोर झा एवं डॉ सोमेश्वर नाथ झा दधीचि की तीन सदस्यीय समिति ने इस कार्य के बेहतर संचालन के लिए एक प्रस्ताव रखा जिसे सभा ने ध्वनिमत से पारित किया. बैठक में संगोष्ठी के अनेक समसामयिक विषयों पर भी चर्चा की गई.
बैठक में डा बैजू ने जानकारी दी कि दरभंगा के सांसद डा गोपाल जी ठाकुर इस आयोजन हेतु अपने एक महीना का वेतन सहयोग राशि के रूप में देने की घोषणा पूर्व में कर चुके हैं जबकि अनेक प्रवासी मैथिल ने उन्हें इस ऐतिहासिक आयोजन में सहयोग और सहभागिता का भरोसा दिलाया है.
मौके पर आयोजन समिति की संरक्षिका सह एमएलएसएम कॉलेज की प्रधानाचार्य डा मंजु चतुर्वेदी ने कहा कि मिथिला विभूति पर्व के स्वर्ण जयंती समारोह के सफलता की जवाबदेही हम सभी मिथिला वासियों की है और इसके लिए सभी को खुले मन से मातृभूमि व मातृभाषा के उत्कर्ष के लिए आगे आना चाहिए.
बैठक में डा गणेश कांत झा, डा अजीत कुमार चौधरी, डा उदय कांत मिश्र, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई, डा ऋषिकेश पाठक, डा राजकिशोर झा, डॉ चंद्रमोहन झा पड़वा, भरत मिश्र, सुधा कांत झा, सुधीर कुमार, गिरधारी झा आदि ने भी अपने विचार रखे.