मातृभाषा की जड़ों को हम करें मजबूत, क्योंकि इसके माध्यम से बच्चे आसानी से सीखते हैं ज्ञान- विज्ञान की बातें- कुलपति।

“नयी शिक्षा नीति और मातृभाषा में शिक्षा” विषयक संगोष्ठी में प्रो चन्द्रभानु, प्रो एके बच्चन, कुलसचिव तथा प्रो अशोक मेहता ने रखे विचार।

#MNN@24X7 दरभंगा, बच्चे अपनी मातृभाषा में आसानी से ज्ञान- विज्ञान की बातें ज्यादा आसानी से समझ पाते हैं। हमें अंग्रेजी तथा हिन्दी के साथ ही अपनी मातृभाषा की जड़ें भी मजबूत करनी चाहिए। हमलोगों को यह विचार करना चाहिए कि आखिर मातृभाषा दिवस मनाने की क्यों जरूरत पड़ी है? उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी ने विश्वविद्यालय हिन्दी, उर्दू, मैथिली तथा संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में जुबली हॉल में आयोजित ‘अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ के अवसर पर “नयी शिक्षा नीति और मातृभाषा में शिक्षा” विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कही।

कुलपति ने आयोजकों को सेमिनार की सफलता की बधाई एवं शुभकामना देते हुए कहा कि जब दो बंगाली कहीं भी मिलते हैं तो वे अन्य विषयों के विद्वान होते हुए भी आपस में सिर्फ बंगाल में ही बातें करते हैं। हमें भी अपनी मातृभाषा में ही बातचीत कर इसकी विकास करनी चाहिए।

विषय प्रवर्तन करते हुए हिन्दी के वरीय प्राध्यापक प्रो चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। जहां अनेक भाषाएं, संस्कृतियां तथा परंपराएं हैं। यही इंद्रधनुषी सौंदर्य भारत की खासियत है। आज की भारतीय शिक्षा- व्यवस्था का मूल ढांचा 1835 ईस्वी की मैकालीय शिक्षा व्यवस्था ही है। हम आज भी औपनिवेशिक मानसिकता के शिकार हैं। जब मातृभाषा शिक्षा और रोजगार का माध्यम बनेगी, तभी इसका समुचित विकास होगा।

प्रो चन्द्रभानु ने बताया कि 2002 में संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी। पाकिस्तानी सरकार द्वारा उर्दू भाषा थोपे जाने पर आज के ही दिन 1952 में बांग्ला भाषा की रक्षा हेतु ढाका में लोग शहीद हुए थे। यह दिवस हमें बहुभाषिकता एवं बहुसांस्कृतिकता का बोध कराता है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में ही व्यक्ति के ज्ञान का नैसर्गिक विकास होता है। चीन, जापान, रूस, फ्रांस, जर्मनी आदि अनेक देशों का विकास अंग्रेजी के बल पर नहीं, बल्कि उनकी अपनी मातृभाषा में ही संभव हुआ है। भारत में कई आयोगों एवं समितियों ने मातृभाषा में शिक्षा देने का सुझाव दिया है। फिर भी आज विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से ही दी जा रही है।

अपने स्वागत संबोधन में कुलसचिव डा अजय कुमार पंडित ने मातृभाषा दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नयी शिक्षा नीति-2020 में अपनी मातृभाषा में शिक्षा देने के महत्व को स्वीकार किया गया है। मातृभाषा के विकास से ही भारत का सर्वांगीण विकास संभव होगा। वहीं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मानविकी संकायाध्यक्ष सह कार्यक्रम संयोजक प्रो एके बच्चन ने मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सभी बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा का माध्यम उनकी मातृभाषा ही होनी चाहिए। इससे उन्हें ज्ञान ग्रहण करने में न केवल सुविधा होगी, बल्कि ज्यादा से ज्यादा व्यावहारिक ज्ञान भी प्राप्त हो सकेगा।

इस अवसर पर वित्तीय परामर्श डा दिलीप कुमार, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, उप कुलसचिव प्रथम डा कामेश्वर पासवान, कार्यक्रम प्रभारी डा सुरेश पासवान, काव्य- पाठ के प्रभारी प्रो उमेश कुमार, क्विज प्रतियोगिता- प्रभारी डा आर एन चौरसिया, सहयोगी डा ज्वाला चन्द्र चौधरी, पदाधिकारी सहित 250 से अधिक शोधार्थी एवं छात्र- छात्राएं उपस्थित थे।

इस अवसर पर कल आयोजित काव्य- पाठ में श्रेष्ठ स्थान पाने वाले संस्कृत के देव कुमार झा, मैथिली के हिमांशु कुमार झा, उर्दू के जररीन सबा तथा हिन्दी की तन्नु कुमारी ने अपनी बेहतर प्रस्तुति दी। वहीं शिक्षकों की ओर से संस्कृत में डा संजीत कुमार झा, हिन्दी में उपासना झा, मैथिली में प्रो अशोक कुमार मेहता तथा उर्दू में प्रो आफताब अशरफ ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी।

इस अवसर पर आयोजित क्विज प्रतियोगिता में मो इमरान- प्रथम, आयशा सदफ- द्वितीय एवं विक्की कुमार मंडल- तृतीय, संस्कृत काव्य- पाठ प्रतियोगिता में देव कुमार झा- प्रथम, जिग्नेश कुमार- द्वितीय एवं अतुल कुमार झा- तृतीय, मैथिली काव्य- पाठ प्रतियोगिता में अनीश चौधरी- प्रथम, हिमांशु कुमार झा- द्वितीय एवं राजेश कुमार पंडित- तृतीया, उर्दू काव्य- पाठ प्रतियोगिता में चमन परवीन- प्रथम, अब्दुल्लाह एवं उम्मे हबीबा- द्वितीय तथा जररीन सबा- तृतीय तथा हिन्दी- काव्य- पाठ प्रतियोगिता में तनु कुमारी- प्रथम, अरुणा श्री- द्वितीय एवं सियाराम मुखिया एवं ऋषि रोही को तृतीय स्थान प्राप्त करने हेतु रैंक प्रमाण पत्र तथा मोमेंट से सम्मानित किया गया। वहीं काव्य- पाठ एवं क्विज प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र प्रदान कर हौसला अफजाई किया गया।

मैथिली- प्राध्यापक प्रो अशोक कुमार मेहता के कुशल संचालन में आयोजित संगोष्ठी में अतिथियों का स्वागत पाग, चादर एवं पुष्पगुच्छ से किया गया। संगोष्ठी का समापन सामूहिक राष्ट्रगान से हुआ।