एनएसएस स्वयंसेवक सुरक्षित सफर के लिए डायल- 112 के प्रति महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा करें जागरूक- प्रधानाचार्य प्रो इफ्तेखार।
महिलाओं के सुरक्षित सफर हेतु डायल- 112 की सुविधा आगामी 15 सितंबर, 2024 से पूरे बिहार राज्य में होगी उपलब्ध- समन्वयक डॉ चौरसिया।
#MNN@24X7 मिल्लत कॉलेज, दरभंगा की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में “महिलाओं के सुरक्षित सफर हेतु डायल-112 का महत्व” विषय पर कॉन्फ्रेंस हॉल में प्रधानाचार्य प्रो इफ्तेखार अहमद की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ आर एन चौरसिया, प्रो महेशचन्द्र मिश्रा, डॉ सियाराम प्रसाद, डॉ सोनी शर्मा, डॉ कीर्ति चौरसिया, डॉ जमशेद आलम, डॉ अब्दुल राफे, डॉ शाहनवाज आलम, डॉ मुन्ना साह, डॉ अब्दुस सलाम जिलानी, डॉ नाहिद जेहरा, डॉ अमृता प्रियदर्शी, डॉ जावेद अख्तर, डॉ रवि शंकर पंडित, डॉ मनीष कुमार, डॉ जोहा सिद्दीकी, डॉ कामिनी कुमारी, डॉ राधा नारायण, डॉ अबुल वशर, पूनम कुमारी के साथ ही स्वयंसेवक- उजमा रहमान, सल्तनत परवीन, मो आकिब, मो अफसार, जिना खातून, उम्मे फातमा, मेहर परवीन, सानिया समीम, मो आतिब, मो शहाबुद्दीन सहित 50 से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर पर कॉलेज परिसर में अतिथियों द्वारा फलदार पेड़ भी लगाए गए।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य प्रो इफ्तेखार अहमद ने बिहार सरकार के दिशा- निर्देश पर बिहार पुलिस द्वारा की गई इस नई पहल की सराहना करते हुए कहा कि महिलाओं के सुरक्षित सफर के लिए डायल- 112 नंबर काफी उपयोगी सिद्ध होगा, परंतु जब तक आमलोग जागरुक नहीं होंगे, तब तक सिर्फ सरकार या पुलिस के बल पर इसका विशेष लाभ महिलाओं को नहीं मिलेगा। इस सेवा के प्रारंभ होने से स्कूल- कॉलेज जाने वाली छात्राएं, काम पर जाने वाली महिलाएं तथा किसी कार्य से रात्रि में यात्रा करने वाली अन्य महिलाओं के अंदर सुरक्षा एवं आत्मविश्वास का भाव उत्पन्न होगा। उन्होंने एनएसएस स्वयंसेवकों से सुरक्षित सफर के लिए डायल 112 के प्रति छात्राओं एवं महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने का आह्वान करते हुए कहा कि छात्राएं सिर्फ शिकायत ही नहीं करें, बल्कि ज्यादा से ज्यादा उन्हें सहयोग करने की जरूरत है।
मुख्य वक्ता के रूप में एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि हरियाणा और तेलंगाना के बाद डायल-112 से जुड़ी सुरक्षित सफर सुविधा देने वाला बिहार भारत का तीसरा राज्य बन गया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गत 5 सितंबर से बिहार के 6 जिलों पटना, गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर बेगूसराय तथा नालंदा में यह सुविधा प्रारंभ हुई है। आगामी 15 सितंबर, 2024 से डायल-112 से जुड़ी महिलाओं के सुरक्षित सफर सुविधा की सेवा पूरे बिहार में उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि यह सुविधा पूर्णतः निःशुल्क एवं तत्काल सहायता हेतु एक सिंगल इमरजेंसी नंबर है जो आपातकालीन स्थिति में महिलाओं को मदद करेगा और अपराधियों पर त्वरित कार्रवाई भी की जाएगी। इस पूरे प्रोजेक्ट में सी-डैक तकनीक सहायता प्रदान करेगा, पुलिस डिजिटल निगरानी करेगी तथा टीम महिलाओं से फोन पर फीडबैक भी लगी, ताकि इस व्यवस्था को और बेहतर बनाया जा सके। डॉ चौरसिया ने कहा कि महिला की पूरी यात्रा के दौरान डायल 112 कंट्रोल रूम की टीम लगातार उसके संपर्क में रहेगा, लोकेशन ट्रैक करता रहेगा तथा जरूरत पड़ने पर इमरजेंसी रिस्पांस वाहन एवं पुलिस की गाड़ियों को भी उसके पास भेज देगा।
अतिथियों का स्वागत करते हुए भौतिक विभागाध्यक्ष प्रो महेश चन्द्र मिश्रा ने कहा कि छात्राएं आवश्यकता पड़ने पर इस सुविधा का लाभ जरूर उठाएं और अधिक से अधिक प्रचार- प्रचार भी करें। यह सुविधा सातों दिन 24 घंटे उपलब्ध हैं। वैसे डायल-112 पहले से चालू है, पर यह पुलिस, एंबुलेंस तथा फायर ब्रिगेड सुविधा तक ही सीमित थी। उन्होंने कहा कि जब कभी भी छात्राएं या महिलाएं अकेले यात्रा करें तो गाड़ी वाले का नाम, पता, मो नंबर तथा गाड़ी नंबर आदि की विशेष जानकारी अपने घर वालों को भी दे दें। वहीं थोड़ा भी खतरा या संदेह होने पर डायल 112 का बेहिचक उपयोग करें।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ सोनी शर्मा ने कहा कि पहले भी महिलाओं के साथ घटनाएं घटती थीं जो प्रायः दब जाती थीं, परंतु आज मोबाइल, सोशल मीडिया तथा जनजागृति के कारण छोटी- बड़ी सभी घटनाएं तुरंत ही लोगों के बीच फैल जाती हैं। डायल- 112 को सिंगल हेल्पलाइन तथा इमरजेंसी सेवा के रूप में विकसित किया जा रहा है, ताकि महिलाएं अपने घर से बाहर सफर में भी अपने को सुरक्षित महसूस कर सकें। उन्होंने कहा कि बिहार के शहर से गांव तक कोई भी महिला कभी भी सफर के दौरान यदि असुरक्षित महसूस करती है तो वह डायल 112 पर कॉल कर मदद मांग सकती है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए रसायनशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ सियाराम प्रसाद ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए डायल 112 में पैनिक बटन की सुविधा उपलब्ध है, जिससे दबाने पर तुरंत पुलिस की सहायता मिलती है और जान एवं माल की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है। उन्होंने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है, जहां महिला पुलिस द्वारा 100% का कॉल हैंडल किए जाते हैं। अभी प्रतिदिन बिहार में औसतन 5000 लोग डायल 112 सेवा का लाभ उठा रहे हैं।