माननीय सांसद डॉ गोपालजी ठाकुर के प्रश्नों के जवाब में भारत सरकार के शिक्षा राज्य मंत्री का कहना कि मैथिली हिंदी की उपभाषा है, अत्यंत शर्मनाक और सोची समझी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है. मैथिली को बोली कहने का षडयंत्र इससे पहले वर्ष 2018 में बिहार सरकार के मंत्री ललन सिंह विधान परिषद में मैथिली को बोली कहकर भी कर चुके हैं. संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषा मैथिली को केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री द्वारा उपभाषा कहना न केवल संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन है बल्कि इस भाषा के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित संकीर्ण मानसिकता का परिचायक भी है.
ज्ञातव्य हो कि भारत सरकार की सर्वोच्च साहित्यिक संस्था साहित्य अकादमी द्वारा यह न सिर्फ 1965 से सम्मानित है और प्रत्येक वर्ष इस भाषा के साहित्यकारों का सम्मान केंद्र सरकार द्वारा होता रहा है.
केंद्रीय राज्य मंत्री का बयान घोर निंदनीय है जिसकी कठोर भर्त्तष्णा करते हुए विद्यापति सेवा संस्थान के नेतृत्व मे सम्पूर्ण मिथिलावासी और विभिन्न मैथिली सेवी संगठन इसके प्रतिवाद में जोरदार आंदोलन करेगा. सम्पूर्ण मिथिला में रेल का चक्का जाम करेगा और लोकसभा का घेराव करेगा मंत्री का पुतला दहन करेगा।
12 Feb 2022