#MNN@24X7 दरभंगा, मिथिला लेखक मंच के तत्वावधान में आयोजित समारोह में डा.भीमनाथ झा ने कहा कि मैथिली भाषा को शास्त्रीय भाषा के रुप में भारत सरकार ने मान्यता नहीं दी। साथ ही पूरी प्रक्रिया में बिहार सरकार ने अनदेखी की और उचित ढंग से भारत सरकार को समय पर प्रस्ताव नहीं भेजा गया।साथ ही क्षोभ व्यक्त करते हुए डॉ.झा ने कहा कि दिग्गज राजनेता कहते हैं कि साहित्य से जुड़े लोग अपने जिम्मेदारी का ठीक तरह से वहन नहीं किया।
स्वागत भाषण में प्रो.उदयशंकर मिश्र ने कहा कि मैथिली भाषा आन्दोलन में राजभाषा में मान्यता नहीं मिली साथ ही स्कूली शिक्षा में मैथिली की मान्यता नहीं मिली। हमलोगों को मिलकर लड़ना होगा।
जय जय भैरवि असुर गायन डा सुषमा झा और स्वागत गीत गायन बिभा झा ने किया और एन के साहु ने सरस्वती वंदना की। संचालन श्री चन्द्रेश और सम्मान श्री शैलेन्द्र आंनद को किया गया। अध्यक्षीय भाषण में डा टुन टुन झा ने कहा कि मिथिला लेखक मंच लगातार सैकड़ों गोष्ठी के माध्यम से लोगों को जगाने का काम किया है। मंचस्थ डा उषा चौधरी डा बूचरु पासवान डा श्री शंकर झा। विमोचन मैथिली दर्पण पत्रिका का किया गया।
तृतीय सत्र में प्रो श्रीउदय शंकर मिश्र श्री कमलेश झा डा बैद्यनाथ चौधरी वैजु श्री नारायण यादव शैलेन्द्र आंनद श्री दिलीप कुमार झा ने “मिथिला राज्य आन्दोलन एहि पार ओहि पार” विषय क सत्र में मिथिला राज्य संविधान सम्मत हो भारत सरकार और नेपाल सरकार द्वारा। शास्त्रीय भाषा राजभाषा में मैथिली और स्कूली शिक्षा में मैथिली भाषा का स्थान होना चाहिए।
तृतीय सत्र डा उषा चौधरी डा सुषमा झा डा सुनिता ठाकुर स्वर्णिम प्रेरणा वैद्यनाथ विमल डा प्रतिभा स्मृति
कवि सम्मेलन में डा विजय शंकर झा हरिश्चंद्र हरित मुन्नी मधु प्रो चन्द्रमोहन परवा रामकुमार राधेश्याम पोद्दार लक्ष्मी सिंह राजेश सिंह डा संजित सरस उमेश नारायण कर्ण उज्जवल कुमार शुभानंद कुंवर।