एमएलएसएम कॉलेज के सभागार में गुरुवार को आयोजित लोकार्पण समारोह में मैथिली मंच के कलाकारों ने भक्तिपूर्ण रचनाओं पर दी संगीतमय प्रस्तुति।
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मैथिली के चर्चित साहित्यकार, आकाशवाणी के दरभंगा संवाददाता एवं भारत निर्वाचन आयोग के दरभंगा जिला आइकॉन मणिकांत झा द्वारा मणिश्रृंखला अंतर्गत मैथिली में रचित महेशवाणी एवं नचारी संग्रह ‘मृत्युंजयमणि’ एवं उनकी धर्मपत्नी कवियित्री नीलम झा की मैथिली भक्ति गीत संग्रह ‘नीलमणि शतक’ का लोकार्पण गुरुवार को एमएलएसएम महाविद्यालय के सभागार में किया गया।
महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान द्वारा प्रकाशित युगल भक्ति गीत संग्रह का लोकार्पण विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू, एमएलएसएम कालेज की प्रधानाचार्य डा मंजु चतुर्वेदी, दरभंगा की पूर्व महापौर बैजयंती देवी खेड़िया, गंगेश मिश्र, अमर कांत झा, डा जितेंद्र नारायण, डा रमेश झा, डा ममता रानी, डा जय प्रकाश चौधरी जनक, हीरा कुमार झा, महेश कुमार झा, डा एडीएन सिंह, बासुकी नाथ झा आदि के कर-कमलों से साथ मिलकर किया गया।
लोकार्पण समारोह में विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि मिथिला के जन जीवन में शिव पूजा का महत्व काफी प्रशस्त है। हिंदू धर्म की सभी जाति के लोगों में शिव आराधना के प्रति काफी आकर्षण रहता आया है। यही कारण है कि मिथिला में शिव की मान्यता जन देवता के रूप में है और मिथिला के हर गांव में शिव मंदिर की प्रधानता है। अपने संबोधन में उन्होंने मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा द्वारा मैथिली में रचित महेशवाणी एवं नचारी संग्रह मृत्युंजयमणि को मिथिला में शिव पूजा की संस्कृति का संवाहक बताया। जबकि नीलम झा रचित भक्ति गीतों की उन्होंने खुले मन से प्रशंसा की।
लोकार्पण समारोह में अपने विचार रखते हुए दरभंगा नगर निगम की पूर्व मेयर बैजयंती देवी खेड़िया ने कहा कि सावन से ठीक पहले मृत्युंजयमणि एवं नीलमणि शतक के प्रकाशन से देवघर तक पैदल यात्रा करने वाले मिथिला के लाखों कावड़ियों सहित आम मिथिला वासी को एक अनुपम उपहार मिल गया है। लनामिवि पीजी राजनीति विज्ञान के अध्यक्ष डा जितेन्द्र नारायण ने उम्मीद जाहिर की कि मणिकांत झा रचित महेशवाणी एवं नचारी के साथ-साथ उनकी अर्धांगिनी नीलम झा के भक्तिमय गीतों की गूंज जल्दी ही मिथिला के गांव-गांव में स्थापित शिवालयों में गुंजेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एमएलएसएम कालेज की प्रधानाचार्य डा मंजू चतुर्वेदी ने कहा कि मिथिला में देवों के देव महादेव की मोक्ष प्रदान करने वाले विशिष्ट देवता के रूप में मान्यता है। गांव गांव में शिव मंदिर स्थापित होने के साथ-साथ मिट्टी से बने पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने की भी यहां प्रचलित परंपरा रही है। यही कारण है कि विद्यापति की महेशवाणी और नचारी को यहां काफी प्रसिद्धि मिली है।
मैथिली साहित्य जगत के हास्य सम्राट डॉ जयप्रकाश चौधरी ने मणिकांत झा व उनकी धर्मपत्नी के रचना संग्रह को मैथिली भक्ति साहित्य जगत को मजबूती प्रदान करने वाला बताया। महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन एवं मणिशृंखला के प्रकाशक हीरा कुमार झा ने कहा कि कभी सोचा भी ना था कि मणिशृंखला अंतर्गत प्रकाशित पुस्तकों की कड़ी इतनी जल्दी 32वें रचना पुष्प को प्राप्त कर लेगी। उन्होंने मणिशृंखला की सफलता के लिए आम मैथिल जन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।
मणिकांत झा के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में मृत्युंजय मणि एवं नीलमणि शतक पुस्तक से अनेक भक्तिमय प्रस्तुतियां दी गई । कार्यक्रम में मैथिली मंच के स्थापित कलाकार डा ममता ठाकुर, डा सुषमा झा, दीपक कुमार झा, जानकी ठाकुर, खुशबू मिश्रा, वीणा झा, आदर्श झा एवं जया ने महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान द्वारा प्रकाशित भक्तिमय युगल गीत संग्रह से गीतों की एक से बढ़कर एक संगीतमय प्रस्तुतियां दी। वहीं, तबला पर गौरीकांत झा और इलेक्ट्रॉनिक कैसियो पर नीरज कुमार झा ने मनोहर संगति दी।
लोकार्पण समारोह में मणिकांत झा एवं उनकी धर्मपत्नी नीलम झा के परिणय दिवस उत्सव का 36वां सालगिरह भी मनाया गया। कार्यक्रम में विष्णु कुमार झा, हीरेंद्र झा, डा गणेश कांत झा, प्रवीण कुमार झा, विनोद कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई, बासुकी नाथ झा, दुर्गानंद झा, फूलचंद्र प्रवीण, राकेश गिरी, ऋषिकेश कुमार, स्वर्णिम किरण, मृदुल श्रीवास्तव, कृष्णानंद झा, श्रवण कुमार झा, डा कृष्ण कुमार, पूनम झा, पुरुषोत्तम वत्स, संतोष कुमार झा, लक्ष्मी झा, वंदना झा, ललिता झा, गंधर्व कुमार झा, नीतीश सौरभ आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।