•कमजोर नवजात बच्चों की जाती है पहचान
•केयर इंडिया द्वारा विकसित की गई है “राफ्ट एप्लीकेशन”
मधुबनी, 27 जनवरी।
स्वास्थ्य विभाग व केयर इंडिया द्वारा नवजात शिशु मृत्यु दर को और कम करने की कवायद में अब अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। इसके लिए राफ्ट मोबाइल एप्लीकेशन के सहारे पूरी व्यवस्था की देखभाल हो रही है। इसमें स्वास्थ्य कर्मी ऑनलाइन जीपीएस के माध्यम से नवजात शिशु के साथ अपनी तस्वीर दे रहे हैं। इस माध्यम से नवजात शिशु की मृत्यु दर को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। मधुबनी जिले में 1000 शिशु में 32 की मौत का आंकड़ा है। इसे घटाकर 25 के नीचे लाने के लिए यह कवायद हो रही है। इस आंकड़े में एक माह के अंदर 25 बच्चे की मौत हो जाती है, जिनमें 20 कमजोर नवजात शिशु होते हैं। इन्हीं कमजोर नवजात शिशु बच्चों की पहचान कर छह महीने तक उसकी विशेष देखभाल स्वास्थ्य कर्मी करने में लग गए हैं।
कैसे होती है देखभाल:
चिह्नित किए गए बच्चों की देखभाल के लिए लगातार तीन दिन केयर इंडिया के कर्मी बच्चों के घर जाते हैं। मोबाइल एप्लीकेशन राफ्ट पर तस्वीर अपलोड की जाती है। फिर उचित देखभाल की सलाह दी जाती है। चौथे दिन और सातवें दिन प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य प्रबंधक मौके पर पहुंचकर इसी प्रक्रिया को दोहराते हैं। केयर इंडिया के डीटीएल महेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि मधुबनी जिले में इसके लिए सभी प्रखंड के स्वास्थ्य प्रबंधकों को जिम्मेदारी दी गई है, जो सभी 21 प्रखंडों में कार्यरत हैं।
जिले में 1574 बच्चों को किया गया चिह्नित –
केयर इंडिया द्वारा अप्रैल 2021 से अब तक 1574 कमजोर नवजात बच्चे को चिह्नित कर राफ्ट एप्लीकेशन के माध्यम से देखभाल की गई। जिसमें सदर हॉस्पिटल मधुबनी के 205, फुलपरास 67, लखनौर 24, घोघरडीहा 67, बाबूबरही 72, बेनीपट्टी 80, हरलाखी 109, बिस्फी 70, बासोपट्टी 71, खुटौना 92, खजौली 43, लदनिया 28, कलुआही 12, पंडौल 60, राजनगर 87, मधेपुर 131, मधवापुर 17, अंधराठाढी 31, झंझारपुर 113, जयनगर 96, रहिका सदर 32, लौकही 66 कमजोर नवजात बच्चे को चिह्नित किया गया।
कैसे की जाती है देखभाल:
•सात दिनों तक नवजात को स्नान नहीं कराना।
•दिन में 10 से 12 बार स्तनपान व रात्रि में 3 से 4 बार स्तनपान कराना
•नाभि में कुछ भी नहीं लगाना
•नवजात को केवल स्तनपान कराना
•कंगारू मदर केयर की देखभाल
•अतिरिक्त गर्माहट देने के लिए ऊनी कपड़े का प्रयोग
•बोतल का प्रयोग पूर्णत वर्जित
कुपोषित बच्चों की कैसे की जाती है पहचान:
•जन्म के समय 2000 ग्राम या 2000ग्राम से कम वजन
•37 सप्ताह से पूर्व जन्म लेना
•स्तनपान करने में नवजात का सक्षम नहीं होना