#MNN@24X7 भाषायिक आ सांस्कृतिक रूपेँ बांग्ला आ मैथिली एक दोसराक बड लगीच अछि। एहि दुनू भाषामे एक दोसराक साहित्यक अनुवाद दुनू भाषा साहित्यकेँ समृद्ध कड़ैत अछि। एही कड़ीमे आशापूर्णा देवीक लिखल बांग्ला उपन्यास “मोनेर झाँपी” केर मैथिली अनुवाद “मोनक पौती” नामसँ केलनि डॉक्टर कमला चौधरी।

साहित्यिक आ सांस्कृतिक विचार मंच ऋचालोक केर तत्वावधान मे दरभंगाक राजकुमार गंज स्थित बाबूजीक लाइब्रेरी सभागारमे अनुदित उपन्यासक लोकार्पण समारोह पूर्वक भेल। कार्यक्रममे वक्ता लोकनि एक सुरमे मानलनि जे ई पोथी एतेक सहजतासँ अनुदित भेल अछि जे मैथिलीक मौलिक पोथीक स्वाद दैत अछि।

समारोहक उद्घाटन करैत साहित्य आकादेमीमे मैथिलीक पूर्व प्रतिनिधि डॉक्टर वीणा ठाकुर कहलनि जे अनुवाद कार्य बेस महत्वपूर्ण अछि आ ई काज बेस कठिनाह सेहो होइत अछि। अनुवादक क्रममे भाषिक आ भावाभिव्यक्तिक क्षरण होयबाक आशंका बनल रहैत छैक। एहि सभ दृष्टिसँ डॉक्टर कमला चौधरी अपन काजमे सफल भेली अछि।

डॉक्टर योगानंद झाक स्वागतसँ शुरू आ चन्द्र शेखर झा बूढ़ाभाई केर आभारसँ सम्पन्न भेल कार्यक्रमक संचालन करैत संस्थाक महासचिव डॉक्टर अमलेन्दु शेखर पाठक कहलनि जे अनुवाद अनेकतामे एकताकेँ सबल आ सशक्त बनबैत अछि। मानसिक धरातलपर दू टा भाषा आ संस्कृतिकेँ जोड़ैत अछि। अनुवादिका कहलनि जे बांग्ला लेखिका आशापूर्णा देवीक ई उपन्यास हिनका अनुवाद करबाक लेल बड प्रभावित केलनि। नैहरक प्रति स्नेह आ सासुरक प्रति कर्त्तव्यबोधक बीच अन्तःसंघर्ष आ कर्त्तव्यबोधक जीत केर कथा हुनका अनुवाद लेल विवश केलकनि।

आयोजनमे राजेश कुमार सिंह ठाकुर, लक्ष्मी सिंह ठाकुर,शंभू कुमार सिंह,शुभम कुमार सिंह, मीनू कुमारी,अमृत भारतक सक्रिय भागीदारी रहल। एहि अवसरपर पूर्व प्रधानाचार्य डॉक्टर विश्वनाथ झा, डॉक्टर मित्रनाथ झा, डॉक्टर उषा चौधरी,डॉक्टर मुरलीधर झा,सुनीता झा, फूलचंद्र मिश्र रमण, स्वर्णिम किरण झा प्रेरणा सहित कतेको गण्यमान्य साहित्य रसिक लोकनि उपस्थित छलाह।

पुस्तक लोकार्पण करैत मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर भीमनाथ झा कहलनि जे अनुवादमे जाहि भाषासँ अनुवाद होइत अछि ओकर आ ओहिमे वर्णित समाजक विशेषताकेँ कायम रखबाक चुनौती होइत अछि। एहिमे अनुवादिका सफल रहली। बांग्ला उपन्यास मोनेर झाँपीर केर मैथिली अनुवाद मोनक पौती एकदम सटीक कहलनि।

सभाध्यक्ष फूलचंद्र मिश्र ‘रमण’ अनुवादक लेल डॉक्टर कमला चौधरीकेँ साधुवाद दैत लेखक लोकनिसँ अपन भाषाक खाँटी शब्दकेँ उपयोग करबाक आ विलुप्त होयबासँ बचेबाक आह्वान केलनि। हीरेन्द्र कुमार झा पोथीक कथा सारांश प्रस्तुत केलनि।