शिरकत करेंगी अनेक महत्वपूर्ण हस्तियां
#MNN@24X7 दरभंगा, मिथिला अति प्राचीनकाल से भारतवर्ष के एक महत्वपूर्ण धार्मिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र के रूप में विख्यात रहा है। यह प्राचीन समय में विदेह राज्य की राजधानी थी, जो हिमालय और गंगा नदी के तलहटी के बीच स्थित था। वर्तमान में यदि इसे रेखांकित किया जाय तो प्राचीन मिथिला क्षेत्र आज के बिहार, झारखंड एवं पड़ोसी देश नेपाल के भू-भाग में विभाजित है। यह विदेह या मिथिला राज्य पूर्व में कोशी, पश्चिम में गंडक, उत्तर में हिमालय और दक्षिण में गंगा नदी से घिरा माना जाता है। जो क्षेत्र जगत जननी माँ जानकी, भामती, भारती, मैत्रेयी, गार्गी आदि विदूषियों सहित जनक, याज्ञवल्क्य, अष्टावक्र, विद्यापति, गौतम, कनाद, मंडन, अयाची, शंकर आदि विद्वानों की जन्मभूमि होने के साथ ही विश्व के दो महान, धार्मिक एवं सम्मानित नामों गौतम बुद्ध और वर्धमान महावीर का ज्ञान क्षेत्र एवं कर्मक्षेत्र का धरोहर भी रहा है।
उन्होंने कहा कि मिथिला के महान विभूतियों को यथोचित सम्मान प्रदान करते हुए आने वाली पीढ़ी को उनके कृतित्व से रूबरू कराने के उद्देश्य से प्रति वर्ष साहित्यिक एवं सांस्कृतिक महाकुंभ के रूप में मिथिला विभूति पर्व समारोह का आयोजन मिथिला-मैथिली के उत्कर्ष का जीवंत प्रतीक है। यह बात विद्यापति सेवा संस्थान के अध्यक्ष सह कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशिनाथ झा ने बुधवार को कही।
संस्थान की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि यह समारोह मिथिला की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक अस्मिता का प्रतीक है और इस समारोह में मिथिला मैथिली के विकास के लिए सभी को दल, जाति, वर्ग और समुदाय से ऊपर उठकर एक मंच पर लाने का उनका प्रयास होगा। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संरक्षण एवं संवर्धन के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करने के साथ ही मिथिला की गौरवशाली विरासत से नई पीढ़ी को रूबरू कराने के उद्देश्य से इस वर्ष मिथिला पेंटिंग व व्यंजन प्रदर्शनी के साथ ही साहित्य अकादमी, दिल्ली व मैथिली अकादमी, पटना के सौजन्य से आकर्षक पुस्तक मेला का आयोजन तीनों दिन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस सांस्कृतिक महाकुंभ में स्वत: स्फूर्त भाव से आम मिथिला वासी और देश-विदेश में रहने वाले प्रवासी व अप्रवासी मैथिलों के संग अनेक साहित्यकार, गीतकार, शिक्षाविद, राजनेता, गायक और गायिका सहित संस्कृति कर्मी द्वारा एक मंच पर आकर अपनी गौरवशाली संस्कृति को जीवंत बनाने के लिए एकजुटता का प्रदर्शन करना न सिर्फ काबिले तारीफ है बल्कि आने वाले पीढ़ी में अपनी संस्कृति और संस्कार के प्रति जागरूकता पैदा करने में सफल है।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष सह सांस्कृतिक एवं सलाहकार समिति के अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने बताया कि इस ऐतिहासिक आयोजन में नई पीढ़ी के कलाकारों एवं कवियों को अधिक अवसर प्रदान किए जाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इस बार समारोह के पहले एवं तीसरे दिन रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया जाएगा। जबकि कवि सम्मेलन एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी अनेक मायने में उपलब्धि पूर्ण होगा।
महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि कवि कोकिल विद्यापति के निर्वाण दिवस पर विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान आगामी 25, 26 एवं 27 नवम्बर को होने वाले तीन दिवसीय मिथिला विभूति पर्व के 51वें समारोह की विधिवत शुरुआत 25 नवम्बर को प्रातः बेला में विद्यापति चौक स्थित महाकवि विद्यापति की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ होगा। इसके उपरांत मिथिला के पारंपरिक परिधान में शोभायात्रा निकाली जाएगी। उन्होंने बताया कि इस बार तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन एमएलएसएम काॅलेज परिसर में किया जायेगा।