•रामदेव झा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे- प्रो. दमन कुमार झा

#MNN@24X7 दरभंगा, विश्वविद्यालय मैथिली विभाग में चर्चित कथाकार डॉ रामदेव झा की जयंती मनाई गई।विश्वश्विद्यालय मैथिली विभाग में मैथिली के वरेण्य कथाकार, नाटककार, कवि, अनुसंधानकर्ता तथा अनुवादक रामदेव झा की जयंती व्याख्यान-माला के रूप में आयोजित की गई, जिसका विषय था – ‘रामदेव झाक कथा साहित्य’। इस गोष्ठी की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो दमन कुमार झा ने की।

मुख्य वक्ता के रुप में विभूति आनंद ने रामदेव झा की कथा साहित्य पर विशद व्याख्या प्रस्तुत की।

उन्होंने कहा कि रामदेव झा ग्रामीण रूचि के कहानीकार थे। उनकी कहनियों में गांव, गांव के लोग, उनकी रूचि, संस्कार, पोखर, गाछी एवं मिथिला में प्रचलित रीति – रिवाज बहुत ही आधिकारिक रूप से व्यक्त हुए हैं।आज के कहानीकार शहर में रहते हुए कहानियों में गांव के चित्र खींचते हैं। इसके ठीक विपरीत रामदेव झा गांव में रहकर पल- प्रतिपल बदल रहे रीति -नीति, चाल- चलन आदि पर अपनी लेखनी को कथा के माध्यम से धार प्रदान करते रहे हैं। रामदेव झा किसी खास धारा के लेखक नहीं थे, फिर भी उनकी अलग और विशिष्ट पहचान थी, जो वास्तव में मैथिली कहानी के भाव व शिल्प को नया रूप देते हैं।

अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रो. दमन कुमार झा ने कहा कि रामदेव झा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने मैथिली साहित्य की विभिन्न विधाओं को जिस प्रकार से समृद्ध किया ,इसके लिए हम सभी उनके ऋणी हैं। आगे उन्होंने कहा कि मुझे छात्रावस्था से ही उनके सान्निध्य में रहने का सौभाग्य प्राप्त रहा है। वे सादा , सहज एवं मिलनसार थे । वे मिथिला-मैथिली की सेवा के लिए सदैव समर्पित रहते थे। वे अपने सहज स्वभाव से सभी के प्रिय थे। उनके जैसी गवेषणात्मक क्षमता विरले ही देखने को मिलती है।वे ललित, राजकमल एवं मायानन्द पीढ़ी के उल्लेखनीय कथाकार थे। इनकी कथावस्तु में यथार्थ जीवन की झलक स्पष्ट दिखाई पडती है।’वो एक खीरा तीन फांक हो’ या ‘मनुसंतान की कथाएं’ सभी में मिथिला की माटी की सुगंध, जनजीवन एवं लोक- संस्कृति की छाप दृष्टिगत होती है।

डाॅ. अभिलाषा कुमारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि रामदेव झा की कहानियों में देशी भाव कूट -कूट कर भरा हुआ है।रामदेव झा को अनुसन्धानकर्ता एवं कथाकार, किसी एक खेमे में नहीं रखा जा सकता है। वे बहु- विधावादी लेखक थे।

डॉ. सुरेश पासवान ने उन्हें स्मरण करते हुए कहा कि रामदेव झा कथाकार के अतिरिक्त अनुसन्धानकर्ता भी थे। उन्होंने अपने अनुसन्धान से मैथिली साहित्य के कई साहित्यिक रत्न को उजागर किया।

छात्र -छात्राओं के अतिरिक्त शोधार्थी शालिनी कुमारी, शीला कुमारी, पवन कुमार, राहुल राज गुप्ता , रौशन, भोगेन्द्र प्रसाद सिंह, मिथलेश कुमार चौधरी,मनोज आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर विभागीय सहकर्मी भाग्यनारायण झा एवं निरेन्द्र भी मौजूद थे।कार्यक्रम का संचालन डॉ अभिलाषा कुमारी ने किया वहीं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ सुनीता कुमारी ने कहा उनकी कहानियां हृदयस्पर्शी हैं।