लखनऊ।राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है।भाजपा के आदिवासी कार्ड ने विपक्षी दलों को भी राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन के मुद्दे पर पशोपेश में डाल दिया है।ओडिशा से आने वाली आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू ने विपक्षी खेमे में सेंध लगा दी है।
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को बहुजन समाज पार्टी की मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने समर्थन देने की घोषणा की है।बसपा मुखिया ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हमने एनडीए के राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का फैसला किया है।हमने यह फैसला न तो भाजपा या एनडीए के समर्थन में और न ही विपक्ष के खिलाफ बल्कि अपनी पार्टी और आंदोलन को ध्यान में रखते हुए लिया है।बसपा कमजोर, गरीब और उपेक्षित वर्ग के लोगों के लिए फैसले लेती रही है।
बसपा मुखिया मायावती ने कहा कि बसपा एनडीए या यूपीए की पिछलग्गू पार्टी नहीं है।बसपा स्वतंत्र और निडर रहकर काम करने वाली पार्टी है। उन्होंने कहा कि अगर कोई पार्टी देश के उपेक्षित वर्ग के हित में काम करती है तो बसपा उसके साथ खड़ी होती है,चाहे वो हमारे लिए कितना ही नुकसानबदेह क्यों न हों।
बसपा मुखिया ने कहा कि बसपा का उद्देश्य बाबा साहब के सिद्धांतों पर काम करना है।बसपा को बदनाम करने का भी ये लोग कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। हमारे एमएलए को तोड़ने का काम करते हैं और कांग्रेस तो इसमें विशेष काम करती है।उन्होंने कहा कि यूपी में बसपा के नेतृत्व में चार बार की सरकार ने दलितों शोषितों और वंचितों के हित में काम किया है।
बसपा मुखिया ने उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में हमें ये देखने को मिला कि विपक्षी दलों ने अपनी मनमानी की और बसपा को विपक्ष ने अलग-थलग रखा है।पहले बंगाल की सीएम द्वारा एकतरफा चुनिंदा लोगों को बुलाना और फिर शरद पवार द्वारा बुलाई गई बैठक में बसपा को नजरअंदाज करना।इनकी एकता दिखावा ही लगती है।
बसपा मुखिया मायावती ने कहा कि बसपा को भाजपा की बी टीम बताना भी इनकी जातिवादी मानसिकता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि अलग- अलग पार्टी होते हुए भी ये सभी पार्टियां एक होकर बसपा के खिलाफ हो जाती हैं,लेकिन बसपा बाबा साहब के लक्ष्य पर डट कर खड़ी रहती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में बसपा द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करती है।हम एनडीए को नहीं, बल्कि एक आदिवासी प्रत्याशी के समर्थन में मतदान करेंगे।