दरभंगा। आज के समय में राष्ट्रहित में संघ की भूमिका इस विषय पर एक व्याख्यानमाला एम एल एस एम कॉलेज दरभंगा में आयोजित की गई। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल जी, उत्तर पूर्व क्षेत्र संपर्क प्रमुख अनिल ठाकुर जी, प्रांत संपर्क प्रमुख रविंद्र पाठक जी, मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति सुरेंद्र प्रसाद सिंह, एमएलएसम की प्राचार्या मंजू चतुर्वेदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नगर संघचालक दिनेश जी शाह तथा जिला संघचालक बेनीपुर तारा कांत झा जी मंच पर उपस्थित थे।
दीप प्रज्वलन मुख्य अतिथि के साथ सामूहिक रूप से किया गया। दीप प्रज्वलन के पश्चात अधिकारियों का सम्मान भी किया गया जिसमें सनोज नायक विभाग संपर्क प्रमुख दरभंगा ने रामलाल जी का,तरुण जी ने अनिल ठाकुर जी का,रविंद्र पाठक जी का सम्मान आकाश जी ने,कुलपति सुरेंद्र प्रसाद सिंह जी का सम्मान अनिल सिंह जी ने,कमलेश कुमार ने प्राचार्या मंजू चतुर्वेदी जी का,नगर संघचालक दिनेश जी का ओम प्रकाश जी एवं तारा कांत झा जी का सम्मान रमेश जी ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ जय जय भैरवी गीत से हुआ। स्वागत गान एवं मिथिला का गौरव गान प्रस्तुत करते हुए पायल कुमारी,काजल,चित्र,स्नेह,नंदनी,रुकैया तथा तबले पर प्रदूषण और हारमोनियम पर राम कुमार झा की प्रस्तुति ने समा बांध दिया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति महोदय ने कहा कि राष्ट्र के प्रति समर्पण ही हमारे संस्कार का द्योतक है। बिना शर्त बिना किसी आकांक्षा के पूर्ण समर्पण ही राष्ट्रहित के लिए हमारे लिए सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि विवेकानंद के भारत का चित्रण करते हुए। हम पुनः गौरवपूर्ण स्थान पर मां भारती को स्थापित करने के लिए अपना तन मन एवं धन सभी अर्पण करने का भाव अपने परिवार के लोगों के बीच उत्पन्न करें। भारत का एक-एक व्यक्ति जब मां भारती के श्री चरणों में अपना सर्वस्व अर्पण करेगा तभी मां भारती विश्व गुरु के सिंहासन पर आसीन हो सकेगी।
कार्यक्रम का शुभारंभ अमृत वचन एवं व्यक्तिगत गीत के साथ आरंभ हुआ।इस भावपूर्ण गीत को सुनकर उपस्थित सभी श्रोताओं का हृदय राष्ट्रभक्ति के हिंडोले में झूलने लगा। अपने दर्शन में राष्ट्र देवो भव की कल्पना को साकार करने का भाव तभी संभव है जब हम इस धरती को अपनी मां समझता हूं ऐसा कुलपति जी ने अपने उद्बोधन में कहा।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए आज के मार्गदर्शक एवं उद्बोधन कर्ता अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल जी ने कहा कि अब आवश्यकता इस बात की है कि हम विदेशियों की चाल समझे विदेशियों ने इस राष्ट्र को तोड़ने के लिए भारत के जन-जन को खंड खंड में बांटा। आज आवश्यकता है कि विदेशियों के द्वारा दिए गए इस भाव को त्याग कर राष्ट्र गौरव को बढ़ाने वाले भाव का मन में अंकुरण हो और यह राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में सभी को स्वीकार करना होगा।
धर्म भारत का प्राण तत्व है स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था कि दुनिया का यह पहला और अंतिम देश है जहां सब को धारण करने वाली धरती को मां के रूप में स्वीकार किया गया है। कौन सा देश है विश्व का जहां मां के रूप में धरती की पूजा की जाती है। कोई दर्शन नहीं कोई प्रबंध नहीं कोई शासन व्यवस्था नहीं संपूर्ण विश्व में अकेला भारत ही ऐसा सौभाग्यशाली देश है। जहां भारत माता के रूप में अपने राष्ट्र को स्वीकार किया गया है।
अंग्रेजों ने देश को लूटा है बांटा और हमारे अंदर हीन भावना वाले विषयों को समाहित किया। भारतीय गौरव पुरुषों को लुटेरा सामर्थ्य हीन एवं कम बुद्धि का कह कर हमें दिग्भ्रमित किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने स्थापना काल से इसी कार्य में लगा हुआ है कि हमें अपने गौरव स्थान,हमें अपने मान बिंदुओं का सम्मान महापुरुषों का सम्मान,ऋषि परंपरा का ज्ञान एवं धर्म ग्रंथों के प्रति अध्ययन का मन में चिंता संस्कारों को देश की छवि देश का गौरव,देश का पुरुषार्थ। जिन घटनाओं से ऊंचाई को प्राप्त हो, राष्ट्र जिससे मजबूत हो, विश्व मंच पर सर्व समावेशी विश्व बंधुत्व एवं किरणों विश्वमार्यम् के अनुसार वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र का पूरी दुनिया जाप करें। ऐसा भारत, संघ बनाना चाहता है। देश के लिए अच्छा सोचना अच्छा बोलना और फिर अच्छा करना सिखाना ही संघ की विशेषता है।
भारत अभियान के क्षेत्र में,विज्ञान के क्षेत्र में,पुरुषार्थ के क्षेत्र में कहीं किसी से भी कमजोर नहीं है। कलाम ने जो भारत के राष्ट्रपति हुए महान वैज्ञानिक हुए इस्लाम धर्म को मानने वाले हुए। उन्होंने क्यों देश के रक्षा के लिए तैनात किए जाने वाले सारे अस्त्र-शस्त्र और प्रक्षेपास्त्रओं के नाम वेदों से ली। किसी का नाम ब्रह्मभोज,किसी का पृथ्वी,तो किसी का अग्नि रखा। यह सोचने का विषय है। हमें कलाम के जीवन से सीखने की आवश्यकता है। तभी तो इंडोनेशिया ने भी कहा कि हमने अपनी पूजा पद्धति बदली है पूर्वज नहीं बदले।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन मंजू चतुर्वेदी जी ने किया साथ ही उन्होंने अपने महाविद्यालय के परिसर में इस राष्ट्रीय परिचर्चा के आयोजन के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा वहां उपस्थित सभी गणमान्य जनों का आभार व्यक्त किया।