अयोध्या प्रसाद सिंह स्मारक महाविद्यालय में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 114 वीं जयंती के उपलक्ष्य में जयंती समारोह का आयोजन किया गया। आइक्यूएसी तथा स्नातकोत्तर हिंदी विभाग द्वारा दिनांक 23/09/22 को आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में ‘दिनकर के काव्य में राष्ट्रीय चेतना’ विषय पर एक संगोष्ठी भी संपन्न हुई जिसके मुख्य अतिथि और प्रखर वक्ता के रूप में डॉ. चंद्रभानु प्रसाद सिंह , पूर्व विभागाध्यक्ष स्नातकोत्तर हिंदी विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय उपस्थित रहे। सर्वप्रथम प्रधानाचार्य डॉ. मुकेश कुमार एवं विशिष्ट अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया।
मुख्य वक्ता एवं अतिथि डॉ. चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने सभा को दिनकर जी के जीवन और साहित्यिक यात्रा पर चर्चा करते हुए बताया कि बेगूसराय जिले के सिमरिया ग्राम के एक साधारण किसान परिवार में जन्मे रामधारी सिंह दिनकर ने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक प्रतिष्ठा की डिग्री प्राप्त करने के बाद उच्च विद्यालय, बरबीघा में प्रधानाध्यापक तत्पश्चात सब रजिस्ट्रार के पद पर कार्य करते हुए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष नियुक्त हुए। इसके अतिरिक्त 12 वर्षों (1952 – 1964) ई. तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे। ‘ संस्कृति के चार अध्याय ‘ पुस्तक के लिए उन्हें 1959 ई. में साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्होंने ( 1964 – 1965) ई. तक भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति तथा (1965 – 1971) ई. तक भारत सरकार के हिंदी सलाहकार के पद को सुशोभित किया। उन्हें 1972 ई. में ‘ उर्वशी ‘ की रचना के लिए सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी पुरस्कृत किया गया। 1999 ई. में भारत सरकार ने इनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया। उन्होंने कहा कि दिनकर की कविताओं में भारत राष्ट्र है, वे अपनी रचनाओं में गुलामी से मुक्ति हेतु भारतीय जनता को प्रेरित करते रहे ।रामधारी सिंह दिनकर पुरुषार्थ के कवि हैं, मिट्टी से जुड़े कवि हैं।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य डॉ. मुकेश कुमार ने कहा कि दिनकर ने ‘संस्कृति के चार अध्याय’ पुस्तक में भारत के विभिन्न संस्कृतियों के बीच समन्वय की बात करते हैं। रामधारी सिंह दिनकर ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाएं आम लोगों के जुबान पर होता है। उन्होंने अपने साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से भारत में राष्ट्रीय चेतना के प्रसार में अप्रतिम योगदान दिया। दिनकर ने कहा था कि जब सत्ता लड़खड़ाती है तो साहित्य उसे संभालता है।
अब जरूरत है कि उनकी रचनाओं में उपस्थित मूल्यों को अपने जीवन में उतारें और अपने देश को ऊंचाई प्रदान करने में अपना योगदान दें। इस जयंती समारोह में महाविद्यालय के छात्र – छात्राओं जैसे कन्हैया, आदित्य, शिवम्, पूनम, बुलबुल, साजिया, शांभवी, किरण, तनु , स्वीटी , मुस्कान , ज्ञानवी आदि ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की काव्य रचनाओं तथा लेखनी के विषय पर अपने प्रस्तुति से सभागार को उर्जान्वित किया। समारोह का मंच संचालन स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. नंदकिशोर पंडित तथा धन्यवाद ज्ञापन स्नातकोत्तर रसायन विज्ञान विभाग के डॉ. चंदन कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक और शिक्षणेत्तर बंधु उपस्थित थे।