“महिलाओं में हड्डीरोग की समस्या एवं निदान” विषयक कार्यक्रम में 80 से अधिक व्यक्तियों की हुई सहभागिता।

डा सर्राफ, डॉ प्रियंका, चन्द्रभूषण, डा अवधेश, अनिल कुमार, डा चौरसिया, मुकेश झा, डा कीर्ति व डा शैलेन्द्र आदि ने रखे विचार।

शुद्ध, संतुलित व पोष्टिक आहार, शारीरिक सक्रियता व सकारात्मक जागरुकता से मिलेगी हड्डीरोग से मुक्ति- डा सर्राफ।

वर्तमान दिनचर्या, प्रदूषण एवं अशुद्ध खानपान हड्डीरोग सहित अनेक स्वास्थ्य समस्याओं की जङ- डा प्रियंका।

‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के अवसर पर भारत विकास परिषद् की भारती- मंडन शाखा, दरभंगा तथा डा प्रभात दास फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में “महिलाओं में हड्डीरोग की समस्या एवं निदान” विषयक वेबीनार का आयोजन किया गया, जिसमें 80 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बिहार हड्डीरोग चिकित्सक संघ के अध्यक्ष डा एस एन सर्राफा, स्त्रीरोग एवं प्रसूति चिकित्सिका डॉ प्रियंका भारती, मनोविज्ञान की प्राध्यापिका डा कीर्ति चौरसिया, सक्षम संस्था के उत्तर बिहार प्रांत के अध्यक्ष चन्द्रभूषण पाठक, भारत विकास परिषद् के अध्यक्ष अनिल कुमार व सचिव डा आर एन चौरसिया, डा प्रभात दास फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा व कार्यकर्ता राजकुमार गणेशन तथा डा शैलेंद्र श्रीवास्तव आदि ने विचार व्यक्त किए।

अपने संबोधन में डा एस एन सर्राफ ने कहा कि जंक फूड, फास्ट फूड व मशालेदार भोजन से हड्डियां कमजोर होती हैं। शुद्ध, संतुलित व पौष्टिक आहार के साथ ही शारीरिक सक्रियता, सकारात्मक सोच एवं जागरुकता से ही हड्डीरोग से मुक्ति मिल सकती है। वर्तमान वेस्टर्न लाइफ स्टाइल बदलने, वजन कम करने, योग- व्यायाम, खेल- कूद के साथ ही नियमित वॉक आदि पर बल दिया। डॉ सर्राफ ने कहा कि लगभग 20 वर्षों की अवस्था तक हमारे शरीर में कैल्शियम तेजी से बनता है, उसके बाद 51 वर्ष तक कैल्शियम बनता एवं उपयोग होता है, परंतु 51 वर्ष के बाद कैल्शियम बनाने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और शरीर में कैल्शियम की तेजी से कमी होने लगती है। उन्होंने कहा कि जरुरत पड़ने पर हमें जीवन भर कैल्शियम युक्त भोज्य पदार्थ तथा उसके उत्पादक सप्लीमेंट या गोलियां लेना चाहिए। डेरी प्रोडक्शन, ड्राई फ्रूट्स, गुड़-तिल, खट्टे फल, हरी साक- सब्जियां आदि कैल्शियम के नेचुरल स्रोत हैं।

डा प्रियंका भारती ने कहा कि व्यक्ति की वर्तमान दिनचर्या, प्रदूषण एवं अशुद्ध खानपान हड्डीरोग सहित अनेक स्वास्थ समस्याओं की जड़ है। प्रायः 50 वर्ष के बाद माहवारी बंद होने से महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन होता है, जिससे शरीर में कैल्शियम बनने की दर अत्यधिक कम हो जाती है। इस अवस्था की हर 2 महिलाओं में से एक कूल्हे टूटने के खतरे का सामना करती हैं। उन्होंने युवतियों से गर्भधारण के पूर्व शरीर में कैल्शियम आदि की जांच कराने की सलाह देते हुए कहा कि गर्भधारण एवं दुग्धपान कराने से शरीर में कैल्शियम की स्वाभाविक कमी होती है। यदि उसकी आपूर्ति न हो तो हड्डियां काफी कमजोर हो जाती हैं। उन्होंने बालिका दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि महिलाएं सृजनकर्ता हैं, जिसका परिवार व समाज में काफी महत्व है। समाज में जैसे-जैसे वे शिक्षित होकर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं, वैसे- वैसे स्वत: ही लिंगभेद समाप्त होता जा रहा है।

विशिष्ट वक्ता के रूप में डा कीर्ति चौरसिया ने कहा कि हर 3 में से 1 स्त्री हड्डीरोग से पीड़ित हैं, जबकि 8 में एक पुरुष। कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से हड्डीरोग की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। मनोवैज्ञानिक रूप से महिलाओं को सबका ख्याल रखते हुए अपने ऊपर भी खानपान आदि का ध्यान रखना चाहिए।
विषय प्रवेश कराते हुए भारत विकास परिषद् के सचिव डा आर एन चौरसिया ने कहा कि हड्डियां हमारे शरीर को व्यवस्थित, सुंदर एवं स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं। ये शरीर को चलाने, सहारा देने तथा शरीर के कोमल अंगों की रक्षा करने में भी सहायक होते हैं। अस्थि मज्जा में ही हमारे शरीर का रक्त बनता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हड्डियों का मजबूत होना बहुत जरूरी है।
सम्मानित अतिथि के रूप में सक्षम संस्था के उत्तर बिहार प्रांत के अध्यक्ष चंद्रभूषण पाठक में कहा कि सॉफ्ट ड्रिंक सेवन से शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम होती है। उन्होंने तनाव से दूर रहते हुए मॉर्निंग वॉक करने तथा ब्लड शुगर नियंत्रण पर बल दिया।
परिषद् के उपाध्यक्ष डा अवधेश प्रसाद यादव ने बालिका दिवस की शुभकामना देते हुए कहा कि बालिकाएं पूरे हिम्मत और हौसले के साथ जीवन के विकास पथ पर अग्रसर हों, इसका हम सब प्रयास करें। बालिकाएं हमारी समृद्ध सांस्कृतिक व सामाजिक विरासत की वाहक हैं।
अध्यक्षीय संबोधन में परिषद् के अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि हमें नियमित रूप से पवनासन, वृक्षासन व दंडासन आदि योग करना चाहिए, जिनसे हड्डियां मजबूत होकर व्यवस्थित रूप से काम करती हैं। गलत तरीके से बैठने, सोने या चलने से कमर, पीठ, रीड तथा गले की हड्डियों में दर्द की शिकायतें होती हैं।


विशेषज्ञों के संबोधन के बाद काफी संख्या में प्रतिभागियों ने प्रश्न पूछे, जिनका समुचित उत्तर चिकित्सक द्वय- डा एस एन सर्राफ तथा डा प्रियंका भारती ने दिया। प्रश्न पूछने वालों में शम्भू, काजल, असलम, प्राची, नूतन, मोनिका, खुशी, स्वेता, अनिल, रवीन्द्र, सबीना, चंद्रभूषण, साक्षी, रानी, चंदन, राजकुमार,अमरजीत व अनिल कुमार सिंह आदि शामिल हैं।
इस अवसर पर जूही झा, रानी कुमारी, काजल कुमारी तथा सूरज कुमार आदि ने ‘बेटी की महत्ता’ पर आधारित स्वरचित कविता का पाठ किया। राजकुमार गणेशन के संचालन में आयोजित वेबीनार में अतिथियों का स्वागत मुकेश कुमार झा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डा शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने किया।