संस्कृत विश्वविद्यालय में कार्यशाला आयोजित

#MNN@24X7 दरभंगा, संस्कृत में संजीवनी की शक्ति है।भारतीयता व संस्कृति भी इसी से है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय परंपरा व राष्ट्रीयता को अहम स्थान दिया गया है। हमसभी विद्वतजनों का कर्तव्य है कि इसे सार्वभौमिक बनाएं। तभी इसकी सार्थकता सफल होगी। इसी क्रम में इसके बहुआयामी व्यवस्था के कारण अध्यापन में कुछ परेशानी आएंगी जिसे हमलोग बखूबी दूर कर लेंगे।

संस्कृत विश्वविद्यालय में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को छात्र हित में अधिक प्रभावी बनाने के लिए बुधवार को दरबार हॉल में दो सत्रों में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 एलएन0 पांडेय ने उक्त बातें कही।

उन्होंने शिक्षा नीति की प्रशंसा करते हुए इसे छात्र व देश के हित मे बताया। उन्होंने कहा कि मूल रूप से भारतीय ज्ञान परम्परा (इंडियन नॉलेज सिस्टम), बहुविषयक अध्ययन एवं अनुसंधान( मल्टी डिसिप्लिनरी एजुकेशन एन्ड रिसर्च) तथा कौशल प्रशिक्षण (स्किल ट्रेनिंग) जैसे विन्दुओं पर इस शिक्षा नीति में फोकस किया गया है।

प्रथम सत्र में विषय प्रवर्तन करते हुए प्रतिकुलपति प्रो0 सिद्धार्थ शंकर सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर काफी विस्तार से प्रकाश डालते हुए इसकी उपयोगिता व सार्थकता को बताया। उन्होंने इस भी जोर दिया कि आखिर इस शिक्षा नीति की जरूरत हमें क्यों पड़ी। पुरानी पद्धति व नीति से यह कैसे भिन्न है और इसे जमीन पर सतही रूप से कैसे उतारा जाएगा, इसे भी भरपूर समझाने का प्रयास किया।

इसी क्रम में संसाधन पुरुष मिथिला विश्वविद्यालय के डब्ल्यूआईटी के निदेशक प्रो0 प्रेम मोहन मिश्र ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का परिचय, दृष्टिकोण, उसकी उपयोगिता, अनिवार्य शिक्षा एवं उच्च शिक्षा का स्वरूप जैसे विषयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने फाउंडेशन लर्निंग व वोकेशनल एजुकेशन का उल्लेख करते हुए कहा कि जबतक आधी आबादी यानी महिलाएं इस बदलाव का हिस्सा नहीं बनेगी तो विकास सम्भव नही है। उन्होंने सशक्त समृद्धि के साथ स्वतन्त्र शिक्षा पद्धति को रेखांकित करते हुए कहा कि इस शिक्षा नीति में समाजिक समावेश के साथ साथ बच्चों को आदर्श नागरिक बनाने पर भी जोर दिया गया है। गुणवत्ता व मानवीकरण को भी प्रमुख स्थान दिया गया है।
साथ ही बहुविषयी व्यवस्था की वकालत करते हुए प्रो0 झा ने कहा कि भविष्य में बहुत जल्द इस मामले में सभी शिक्षण संस्थानों में बदलाव देखने को मिलेगा । सभी को सुलभ शिक्षा मिले इस पर भी उन्होंने फोकस डाला। स्लाइड के माध्यम से उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सभी प्रमुख विन्दुओं को समझाया।

वहीं दूसरे संसाधन पुरुष इसी विश्वविद्यालय के राजनीतिविज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो0 मुनेश्वर यादव ने मुख्य रूप से पुरानी शिक्षा नीति एवमं नई शिक्षा नीति में अंतर एवं विकसित भारत मे इसके योगदान विषय पर अपनी बातों को रखा।उन्होंने कहा कि आज भी 70 फीसदी आवादी कृषि पर आधारित है लेकिन इसके लिए इस शिक्षा नीति में कोई खास व्यवस्था नही की गई है।उन्होंने कहा कि बिहार के आर्थिक विकास के लिए उपायों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनना होगा। इसके लिए कृषि को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने चिंता जाहिर की कि आज भी करीब 84 फीसदी आबादी उच्च शिक्षा से दूर है। एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में यह ग्रुप शामिल नहीं है जो विचारणीय विंदु हैं।

वहीं संसाधन पुरुष मिथिला विश्वविद्यालय के ही दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो0 हरेकृष्ण सिंह ने भारतीय ज्ञान परम्परा को सार्वभौम बनाने के उपाय बताये। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि शिक्षा का मूल अर्थ ज्ञान है, डिग्री नही। शैक्षणिक डिग्रियां ज्ञान नही बल्कि यह शिक्षा का माध्यम मात्र है। शिक्षा वह बीज है जो जीवन को सुखद व आनंदमय बनाता है ।

उन्होंने कहा कि बहुत पहले श्रुति व स्मृति की शिक्षा पद्धति थी। अर्निंग व लर्निंग पहले भी था और आज भी है।दूरस्थ शिक्षा पहले भी थी। इसके लिए उन्होंने द्रोणाचार्य की चर्चा की। ज्ञान में क्षमता थी तभी भारत विश्व गुरु था। विदेशियों ने हमारी ज्ञान परम्परा को भी लूटा है। उसका भी असर अभी तक है। उन्होंने कहा कि आज लोग सोचते हैं कि अंग्रेजी में बोलेंगे तो ज्ञानी कहलायेंगे, जो गलत है। मातृभाषा में बोलें और सोचें, सफलता सुगमता से आपके पास आएगी।

वहीं संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर प्रभारी व्याकरण के विद्वान प्रो0 सुरेश्वर झा ने कौशल नैतिक शिक्षा एवं व्यावसायिक शिक्षा में संस्कृत वांग्मय से सम्भावना विषय पर संस्कृत में अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने शास्त्र व वेद की चर्चा करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति की पुरजोर वकालत की, प्रशंसा की तथा इससे कैसे लाभ लिया जा सके इस पर उन्होंने विस्तार से बताया।

उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आइक्यूएसी) तथा एनएसए प्रभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला में वक्ताओं ने भारतीय ज्ञान परम्परा व कौशल विकास पर मुख्य फोकस किया। सभी ने लोकल के लिए वोकल पर जोर दिया।

दूसरे सत्र में संस्कृत कालेज खरखुरा ,गया के प्रधानाचार्य डॉ जितेंद्र कुमार ने संस्कृत, अंग्रेजी व हिंदी में विषय प्रवर्तन करते हुए शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं की चर्चा की। त्रिभाषा पैटर्न की चर्चा करते हुए उन्होंने संस्कृत को विकल्प के रूप में रखने पर आश्चर्य जताया। साथ ही कहा कि संस्कृत संकल्प की भाषा है विकल्प की नहीं, हमसभी को इसपर विचार करना है।उन्होंने छत्रों के समग्र विकास के लिए इस शिक्षा नीति को बेहतर बताया। कहा कि विदेशी हमारी ज्ञान परम्परा व व्यवस्था को चुराकर ही आगे बढ़ रहे हैं।

इसी सत्र में संसाधन पुरुष बीआर अम्वेदकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के यूजीसी – एमएमटीटीसी के निदेशक प्रो0 राजीव कुमार झा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 – शिक्षण प्रशिक्षण की प्रविधि एवमं शैक्षणिक संसाधनों को मौलिक संसाधनों से सम्पन्न बनाने के तौर तरीके को समझाते हुए इसे आत्म मंथन का दस्तावेज बताया। उन्होंने कहा कि मातृभाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा को पढ़ाई का माध्यम बनाना सार्थक सिद्ध होगा।यह नीति विपुल ज्ञान से भरी हुई है। इतना ही नही ,यह भाषा संरक्षण की बात करती है और पुरातन शिक्षण पद्धति को पुष्ट भी करती है। इसमें नवाचार , निपुणता, कौशलता का बेहतर समावेश किया गया है। बहुत जल्द इसके दुगामी प्रभाव देखने को मिलेंगे।

वहीं, संसाधन पुरुष संस्कृत विश्वविद्यालय के अध्यक्ष छात्र कल्याण डॉ शिवलोचन झा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन, विश्वविद्यालय में शिक्षण प्रशिक्षण के मूल्यांकन एवं प्रत्यायन प्रकिया पर विचार व्यक्त किया। उन्होंने कालेजों के आ रही परेशानियों को भी रेखांकित किया। इसके अलावा अन्य विषयों पर भी विचार विमर्श किया गया।

प्रथम सत्र में स्वागत भाषण प्रो0 विनय कुमार मिश्र ने तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो0 दिलीप कुमार झा ने किया जबकि मंच संचालन डॉ साधना शर्मा व डॉ रितेश कुमार चतुर्वेदी ने किया। इसी तरह दूसरे सत्र में मंच संचालन डॉ निशा व डॉ वरुण कुमार झा ने किया जबकि डॉ सत्यवान कुमार ने मंगलाचरण, डॉ घनश्याम मिश्र ने स्वागत भाषण एवं प्रो0 दयानाथ झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।।

आइक्यूएसी के समन्वयक डॉ नरोत्तम मिश्रा व एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक डॉ सुधीर कुमार झा दोनों सत्रों की व्यवस्था में लगे रहे। मौके पर सभी पदाधिकारी, विभाग अध्यक्ष, छात्र व कर्मी मौजूद रहे।