#MNN@24X7 दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में मानविकी एवं वाणिज्य संकाय के पीजीआरसी की महत्वपूर्ण बैठक विश्वविद्यालय के सभागार में हुई। बैठक में कुल 154 शोध- प्रारूप स्वीकृत किए गए, जिनमें विभिन्न विभागों के 152 पीएच डी के तथा उर्दू विभाग के 2 डीलीट् शोध- प्रारूप शामिल हैं। वहीं प्रबंधन के एक शोध- प्रारूप अस्वीकृत किए गए।
परीक्षा नियंत्रक डा आनंद मोहन मिश्र तथा उप परीक्षा नियंत्रक प्रथम डा नवीन कुमार सिंह ने बताया कि अंग्रेजी में 19, हिन्दी में 24, मैथिली में 36, दर्शनशास्त्र में 9, संस्कृत में 25, उर्दू में 24, वाणिज्य में 10 तथा प्रबंधन में 6 पीएच डी हेतु तथा उर्दू में 2 डिलीट् हेतु शोध प्रारूप स्वीकृत किए गए।
अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह ने कहा कि शोध- कार्य में अंतर विषयक शोध को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए। साथ ही भारतीय संस्कृति को प्रमुखता देते हुए यदि शोध कार्य किए जाते हैं तो यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के प्रावधान के अनुरूप होगा। उन्होंने प्रत्येक विभागाध्यक्षों से कहा कि यदि संभव हो तो प्रत्येक विभाग विश्वविद्यालय की स्थापना काल से ही विभाग में अब तक हुए शोध विषयों का डाटाबेस तैयार करें।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से अनुमति प्राप्त कर विभागीय शोध परिषद में एक बाह्य विषय विशेषज्ञ को आमंत्रित कर डीआरसी कराया जाए। कुलपति ने बताया कि बिहार सरकार शोधार्थियों के लिए शोध प्रोत्साहन राशि देने की योजना बना रही है। यदि ऐसा होता है तो शोधार्थियों को शोध कार्य करने में अत्यधिक सुविधा होगी।
बैठक में प्रति कुलपति प्रो डॉली सिन्हा, कुलसचिव प्रो मुश्ताक अहमद, प्रो बिमलेन्दु शेखर झा, डा अवनि रंजन सिंह, प्रो अरुण कुमार सिंह, परीक्षा नियंत्रक डा आनंद मोहन मिश्र, उप परीक्षा नियंत्रक प्रथम डा नवीन कुमार सिंह, वाणिज्य के संकायाध्यक्ष प्रो बीबीएल दास, मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो ए के बच्चन, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो मंजू राय, हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो राजेन्द्र साह, मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो रमेश झा, दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डा रुद्रकांत अमर, संस्कृत विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो, उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो आफताब अशरफ व वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो अजीत कुमार सिंह, विभिन्न विभागों के आमंत्रित प्राध्यापक एवं सह प्राध्यापक तथा परीक्षा विभाग के कर्मी उपस्थित थे।
प्रति कुलपति प्रो डॉली सिन्हा ने कहा कि सभी पर्यवेक्षक अपने शोधार्थियों से शोध की गुणवत्ता बेहतरीन करने पर ध्यान देंगे। शोधार्थी थोड़ा अधिक समय ले, पर शोध- प्रबंध स्तरीय अवश्य हो, क्योंकि हमलोग शोध की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करेंगे।
सदस्यों का स्वागत करते हुए कुलसचिव प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने कहा कि शोध प्रारूपों को विभागीय स्तर पर ही पूरी तरह जांच- पड़ताल हो जानी चाहिए, ताकि पीजीआरसी में बेहतर ढंग से उसे स्वीकृति दी जा सके। विभागाध्यक्ष इस बात का भी ध्यान रखेंगे कि किन विषयों पर शोध- कार्य हो चुके हैं। शोध में पूनरावृत्ति न हो इसका विशेष ध्यान रखेंगे।
कुलसचिव ने बताया कि सरकार के निर्देशानुसार सभी शोध- प्रबंधों के सीडी शोधगंगा पर डाले जाएगे, ताकि नकल पकड़ा जा सके। यदि वास्तव में नकल के आधार पर शोध- प्रबंध तैयार किए जाएंगे तो हम सब की भी बदनामी होगी। बैठक के अंत में धन्यवाद ज्ञापन परीक्षा नियंत्रक का डा आनंद मोहन मिश्र ने दिया।