अत्यंत गौरवपूर्ण है यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी: प्रो दिलीप कुमार चौधरी
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आम लोगों तक उनकी भाषा में विज्ञान की बातें पहुंचाने के लिए दृढ़ संकल्प केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार ने मैथिली भाषी में तेज गति से व्यापक काम करने के लिए दरभंगा स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की प्रीमियर अंगीभूत इकाई सीएम साइंस कॉलेज के साथ समझौता किया है।
विज्ञान प्रसार के स्कोप के तहत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के टेक्नोलॉजी भवन में बुधवार को मैथिली भाषा के कोर कमिटी की बैठक हुई। इस बैठक के बाद विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पराशर और सीएम साइंस कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने एमओयू पर हस्ताक्षर किया। इस समझौता के बाद मैथिली में निरंतर प्रकाशित हो रही पत्रिका विज्ञान रत्नाकर के साथ ही पुस्तक प्रकाशन, ऑडियो-वीडियो निर्माण, मिथिला के हर स्कूल तक मैथिली में विज्ञान के प्रचार-प्रसार को तेज किया जा सकेगा।
समझौता पर हस्ताक्षर करने के बाद विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पराशर ने कहा कि स्कोप के तहत हम तमाम भारतीय भाषाओं में काम कर रहे हैं। बीते करीब डेढ साल से मैथिली में भी कुछ अच्छे काम हो रहे हैं। आज कोर कमिटी की सहमति से दरभंगा के सीएम साइंस कॉलेज के साथ समझौता किया गया है। हमने अगले एक वित्तीय वर्ष के लिए रोडमैप तैयार किया है। हमारी पूरी कोशिश होगी कि हर मैथिली भाषी तक विज्ञान की बात उनके ही शब्दों में पहुंचाने में कामयाब हो सकें। इसके लिए हमारे पास समर्पित टीम है।
सीएम साइंस कॉलेज दरभंगा के प्रधानाचार्य प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात है कि केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार ने हमें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी प्रदान की है। यह हमारे कॉलेज के साथ ही संपूर्ण मिथिला के लिए गौरव की बात है। हम विज्ञान प्रसार के साथ मिलकर विज्ञान के क्षेत्र में बेहतर काम करेंगे।
इससे पूर्व देश के जाने माने वैज्ञानिक सह डीवाई पाटिल विश्वविद्यालय, पुणे के कुलपति डॉ प्रभात रंजन की अध्यक्षता में मैथिली भाषा के कोर कमिटी की बैठक हुई। अपने अनेक अनुभव साझा करते हुए उन्होंने मैथिली में किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए आगे की बेहतरी के लिए अनेक निर्देश दिए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि विज्ञान प्रसार गांव-गांव तक विज्ञान की पहुंच बनाने में बेहतर कार्य कर रहा है, इसलिए मैथिली कोर कमिटी के सदस्यों को पूरी तन्मयता के साथ काम करना होगा। वहीं, विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिक डॉ कपिल त्रिपाठी ने इसके प्रचार-प्रसार में विपनेट की भूमिका को रेखांकित किया।
कोर कमिटी की बैठक में दिल्ली विश्वद्यिलय के प्रो इन्द्रकांत सिंह, प्रो रूबी मिश्रा, रांची विश्वविद्यालय के डॉ आनंद कुमार ठाकुर, विज्ञान प्रसार के मानवर्धन कंठ, आलोक कुमार, डॉ प्रकाश झा, सुभाष चंद्र, संजीव सिन्हा, रौशन झा, सीएम सांइस कॉलेज के शिक्षक डॉ सुजीत कुमार चौधरी एवं डॉ सत्येंद्र कुमार झा उपस्थित रहे। सभी ने विज्ञान प्रसार के लिए आगामी एक साल के दौरान मैथिली में क्या सब काम किया जा सकता है, इसको लेकर गहन विचार-विमर्श किया।