संस्कृत साहित्य में निहित ज्ञान- विज्ञान से न केवल व्यक्ति, बल्कि पूरे समाज एवं राष्ट्र का समुचित विकास संभव- डा घनश्याम।

अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र संस्कृत में निहित ज्ञान- विज्ञान, भारतीय संस्कृति तथा उत्कृष्ट मानवीय मूल्यों के उन्नयन में सहायक- डा चौरसिया।

#MNN@24X7 ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा संचालित “अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र” के द्वारा पाठ्य पुस्तक वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर पीजी संस्कृत विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में जनता कोशी कॉलेज, बिरौल के संस्कृत- प्राध्यापक डा शिव कुमार, अनौपचारिक संस्कृत शिक्षक अमित कुमार झा, केन्द्राधिकारी डा आर एन चौरसिया, संस्कृत- प्राध्यापिका डा ममता स्नेही तथा संस्कृत विश्वविद्यालय में संचालित न्यास योग एवं तनाव प्रबंधन के समन्वयक डा उपासना कुमारी आदि ने विचार व्यक्त किए, जबकि राकेश कुमार, रामनाथ राम, आदित्य चौधरी, सदानंद विश्वास, नजमा हसन, रानी कुमारी, अमित वत्स, सुभाष कुमार कामत, अतुल कुमार झा, विकास कुमार यादव, सोनाली मंडल, रितु कुमारी, राजा कुमार पासवान, निरुप मैटी, सविता आनंद, विकास कामत, राजकुमार चक्रवर्ती, कृष्ण देव पासवान, दिनेश कुमार, मंजू अकेला, विद्यासागर भारती, योगेंद्र पासवान, मंजीत कुमार चौधरी तथा उदय कुमार उदेश आदि उपस्थित थे।

पीजी संस्कृत के अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र में ₹500 मात्र से ऑनलाइन पंजीकृत छात्र- छात्राओं के बीच वर्णमाला, वाक्यव्यवहार:, वाक्यविस्तर:, संभाषणम् तथा परिशिष्टम् नामक ₹2000 मूल्य की 5 पुस्तकों का वितरण किया गया।
विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो ने कहा छात्र डिग्री के साथ- साथ ज्ञान भी प्राप्त करें, तभी उसकी सार्थकता सिद्ध होगी। संस्कृत साहित्य में निहित ज्ञान- विज्ञान से न केवल व्यक्ति, बल्कि पूरे समाज एवं राष्ट्र का समुचित विकास संभव है। उन्होंने कहा कि भाषा सतत अभ्यास से ही आती है। छात्रों के लिए इस केन्द्र की महती आवश्यकता है, जिसका लाभ यहां के लोग अधिक से अधिक उठा सकते हैं।

केन्द्राधिकारी डा आर एन चौरसिया ने छात्र-छात्राओं का स्वागत करते हुए कहा कि अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र संस्कृत में निहित ज्ञान- विज्ञान, भारतीय संस्कृति तथा उत्कृष्ट मानवीय मूल्यों के उन्नयन में सहायक है। उन्होंने अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण के राष्ट्रीय संयोजक डा रत्न मोहन झा के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह अंशकालीन कोर्स है, जिसके लिए केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित सचित्र पाठ्य सामग्रियों के माध्यम से प्रशिक्षित शिक्षकों के द्वारा सरलतम पद्धति से संस्कृत भाषा सिखाई जाती है।

मुख्य वक्ता के रूप में जे के कॉलेज, बिरौल के संस्कृत- शिक्षक डा शिव कुमार ने कहा कि यह कोर्स सैद्धांतिक न होकर व्यावहारिक है, जिससे छात्र समझकर अधिक से अधिक अभ्यास करें तो उनका न केवल ज्ञानवर्धन होगा, बल्कि संस्कृत संभाषण भी उन्हें आसानी से आ जाएगा।
अनौपचारिक संस्कृत शिक्षक अमित कुमार झा ने कहा कि अनौपचारिक संस्कृत की आगामी परीक्षा 24 जून को ऑनलाइन माध्यम से होगी, जबकि ऑनलाइन माध्यम से ही निःशुल्क परीक्षा प्रपत्र भरे जा रहे हैं। परीक्षा में सफल घोषित छात्र- छात्राओं को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे।

आगत अतिथियों का स्वागत एवं संचालन करते हुए विभागीय प्राध्यापिका डा ममता स्नेही में कहा कि उक्त पांच पुस्तकें उच्च स्तरीय एवं सरलतम रूप में हैं जो छात्रों के लिए स्वयं शिक्षक के रूप में कार्य करेंगे।