संस्कृत- साहित्य में वैज्ञानिक चिन्तन विषयक भाषण- प्रतियोगिता में अक्षय- प्रथम, अमन- द्वितीय तथा चन्द्रशेखर एवं रितु ने पाया तृतीय स्थान
#MNN@24X7ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के तत्वावधान में 25 से 31 अगस्त, 2023 के बीच सप्त दिवसीय “संस्कृत- सप्ताह” समारोह प्रारंभ हुआ, जिसमें विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो, विभागीय प्राध्यापक डा आर एन चौरसिया एवं डा ममता स्नेही, अनौपचारिक संस्कृत- शिक्षक अमित कुमार झा, शोधार्थी- सोनाली मंडल एवं चन्द्रशेखर झा, छात्र- अतुल कुमार झा, वैष्णवी कुमारी, सतीश कुमार चौरसिया, विकास कुमार यादव, राजा कुमार पासवान, कृष्ण मोहन कुमार गुप्ता, सुधा कुमारी, जेआरएफ- सदानंद विश्वास, मणि पुष्पक घोष एवं रितु कुमारी, छात्र- अमन कुमार झा, अक्षय कुमार झा, भक्ति रानी, प्रीति कुमारी, पुष्पम कुमारी, पूजा कुमारी, चांदनी कुमारी, विद्यासागर भारती, योगेन्द्र पासवान तथा उदय कुमार उदेश आदि ने भाग लिया।
आज “संस्कृत- साहित्य में वैज्ञानिक चिन्तन” विषयक भाषण प्रतियोगिता का उद्घाटन करते हुए विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो ने कहा कि संस्कृत- दिवस कार्यक्रम प्रतिवर्ष इस विभाग द्वारा मनाया जाता है। भाषण- प्रतियोगिता का विषय अति महत्वपूर्ण एवं समसामयिक है। संस्कृत न पढ़ने वालों की शिक्षा अधूरी मानी जाती है। यदि कोई संस्कृत से दूरी बनाते हैं तो इसमें संस्कृत भाषा का कोई दोष नहीं, बल्कि संबंधित व्यक्ति में जरुर कोई न कोई कमी है। संस्कृत- साहित्य में वर्णित वैज्ञानिक चिंतन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वैदिक गणित आसानी से और जल्दी गणना करने में सक्षम है। आर्यभट्ट, वराहमिहिर, चरक तथा सुश्रुत आदि संस्कृत- वैज्ञानिकों की रचनाओं में वैज्ञानिक तथ्य पर्याप्त रूप में दिखाई पड़ता है।
समारोह के संयोजक डा आर एन चौरसिया ने स्वागत एवं संचालन करते हुए कहा कि ऐसी प्रतियोगिताओं के माध्यम से छात्र- छात्राओं में संस्कृत ज्ञान का प्रचार- प्रसार किया जा सकता है। संस्कार एवं संस्कृति की मूल आधारशिला एवं संवाहिका संस्कृत ज्ञान- विज्ञान का अक्षय स्रोत है। संस्कृत सप्ताह के दौरान संस्कृत के शिक्षक एवं छात्र- छात्राएं न केवल सैद्धांतिक कार्यक्रम करेंगे, बल्कि व्यावहारिक रूप से बीच- बीच में अपने समाज के अभिभावकों को संस्कृत अध्ययन के महत्व को बताते हुए अपने से छोटे छात्र- छात्राओं के बीच संस्कृत- शिक्षा का दान करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिताओं में सफलता एवं असफलता के बीच अल्प दूरी होती है, जिसमें कोई जीतता है तो कोई सीखना है।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संस्कृत- प्राध्यापिका डा ममता सनेही ने संस्कृत सप्ताह एवं संस्कृति के महत्व से छात्र- छात्राओं को अवगत कराया।
निर्णायक मंडल के सदस्य के रूप में डा आर एन चौरसिया, डा ममता स्नेही तथा अमित कुमार झा के संयुक्त निर्णयानुसार भाषण- प्रतियोगिता में अक्षय कुमार झा ने प्रथम, अमन कुमार झा ने द्वितीय तथा चन्द्रशेखर झा एवं रितु कुमारी ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया।