‘राष्ट्रीय युवा सप्ताह’ के अवसर पर नेहरु युवा केन्द्र एवं पावन युवा मंडल के द्वारा मिथिला पेंटिंग प्रदर्शनी आयोजित।
मिथिला पेंटिंग एक अद्वितीय कला जो व्यक्ति को मान- सम्मान, विशेष पहचान तथा बड़ा पुरस्कार दिलाने में सक्षम- डा चौरसिया।
#MNN@24X7 दरभंगा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग में नेहरु युवा केन्द्र, दरभंगा तथा पावन युवा मंडल, लहेरियासराय के संयुक्त तत्वावधान में ‘राष्ट्रीय युवा सप्ताह के दौरान “कौशल विकास दिवस” के सुअवसर पर मिथिला पेंटिंग्स की प्रदर्शनी हेतु स्टॉल लगाया गया, जिसे संस्कृत सहित विभिन्न विभागों के छात्र- छात्राओं ने सूक्ष्मता से देखा, खुब सराहा एवं प्रेरणा भी प्राप्त किया।
नेहरु युवा केन्द्र के बहादुरपुर प्रखंड की स्वयंसेविका पूजा कुमारी तथा संगीता कुमारी एवं स्वयंसेवक संजीव कुमार के नेतृत्व में लगायी गयी प्रदर्शनी में अक्षय कुमार झा, अंजली कुमारी, अवंतिका कुमारी, ज्योति कुमारी, निधि कुमारी, अमीषा, श्यामवती, साकेत तथा रंजन कुमार आदि ने उपस्थित होकर पूछताछ किया तथा मिथिला पेंटिंग में कौशल प्राप्त करने की दृढ़ इच्छा व्यक्त किया।
फीता काटा कर प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए संस्कृत के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि मिथिला पेंटिंग पूरे मिथिलांचल की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है जो मिथिला की बड़ी पहचान भी है। इसमें रोजी- रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। मिथिला पेंटिंग की मांग न केवल पूरे देश में, बल्कि विदेशों में भी तेजी से बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि मिथिला पेंटिंग्स कोई भी गरीब, अशिक्षित, महिला, युवा- युवती भी सीखकर कम साधनों में कर सकते हैं। इस स्वरोजगार का प्रशिक्षित कोई भी व्यक्ति शीघ्र आत्मनिर्भर हो सकता है। इसे अपने घर में भी आसानी से अतिरिक्त समय में किया जा सकता है।
डा चौरसिया ने कहा कि मिथिला पेंटिंग्स एक अद्वितीय कला है जो आय का अतिरिक्त एवं बड़ा साधन हो सकता है। मिथिला पेंटिंग को हम देवी- देवताओं के चित्र, साड़ी, ब्लाउज, टेबल क्लॉथ, रुमाल आदि पर कर सकते हैं और अपने अतिथियों को स्मृतिचिह्न के रूप में भी दे सकते हैं। यह व्यक्ति को मान- सम्मान, विशेष पहचान तथा बड़ा पुरस्कार दिलाने में सक्षम है।