#MNN@24X7 दरभंगा, आज दिनांक 17.08.23 को विश्वविद्यालय हिंदी विभाग, ल०ना०मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में प्रो० राजेन्द्र साह और प्रो० उमेश कुमार ‘उत्पल’ के सम्मान में समारोह का आयोजन किया गया।
विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के अध्यक्ष के रूप में प्रो० उमेश कुमार ‘उत्पल’ की ताजपोशी और प्रो० राजेन्द्र साह के कार्यकाल के समापन के अवसर पर कई विभागों के अध्यक्ष, शिक्षक और शोधार्थियों ने अध्यक्षद्व्य को बधाई और भविष्य हेतु शुभकामनाएं दी। मिथिला की परंपरा के अनुसार दोनों अध्यक्षों को पाग-चादर, पुष्पगुच्छ आदि से सम्मानित करने के बाद हिंदी विभाग के शिक्षकों एवं मानविकी संकाय के अध्यक्ष प्रो० ए०के० बच्चन ने अपने उद्बोधन से इस समारोह को समृद्ध और विस्तृत किया।
इस अवसर पर प्रो० बच्चन ने कहा कि कई बार दोनों ही अध्यक्षों के साथ कार्य करने का अवसर मिला और दोनों के साथ काम कर के जो शांति मिली वह अद्वितीय है। कार्य के प्रति दोनों ही अध्यक्षों की ईमानदारी हमें प्रेरित करती है।
इस अवसर पर अध्यक्ष प्रो० उमेश कुमार उत्पल ने कहा कि स्वाभाविक रूप से मेरे लिए यह खुशी का मौका है और मेरे लिए यह पुनः घर लौटने जैसा है। उन्होंने इसका कारण उद्घाटित करते हुए यह बताया कि मैंने इस विभाग से ही उच्च शिक्षा ग्रहण की है। ‘मैत्रेयी’ पत्रिका की शुरुआत कैसे अपने छात्र जीवन में उन्होंने की थी और महादेवी वर्मा से पत्राचार किया था यह संस्मरण सुना कर उन्होंने अपनी वाणी को विराम दिया।
पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो० राजेन्द्र साह ने इस अवसर पर कहा कि इस काल में कई इतिहास गढ़े गए, मसलन कोरोना काल में इंटरनेट से पढ़ाई हो या ऑनलाइन पीएचडी यह सभी कार्य ऐतिहासिक थे। प्रो० साह ने कहा कि मैंने कार्यकाल के अंतिम दिन तक विभाग के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया। शोधार्थियों को आशीर्वाद देते हुए उन्होंने कहा कि आप सभी से बड़ी अपेक्षाएं हैं।
मौके पर डॉ० सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने कहा कि यह विरह-मिलन की बेला है लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि प्रो०साह का कार्यकाल ऐतिहासिक रहा क्योंकि जितनी संगोष्ठियां और जितनी पीएचडी इनके कार्यकाल में हुई वह अतुलनीय है। विभाग का पूर्ण कायाकल्प करने का श्रेय भी उन्होंने प्रो० साह को दिया। प्रो० उमेश कुमार की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि वे प्रकांड विद्वान हैं, न केवल हिंदी साहित्य के क्षेत्र में बल्कि कला के क्षेत्र में भी।
डॉ० मंजरी खरे ने इस अवसर पर कहा कि प्रो० साह हमेशा सतत प्रयत्नशील रहने की बात किया करते थे, चाहे जितनी भी बाधाएं आएं उससे लड़ते-टकराते आगे बढ़ना ही जीवन का नाम है। डॉ० खरे ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि प्रो० साह का मार्गदर्शन और आशीर्वाद हमें आगे भी मिलता रहेगा। प्रो० उमेश कुमार का स्वागत करते हुए डॉ० खरे ने कहा कि वे निश्चितरूप से वे विभाग को नई ऊँचाइयों पर ले जाएंगे।
कई शोधार्थियों एवं छात्रों ने भी इस अवसर पर अपनी बात रखी, मौके पर कृष्णा अनुराग, अभिषेक कुमार सिन्हा, समीर कुमार, शिखा, सरिता, पुष्पा, सियाराम, दुर्गानन्द समेत बड़ी संख्या में शोधार्थी और छात्र उपस्थित रहे। मंच का संचालन विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के सह प्राचार्य डॉ० आनन्द प्रकाश गुप्ता ने किया।