•विश्व गुर्दा दिवस 2022 का थीम ”किडनी हैल्थ फॉर ऑल’’
•जिले मे गुर्दा रोगी की संख्या 23
मधुबनी /10 मार्च
विश्व भर में गुर्दे रोगों के जागरूकता के लिए 10 मार्च को प्रतिवर्ष विश्व गुर्दा दिवस मनाया जाता है जिसका उद्देश्य लोगों में गुर्दे के प्रति जागरूकता लाना है. कार्यक्रम को लेकर सदर अस्पताल के डायलसिस विभाग में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. विश्व गुर्दा दिवस 2022 का थीम ”किडनी हैल्थ फॉर ऑल’’ रखा गया है। यह दुनियाभर में गुर्दे के रोगों से ग्रस्त लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का आह्वान करता है। गुर्दों रोगों से बचाव और इसके प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता है। किडनी के रोगों से बचाव के लिए लोगों को नियमित रूप से जांच करानी चाहिए और साथ ही, सेहतमंद जीवनशैली को अपनाना चाहिए। इसके अलावा, मरीज़ों के बीच उपचार संबंधी भ्रांतियों को दूर कर उन्हें सही समय पर सही चिकित्सा सलाह लेने का सही संदेश भी देना चाहिए।” सिविल सेर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया ‘किडनी रोग से जिले के सदर अस्पताल मे 23 लोग इलाज रत हैं। जिसमें अधिकतर लोग राशन कार्ड धारी हैं. प्रधानमंत्री डायलिसिस योजना के तहत इन मरीजों को मुफ्त में इलाज किया जाता है जो डायलिसिस के सहारे अपनी जिंदगी गुजार रहे है। डायलिसिस की जरूरत उन लोगों को पड़ती है, जो स्थायी रूप से किडनी की समस्या से पीड़ित होते हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि डायलिसिस करवाने वाले सामान्य और सेहत भरी जिंदगी नहीं जी सकते हैं। ‘
क्या है डायलिसिस:
नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर संतोष प्रकाश ने बतया डायलिसिस ब्लड प्यूरिफिकेशन यानी खून को शुद्ध करने का एक कृत्रिम विधि या आर्टिफिशियल तरीका होता है। इस प्रक्रिया में मरीजों के खून में जमा कचरा, विषाक्त पदार्थ और पानी की अधिक मात्रा को निकाला जाता है। डायलिसिस से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन भी बना रहता है, लिहजा क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी ) से पीड़ित मरीजों को डायलिसिस के जरिए शरीर में यह महत्वपूर्ण संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
कब पड़ती है डायलिसिस प्रक्रिया की जरूरत:
डॉक्टर डीएस मिश्रा ने बतया डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है, जब किसी व्यक्ति के गुर्दे (किडनी ) सही से काम नहीं कर रहे होते हैं यानी किडनी पूरी तरह से फेल हो जाता है। किडनी से जुड़े रोगों , लंबे समय से डायबिटीज के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है। सिविल सेर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बतया , ‘किसी व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य में क्वालिटी ऑफ लाइफ (क्यूओएल) एक सूचकांक होता है, जो न सिर्फ शारीरिक बल्कि मस्तिष्क स्वास्थ्य क्वालिटी ऑफ लाइफ व्यक्ति के स्वास्थ्य और खुशहाली, उसकी सकारात्मक और नकारात्मक भावनाओं, मूड डिसऑर्डर और नियमित कार्यों का जिम्मा संभालने या उनमें हिस्सा लेने की क्षमता का सूचक माना जाता है। डायलिसिस कराने वाले मरीजों में क्यूओएल सूचकांक आमतौर पर कई कारणों से निम्न स्तर पर रहता है। इसे कुछ आसान उपाय और फैसले अपनाते हुए मरीजों की अच्छी सेहत के लिए बदला जा सकता है।’
मौके पर अस्पताल अधीक्षक डॉ डीएस मिश्रा, नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर संतोष प्रकाश, डॉ मधुरेंद्र, अस्पताल प्रबंधक अब्दुल मजीद, केयर इंडिया के डीटीएल महेंद्र सिंह सोलंकी, डायलिसिस प्रभारी रोशन कुमार आदि उपस्थित थे