टीबी हारेगा देश जीतेगा के नारे से गुंज उठा परिसर।

यक्ष्मा रोग के प्रसार को रोकने के लिये जागरूकता जरूरी- सिविल सर्जन।

दरभंगा. 24 मार्च. विश्व यक्ष्मा दिवस पर सिविल सर्जन कार्यालय परिसर से लोगों में जागरूकता को लेकर रैली निकाली गई. सीएस डॉ अनिल कुमार ने रैली को रवाना किया जो सिविल सर्जन कार्यालय के परिसर से होकर लेप्रोसी अस्पताल होते हुए एआरटी सेंटर, डीएमसीएच परिसर होते हुए वापस टीवीडीसी कार्यालय परिसर तक पहुंचा. सिविल सर्जन ने कहा कि रैली का मुख्य उद्देश आम जनों में यक्ष्मा बीमारी के प्रति जागरूकता का संदेश प्रसारित करना है, जिससे सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे हैं मुफ्त जांच एवं इलाज की जानकारी लोगों को मिल सके. उन्होंने कहा कि विश्व यक्ष्मा दिवस 2021 का मुख्य स्लोगन टीवी हारेगा देश जीतेगा है. इस अभियान को सभी लोगो तक पहुंचाने के लिये व्यापक प्रचार प्रसार किए जाने की आवश्यकता है, ताकि यक्ष्मा बीमारी से ग्रसित लोगों को सरकारी सुविधा मुहैया कराई जा सके. बताया कि निश्चय पोषण योजना के तहत यक्ष्मा के मरीजों को इलाज के दौरान पांच सौ रूपये की आर्थिक लाभ की सुविधा दी जाती है. मौके पर मौके पर एसीएमओ डॉ सुधांशु शेखर झा, संचारी रोग पदाधिकारी डॉ सत्येंद्र कुमार मिश्रा, डीभीबीडीओ पदाधिकारी डॉ जयप्रकाश महतो, डीपीएम विशाल कुमार सिंह आदि मौजूद थे.

2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना लक्ष्य:
सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने टीबी उन्मूलन के लिए 2025 का वर्ष निर्धारित किया है. इसके लिए जमीनी स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है. वहीं लोगों को भी समेकित रूप से जागरूकता के लिये प्रयास करना होगा. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रखंड में समुदाय स्तर तक कार्य कर रही है और ज्यादा से ज्यादा रोगियों की खोज और उपचार संपूर्ण लक्ष्य है, जिससे टीबी पर विजय पाई जा सके.

नियमित रूप से लें दवा:
सिविल सर्जन ने कहा कि टीबी पूर्ण रूप से ठीक होने वाली बीमारी है, बशर्ते वह नियमित रुप से दवा का सेवन करें. टीबी के रोगियों को नि:शुल्क दवा का वितरण सरकारी अस्पतालों के द्वारा किया जाता है. प्रत्येक प्रखंड में स्पुटम जांच की व्यवस्था की गई है. उन्होंने बताया कि सभी लोगों को इसका लाभ लेनी चाहिये. इसके लिये सभी आमजनों का सहयोग अपेक्षित है. इसे जन आंदोलन के रूप में लेने की जरूरत है, ताकि सुदुर गांवों व कस्बों मे रह रहे लोगों को इसकी जानकारी मिल सके. इस अभियान को सफल बनाने के लिये स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों के अलावा अन्य लोगों को भी आगे आना होगा. इस प्रकार हम यक्ष्मा के प्रति लोगों को सचेत कर सकते हैं.