दरभंगा।राजकीय महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान, मोहनपुर, दरभंगा के मुख्य परिसर में विश्व वानिकी दिवस पर वृक्षारोपण किया गया। 21 मार्च को पूरे विश्व में वृक्षों के संरक्षण हेतु ” विश्व वानिकी दिवस” के रूप में मनाया जाता है। प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने यह बताया कि आयुर्वेद में वृक्षों के महत्व को बतलाते हुए यह वर्णन आया है कि सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा ने जीवों के उत्पत्ति के पूर्व ही उनकी संवर्धन एवं स्वास्थ्य संरक्षण के लिए वृक्षों को उत्पन्न किया था।

मानव जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति पेड़ -पौधों से ही होती है। संतुलित पर्यावरण के बीच ही हमारा जीवन पलता फूलता है। पेड़ों के बिना जीवन की कल्पना करना भी असंभव है। विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा आयुर्वेद जिसका लक्ष्य – स्वस्थ्य मनुष्य की स्वास्थ्य की रक्षा करना एवं रोगी मनुष्य के रोगों को दूर करना है। आयुर्वेद अपने इन दो प्रयोजनों की पूर्ति हेतु पूर्ण रूप से औषधियों पर निर्भर है। विगत कुछ दशकों पूर्व से विकास के नाम पर वृक्षों की अंधाधुन कटाई की गई है। जिससे हमारा पर्यावरण काफी असंतुलित हुआ है। परिणाम स्वरूप नाना प्रकार की व्याधियों की उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। पेड़ों के बिना जीवन की कल्पना करना भी असंभव है। अतः धरती पर जीवन को संभव बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक संख्या में पेड़ को लगाना होगा। वृक्ष एक अनमोल संपदा है। यह पृथ्वी का गहना है। जल ही जीवन है और जल चक्र को बनाए रखने की में पेड़ -पौधों की अहम भूमिका होती है।
कार्यक्रम के आयोजक डॉ दिनेश कुमार ने बताया की आयुर्वेद में औषधियों को माता की संज्ञा दी गई है। यह हमारे जीवन संरक्षण के साथ-साथ रोग निवारण में भी प्रयुक्त होती है। मानव जीवन को बचाने के लिए वृक्ष को हमें निश्चित रूप से बचाना होगा। डॉ विनय कुमार शर्मा ने बताया कि वेदों में भी वृक्ष के महत्व का वर्णन किया गया है‌। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने पीपल ,आम पाकड़ आदि वृक्षों को स्वयं अपना रूप बताया है । विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर महाविद्यालय परिसर में नाना प्रकार की औषधियों का रोपण किया गया साथ ही साथ ग्रामीण जनों को वृक्ष के महत्व के बारे में बताया गया ।इस कार्यक्रम के माध्यम से वृक्षारोपण के प्रति आम जनों के बीच में जागरूकता पैदा की गई। इस कार्यक्रम के अवसर पर बिरजू कुमार ,अजीत कुमार, अर्चना कुमारी ,अमृता कुमारी ,रूपम कुमारी, सोनू एवं ग्रामीण जन उपस्थित थे।
20 मार्च 2022 को विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर ग्रामीणों के बीच गौरैया के कृत्रिम घोंसला को बनाने की विधि ग्रामीणों को बताया गया एवं उनके कृत्रिम घोंसला को बाटा भी गया। गौरैया का मानव जीवन से वैज्ञानिक संबंध है इस पर प्रकाश डालते हुए प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने यह बताया कि गौरैया के कारण हमारे पर्यावरण में संतुलन बना रहता है। गौरैया पंक्षी की संख्या में उत्तरोत्तर कमी आने के कारण फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है ‌। वर्तमान समय में कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग बढ़ा है। परिणामस्वरूप आहार श्रृंखला पर प्रभाव पड़ा है। आज किडनी संबंधित बिमारियां, मधुमेह, कैंसर आदि रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके पीछे हमारी आहार श्रृंखला का दूषित होना भी एक मुख्य कारणों में से एक है। डॉ दिनेश कुमार ने बताया कि हमें पर्यावरण एवं अपने स्वास्थ्य को दृष्टिकोण में रखते हुए प्रकृति की अनमोल धरोहर गौरैया पंक्षी को हमें बचाना होगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से आम जनों के बीच गौरैया संरक्षण हेतु उपायों पर प्रकाश डाला गया और हर घर- आंगन में पानी एवं अन्न् के दाना को रखने के लिए सुझाव दिया गया ।


प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने यह जानकारी दी की 22 मार्च को बिहार दिवस के अवसर पर महाविद्यालय परिसर में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जिसमें बिहार की संस्कृति एवं सभ्यता के साथ-साथ आयुर्वेद के विकास में बिहार की भूमिका पर चर्चा की जाएगी।