वेक्टर बार्न डिजीज से बचाव व नियंत्रण के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

#MNN@24X7 दरभंगा. वेक्टर बार्न डिजीज पर नियंत्रण व सामाजिक जागरूकता को लेकर बुधवार को पीसीआई की ओर से जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सीएस डॉ अनिल कुमार सिन्हा, एसीएमओ डॉ एसएस झा, डीआईओ डॉ एके मिश्रा व डीएमओ डॉ जेपी महतो ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उदघाटन किया.

मौके पर पीसीआई के जोनल कोऑर्डिनेटर जुलेखा फातिमा ने पीपीटी के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मियों को इन बीमारियों से बचाव व नियंत्रण के बारे में सीएचओ, बीएचआई, बीएचडब्लयू, बीसीएम, भीबीडीएस कर्मी को प्रशिक्षित किया. भीडीसीओ आशुतोष कुमार ने कालाजार, बबन प्रसाद ने एइस, जेई व मलेरिया एवं केयर इंडिया के डीपीओ धीरज कुमार सिंह ने फायलेरिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी.

प्रशिक्षण के दौरान अपने- अपने क्षेत्रों में लोगों को इन बीमारियों के लक्षण, बचाव व उपचार को लेकर जागरूकता फैलाने को कहा, ताकि इस रोग पर नियंत्रण पाया जा सके. बताया कि अभी भी सुदूर गांवों में लोगों को इन रोगों के लक्षण व उपचार की सही जानकारी नहीं है. सही जानकारी के अभाव में बिचौलियों के चक्कर में पड़ जाते हैं. इससे उनको नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिये इसको रोकने के लिये लोगों को जागरूक करना जरूरी है.

क्या है वेक्टर जनित रोग

डीएमओ डॉ जेपी महतो ने कहा कि वेक्टर जनित रोग परजीवी, वायरस और बैक्टीरिया के कारण होने वाली मानव बीमारियां हैं जो वैक्टर द्वारा प्रेषित होती हैं. वेक्टर मच्छर, टिक और पिस्सू हैं जो रोगजनकों को फैलाते हैं. एक व्यक्ति जो एक वेक्टर द्वारा काट लिया जाता है और बीमार हो जाता है उसे वेक्टर जनित रोग होता है. इसके तहत लोगों को डेंगू बुखार, कालाजार, चिकनगुनिया, मलेरिया आदि रोग से ग्रसित हो जाते हैं. बताया कि डेंगू बुखार भारत में एक अत्यंत सामान्य वेक्टर जनित रोग है, जो दिन के समय फीडर एडीज इजिप्टी के मच्छर के काटने से फैलता है.

डेंगू की रोकथाम के लिये स्वच्छता जरूरी

सीएस डॉ अनिल कुमार सिन्हा ने बताया कि बारिश के मौसम में डेंगू के प्रसार की संभावना रहती है. इस स्थिति से बचाव के लिये लोगों को स्वच्छता पर ध्यान देना होगा. इसे घर- घर सुनिश्चित करें. बताया कि किसी भी जलजमाव वाले क्षेत्रों के लिए अपने घर के परिसर की जांच करें. जलभराव वाले क्षेत्रों को साफ करें ताकि मच्छरों के प्रजनन के लिए कोई जगह न हो. ठहरे हुए पानी को त्यागें और यदि संभव न हो तो मच्छर रोधी उपायों का प्रयोग करें. इसके अलावा मच्छरों से ग्रस्त क्षेत्रों में जाने से बचें. ऐसे कपड़े पहने जो पूरे शरीर को ढक दें. मच्छर भगाने वाली दवाओं का प्रयोग करें. रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें. सुबह व शाम के समय घर के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें, ताकि मच्छर प्रवेश न कर सके.