मिथिला खाद्यन्न है विद्वानो का
मिथिला खाद्यन्न है श्रमिकों का…..जोशी
…..पचास वर्षों की अपेक्षा मिथिला में काफी विकास हुआ है….प्रो. झा

दरभंगा: वैदेही एवम् ईसमाद फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में आज एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया इस अवसर पर कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता भारतीय जनता पार्टी के पूर्व महासचिव संजय विनायक जोशी ने कहा कि मिथिला खाद्यन्न है विद्वानो का, मिथिला खाद्यन्न है श्रमिकों का और जहाँ विद्वता और श्रमिक का गठजोड़ हो वहाँ की विकास कभी बाधक नहीं बन सकता है। उन्होंने कहा कि मिथिला तथा विदेश यह देश के लिए विद्या का पावन क्षेत्र रहा है जहां शत्रु भी समाहित हो जाता है मिथिला में एतिहासिक संस्कृति रही है यहां पवित्र नदियों का संगम रहा है। हमें सोचना चाहिए कि हम आखिर पीछे क्यों है ? अगर हम दलिए टीका टिप्पणी से उठकर आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे तो निश्चित रूप से हमारे क्षेत्र राज्य और देश का विकास होगा। यह बात है आज उन्होंने दरभंगा के दिल्ली मोर स्थित होटल गोविंदा पैलेस के सभागार एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार विषय – *मिथिला का विकास : चुनौती एवम् संभावनाएं* पर उक्त बातें कही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शशि नाथ झा ने कहा कि मिथिला में पहले से हॉस्पिटल, सड़क की सुविधा में विकास हुआ है,लोगों की आर्थिक स्थिति मजूबत हुई, इसका प्रमाण इसी से दिया जा सकता है कि एक समय में मिथिला में लोग बिस्टी धारण करते थे और आज परिपूर्ण परिधान पहनते हैं। श्री झा ने कहा कि अगर चुनौती के रूप में विकास को देखें तो मिथिला में उच्च शिक्षा उदासीन बना हुआ है जिसका कारण है कि आज उच्च शिक्षा में शिक्षकों का पद खाली पड़ा है। इसका उदाहरण वर्त्तमान में मिथिला इंस्टिट्यूट है। आज मिथिला इंस्टिट्यूट में सभी शिक्षक के पद खाली पड़े है जबकि किसी जमाने में मिथिला इंस्टिट्यूट में उड़िया, बंगाली, असामिस भाषा के विद्वान कार्यरत रहते थे। आज मिथिला में उद्योगों की स्थिति नदारद है जिससे मिथिला के मजदूर पलायन का दंश झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज बाढ़ जैसी विभीषिका के लिए हर गाँवों में बाढ़ से पहले बड़े बड़े प्लेटफॉर्म बनने चाहिए जिससे बाढ़ के समय पलायन को रोका जा सकता है। संस्कृत शिक्षा बोर्ड बिहार, पटना की पूर्व अध्यक्षा डॉ भारती मेहता ने कहा कि मिथिला के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि मिथिला पूर्व की भांति मछली निर्यात में अव्वल बने। इसके लिए गाँव गाँव में पोखर को बचाना होगा। मिथिला के पर्यावरण तंत्र के संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत हैं। मिथिला से बाहर मैथिल एक पहचान साबित हो, सभी वर्गों के लिए और इसकी भाषा को संरक्षण मिले। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के मानविकी संकायाध्यक्ष मैथिली विभाग के प्रो. रमन झा ने कहा कि मिथिला का अतीत अगर देखा जाए तो मिथिला विद्या के केंद्र रही है । देश-विदेश से लोग यहां आते थे एवं धर्म शास्त्र के निर्णय का केंद्र भी रहा है मिथिला ।विद्यापति की कला प्रतिभा से अन्य प्रांतों के लोग भी कायल हुए हैं और विद्यापति को अपने आप में आत्मसात किया है एवम् मिथिला अक्षर भी सीखा । अपनी मातृभाषा को कभी नहीं छोड़नी चाहिए मातृभाषा का त्याग या छूट जाना अपनी संस्कृति से विमुख हो जाना है। संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि मिथिला जनक की धरती मां जानकी सीता की जन्मभूमि रही है यहां के लोग सभ्यता, संस्कृति और संस्कार से धनी रहे हैं। किसी भी समाज की पहचान वहां की स्मिता एवं वहां की संस्कृति से होती है। वही संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि दरभंगा एयरपोर्ट मिथिला के विकास में अहम भूमिका निभाएगा मिथिला में पर्यटन की असीम संभावनाएं बन रही है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. के बच्चन ने कहा कि मिथिला में दो तरह की चुनौती रही है एक प्रकृति एवं दूसरा गरीबी। जहां मिथिला बाढ़ से प्रभावित रही है एवं इंफ्रास्ट्रक्चर से भी उपेक्षित रही है, समाज को जाति के आधार पर बांटा जाना यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ एवं विभिन्न जैसे कारण से भी बहुत दिनों से यह क्षेत्र उपेक्षित रहा है । दर्शन के क्षेत्र में भी मिथिला अपना योगदान देते आ रहा है मिथिला पेंटिंग की सुंदरता बहुत ही अद्भुत रही है जो पूरे विश्व स्तर पर अपना परचम लहरा रही है। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत पाग चादर एवं पुष्प गुच्छ किया गया उसके उपरांत दीप प्रज्वलन कर, वेद मंत्रोच्चार से सेमिनार का विधिवत उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन स्नातकोत्तर मैथिली विभाग के प्राचार्य डॉ. नारायण झा ने किया, उन्होंने पूरे सभागार में दर्शकों के बीच ऐसा समा बांधा की चार घंटे की इस कार्यक्रम में दर्शक उनके समक्ष मूकदर्शक बने बैठे रहे। सेमिनार में स्वागत भाषण ईसमाद के न्यासी एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य संतोष कुमार ने किया। इस सेमिनार में अपनी योजनाओं को छात्र-छात्राओं नागरिकों के बीच मिथिला विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य रंजीत कुमार ने भी रखा साथ ही अमल झा द्वारा इस कार्यक्रम की वृहत रूप रेखा की जानकारी दी गई। मुख्य अतिथि श्री संजय विनायक जोशी जी का स्वागत वैदेही फाउंडेशन के सचिव, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के वित्त समिति सदस्य सीनेट सदस्य श्री गोपाल चौधरी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. आनंद मोहन झा राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. मुनेश्वर यादव, डा. जयंत कुमार झा प्रधानाचार्य डॉ. सत्यनारायण पासवान, संस्कृत विश्वविद्यालय के सिनेट सदस्य संजीव कुमार झा, डा. अवनींद्र कुमार झा, डा. राम लखन प्रसाद सिंह दर्जनों छात्र एवं छात्राएं सभागार में उपस्थित थे।