-एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत शिशु की देखभाल को ले आशा कार्यकर्ता को दी जा रही चिकित्सा किट।
-किट में दिये थर्मामीटर, डिजिटल वॉच, बेबी ब्लैंकेट से बच्चों के प्राथमिक उपचार में होगी सहूलियत।
-बच्चों में रोग का पता लगाना होगा आसान।
दरभंगा,6 अगस्त । घर पर ही नवजात के प्राथमिक उपचार के लिये स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक खास पहल की गयी है. विभाग का मानना है कि सही समय पर चिकित्सा मिलने से नवजात के मृत्यु दर में कमी होगी. इसके मद्देनजर एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत सभी आशा कार्यकर्ताओं व फैसिलिटेटर को अब किट दी जा रही है.
किट में दी गयी सामग्री से नवजात की शारीरिक दशा की जानकारी मिल सकेगी. इससे बच्चों का प्राथमिक उपचार ऑन स्पाट हो सकेगा. परिणामस्वरूप सही समय पर रोग की पहचान की जा सकेगी. इसका सकारात्मक परिणाम सामने आयेगा. बता दें कि विभाग की ओर से जिले में होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर एचबीएनसी यानि गृह आधारित नवजात के बेहतर देखभाल के लिये इसे शुरू किया गया है.
अब किट दिये जाने से आशा कार्यकर्ताओं व फैसिलिटेटर को नवजात की देखरेख में सहूलियत होगी. मालूम हो कि एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत संस्थागत व गृह प्रसव दोनों ही स्थितियों में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा घर जाकर 42 दिनों तक नवजात की खास देखभाल किये जाने का प्रावधान है. गृह आधारित देखभाल प्रक्रिया को मजबूती देने व इस कार्य में आशा कार्यकर्ताओं को सहूलियत प्रदान करने के उद्देश्य से उन्हें एचबीएनसी किट मुहैया करायी जा रही है.
जिले की आशा कार्यकर्ताओं के बीच इसका वितरण भी शुरू हो चुका है. गृह आधारित नवजात शिशुओं की देखभाल करने में आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलिटेटर अब और सशक्त होंगी. बता दें कि जिले के 3120 आशा कार्यकर्ताओं व 162 आशा फैसिलिटेटर को एचबीएनसी (गृह आधारित नवजात देखभाल) किट मुहैया करायी जा रही है.
किट में शामिल हैं सात महत्वपूर्ण सामग्री-
सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार सिन्हा ने बताया किट का वितरण आशा दिवस प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है. सभी प्रखंडों को किट उपलब्ध करायी गयी है. इस किट में डिजिटल वाच ,डिजिटल थर्मामीटर, एलईडी टॉर्च विद सेल, बेबी ब्लैंकेट, बेबी फीडिंग स्पून, किट बैग एवं वेटिंग स्केल जैसी सात सामग्री को शामिल किया गया है. इसकी मदद से गृह भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता नवजात में होने वाली समस्याओं का अच्छे से पहचान कर व जरूरी पड़ने पर उन्हें इलाज के लिये उच्च स्वास्थ्य संस्थान भेज सकेंगी.
प्रसव उपरांत बच्चों की गृह आधारित देखभाल महत्वपूर्ण–
बता दें कि एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत संस्थागत प्रसव की स्थिति में आशा कार्यकर्ता जन्म के 3, 7, 14, 21, 28 व 42 दिनों पर कुल 06 बार व गृह भ्रमण करती हैं. वहीं गृह प्रसव के मामले में 1, 3, 7, 14, 21, 28 व 42 वें दिन कुल 07 बार गृह भ्रमण करती हैं. सीएस डॉ अनिल कुमार सिन्हा ने बताया कि सभी नवजात को आवश्यक देखभाल सुविधा उपलब्ध कराना व जटिलताओं से बचाना एचएनबीसी कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है. समय पूर्व जन्म व कम वजन वाले बच्चों की पहचान व उनकी विशेष देखभाल करते हुए किसी बीमारी का शीघ्र पता लगाते हुए उपचार सुनिश्चित कराना साथ ही संबंधित परिवारों को आदर्श स्वास्थ्य व्यवहार के लिये प्रेरित करना कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है.