सीएम साइंस कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न।
#MNN@24X7 दरभंगा, पायथन में, ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग (ओओपी) एक ऐसा प्रोग्रामिंग होता है जिसका उद्देश्य कम्प्यूटिंग की दुनिया में एनकैप्सुलेशन को लागू करना होता है। इसकी मुख्य अवधारणा डेटा और उस पर काम करने वाले कार्यों को एक इकाई के रूप में एक साथ बांधना होता है, ताकि कोड का कोई अन्य भाग इस डेटा तक नहीं पहुंच सके। यह बात मंगलवार को सीएम साइंस कॉलेज के पीजी भौतिकी विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन उप्स इन पाइथन उप विषय पर व्याख्यान देते हुए सीएमआरआई, बैंगलोर के प्रोफेसर सह इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के पूर्व सेक्शनल प्रेसिडेंट प्रो पारसनाथ सिंह ने कहा।
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अपने व्याख्यान में उन्होंने ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्राम के महत्व को रेखांकित करते हुए डाटा साइंस और सांख्यिकी का विश्लेषण पाइथन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में करते हुए बताया की वर्तमान सूचना एवं तकनीक के युग में डाटा का महत्व काफी बढ़ गया है और इस कारण डाटा वैज्ञानिकों की मांग भी बड़ी ही तेजी से बढ़ रही है।
संगोष्ठी के दूसरे दिन आयोजित ऑफलाइन एवं ऑनलाइन सेशन को संबोधित करते हुए उन्होंने पाइथन में डाटा साइंस की भूमिका को भी विस्तार से बताया। ऑनलाइन मोड में जहाँ अरुणाचल प्रदेश, असम, गया और रांची आदि जगहों से प्रतिभागी जुड़े वहीं ऑफलाइन मोड में विश्वविद्यालय के पीजी भौतिकी विभाग एवं सीएम साइंस कॉलेज के भौतिकी विभाग के छात्र -छात्राओं ने अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज की।
समापन सत्र में संगोष्ठी के संरक्षक सह प्रधानाचार्य प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने संगोष्ठी को उद्देश्य पूर्ण बताते हुए इससे विशेषकर स्नातकोत्तर के छात्रों एवं अन्य प्रोफेशनल्स के लिए का उपयोगी बताया। अपने संबोधन में उन्होंने वर्तमान संदर्भ में कम्प्यूटर शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि आज का युग कम्प्युटर का युग माना जाता है। वर्तमान में कम्प्युटर के बिना जीने की कल्पना नहीं की जा सकती। शिक्षा से लेकर नौकरी और मनोरंजन की दुनिया में भी कम्प्युटर अपनी जगह एक महत्वपूर्ण बना चुका है। आज के समय में यदि किसी को कम्प्युटर चलाना नहीं आता तो वह पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी अनपढ़ के ही समान है।
मंगलवार को आयोजित तकनीकी सत्र की अध्यक्षता इंडियन साइंस कांग्रेस के आइसीटी सेक्शन के रिकार्डर एवं महाविद्यालय के भौतिकी विभाग के शिक्षक डा अजय कुमार ठाकुर ने की। अपने संबोधन में उन्होंने बहुआयामी शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में तकनीक की उपयोगिता और इसके समुचित प्रयोग में आने वाली कठिनाईयों की विशेष रूप से चर्चा की। संगोष्ठी के पहले दिन जहाँ कुल 15 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन और 7 प्रतिभागियों ने अपना पेपर प्रेजेंटेशन दिया था वहीं दूसरे दिन कुल 19 लोगों ने ऑनलाइन और 9 लोगों ने अपना पेपर प्रेजेंटेशन ऑफलाइन मोड में दिया। दूसरे दिन 5 प्रतिभागियों ने संगोष्ठी के विषय पर केन्द्रित पोस्टर प्रेजेंट किया जिसकी विशेषज्ञों ने खूब सराहना की।
भौतिकी विभाग के शिक्षक डा आशुतोष सिंह एवं डा स्वर्णा श्रेया के संयुक्त संचालन में आयोजित दूसरे दिन के कार्यक्रम के समापन सत्र में महाविद्यालय के छात्र -छात्राओं ने आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन विभाग की शिक्षिका डा रश्मि रेखा ने किया। समापन सत्र में संगोष्ठी की प्रायोजक संस्थान विनियम रिसर्च एसोसिएशन, धनबाद (झारखंड) की अध्यक्ष उमा गुप्ता एवं उनकी टीम के सदस्यों को बेहतर प्रायोजन के लिए सम्मानित किया गया।
मौके पर डा सतीश चंद्र झा, डा उमेश कुमार दास, डा सुजीत कुमार चौधरी, डा रवि रंजन, प्रवीण कुमार झा, चेतकर झा सहित महाविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्र -छात्राओं की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।