-शिक्षाशास्त्र, स्नातकोत्तर विभाग, रामेश्वर लता संस्कृत महाविद्यालय, बाबा साहेब राम संस्कृत महाविद्यालय पचाढ़ी ने दी सहभागिता।

-मेरी माटी मेरा देश के अन्तर्गत अमृत कलश यात्रा कार्यक्रम हमें संस्कृत ,संस्कृति ,विरासत एवं स्वतंत्रता को अक्षुण्ण रखने का संदेश देती है -कुलपति

#MNN@24X7 दरभंगा, कल दिनांक 13.10.2023 को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना कोषांग, स्नातकोत्तर इकाई, शिक्षाशास्त्र इकाई और महारानी अधिरानी रमेश्वर लता संस्कृत महाविद्यालय, बाबा साहब राम संस्कृत महाविद्यालय पचाढ़ी इकाई के द्वारा संयुक्त रुप से मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम के तहत अमृत कलश यात्रा निकली गई। पीआरओ निशिकांत ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने की ।

उन्होंने कहा कि संस्कृत के विना राष्ट्र वंदन असंभव है, सब कुछ संस्कृत में निहित है । यह कार्यक्रम हम सभी को संस्कृत, संस्कृति ,विरासत एवं स्वतंत्रता को अक्षुण्ण रखने का संदेश देती है । यहां विभिन्न स्थानों से एकत्रित किए गए कलश दिल्ली के अमृत वाटिका में भारत के गौरव के रुप में संजोया जाएगा। आजादी के अमृत काल में विश्वविद्यालय के द्वारा अमृत वाटिका का भी उद्घाटन हुआ है । ये सभी कार्य अत्यंत ही सराहनीय व गौरव प्रदान करने वाला है।

कार्यक्रम का प्रारंभ रमेश्वर लता महाविद्यालय के छात्र आशीष ने वैदिक मंगलाचरण, रविकांत तिवारी के द्वारा लौकिक मंगलाचरण से किया गया। दीपक प्रज्ज्वालन आगत अतिथियों के द्वारा किया गया।

सभी अतिथियों का स्वागत बाबा साहेब राम संस्कृत महाविद्यालय पचाढ़ी के एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ.त्रिलोक झा द्वारा किया गया। राष्ट्रीय सेवा योजना विश्वविद्यालय कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुधीर कुमार झा द्वारा विषय प्रवर्तन किया गया।

मुख्य अतिथि प्रतिकुलपति प्रो.सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि यह श्रद्धांजलि मात्र वीरों के लिए ही नहीं अपितु उन वीरांगनाओं के लिए भी हैं जो उन वीरों की धर्मपत्नी थी। श्रद्धांजलि उन वीरों के परिवार के लिए भी है जिन्होंने इस देश के लिए अपनी जान भी समर्पित कर दी। प्रो. सिंह द्वारा कहा गया कि यह अमृत क्या है? यह भी हमारा भारतीय संस्कृति ही बताती है।

स्नातकोत्तर प्रभारी प्रो. सुरेश्वर झा ने कहा कि संस्कृत संस्थान भारत के विरासत, परंपरा आदि को संरक्षित करने में अग्रणी रही हैं। अमृत कलश के संदर्भ में कहा कि कुछ दिनों में हम नवरात्र मनाने वाले हैं जहां कलश स्थापना के समय भी कई जगहों की मिट्टी कलश में डाली जाती है, वह प्रतीक होता है एकता व संप्रभुता का। यही प्रतीक इस कलश का भी है,जो भारत की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने का संदेश देती है । इस कार्यक्रम मे नागार्जुन उमेश संस्कृत महाविद्यालय के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ.वीर सनातन पूर्णेन्दु राय, रामेश्वर लता संस्कृत महाविद्यालय के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. मुकेश प्रसाद निराला सम्मिलित थे।

कार्यक्रम में कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ.दीनानाथ साह, साहित्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. मीना कुमारी, अध्यक्ष छात्र कल्याण डॉ. शिवलोचन झा, प्रो. रेणुका सिन्हा, सीसी डीसी डॉ दिनेश झा, ज्योतिष विभाग अध्यक्ष डॉ.कुणाल कुमार झा, डॉ यदुवीर स्वरुप शास्त्री, दर्शन विभागाध्यक्ष डॉ. शंभू शरण तिवारी व्याकरण विभागाध्यक्ष प्रो. दयानाथ झा, डॉ. वरुण कुमार झा डॉ.उमेश झा, डॉ घनश्याम मिश्र, डॉ.विभव कुमार झा, पवन सहनी, कार्यक्रम पदाधिकारी शिक्षाशास्त्र पवन सहनी,सुधीर सिंह और श्याम ठाकुर आदि विश्वविद्यालय के समस्त आचार्य, कर्मचारी छात्र-छात्राएं, स्वयंसेवक उपस्थित थे। सभी ने अपने-अपने घर से मिट्टी व चावल लेकर आए थे और उसे उन्होंने पांच प्राण प्रतिज्ञा लेकर कलश में रखा।

कलश की साज- सज्जा शिक्षाशास्त्र विभाग की छात्रा गुंजन कुमारी के द्वारा किया गया ।इस कार्यक्रम में विभिन्न स्थानों से मिट्टी एवं चावल इकट्ठे किए गए। साथ ही प्रो.सुरेश्वर झा ने सभी को पंच प्रण के साथ संकल्प दिलाते हुए 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने हेतु प्रयत्न करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम का संचालन स्नातकोत्तर विभाग की कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. साधना शर्मा द्वारा किया गया। कलश को कुलपति प्रो शशिनाथ झा एवं विश्वविद्यालय क्रायक्रम समन्वयक आदि ने संयुक्त रुप से नेहरू युवा केन्द्र दरभंगा के जिला समन्वयक के प्रतिनिधि मनीष कुमार सिंह को समर्पित किया।