#MNN@24X7 रामपुर।समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान को भड़काऊ भाषण के मामले में तीन साल की सजा होने के बाद अपनी विधायिकी से हाथ धोना पड़ा है।एमपी-एमएलए कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद आजम अब चारो तरफ घिर गए हैं।राजनीतिक पार्टियों से लेकर फिल्मी दुनिया से आजम को लेकर तरह-तरह का बयान आ रहा है।मशहूर फिल्म अभिनेता रजा मुराद और मशहूर फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा ने आजम की सजा को एक नजीर बताया है।
शनिवार को रामपुर पहुंचे रजा मुराद ने भड़काऊ भाषण मामले में आजम को सजा सुनाए जाने के मुद्दे पर कहा सभी नेताओं को इससे सीख लेनी चाहिए।रजा मुराद ने कहा कि नफरती भाषण देने वाले सभी नेताओं के खिलाफ एक समान तरीके से कार्रवाई होनी चाहिए।
रजा मुराद आजम खान को सजा सुनाए जाने और उनकी विधायकी रद किए जाने पर कहा कि आजम खान दस बार विधायक रहे हैं और उनको जनता का समर्थन तो हासिल होगा ही।रजा मुराद ने कहा कि आजम खान ने क्या भाषण दिया इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।कोर्ट ने आजम खान को सजा सुनाई है और उनकी विधायकी रद की गई है।मुल्क की बड़ी अदालतों के दरवाजे उनके लिए खुले हुए हैं।अगर उन्हें लगता है कि कोर्ट ने उनके साथ नाइंसाफी की है तो वह उसे चुनौती दे सकते हैं।
रजा मुराद ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि देश में कई और नेताओं ने नफरती भाषण दिए हैं उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।कानून का चश्मा सब के लिए बराबर होना चाहिए।इस मुल्क में सभी को इंसाफ मिलता है।रजा मुराद ने इसको लेकर इंदिरा गांधी के हत्यारों से लेकर मुंबई हमले के आरोपी कसाब तक का उदाहरण दिया। रजा मुराद ने कहा कि
आजम खान को तीन साल की सजा मिलने और विधायकी छिनने पर रामपुर की पूर्व सांसद फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा ने कहा है कि उनको अपनी करनी की सजा मिली है।प्रेस को जारी बयान में जयाप्रदा ने कहा है कि राजनीति में एक दूसरे पार्टी के प्रति मतभेद जरूर होते हैं,लेकिन सत्ता का घमंड कभी नहीं होना चाहिए। ऐसा घमंड जिसमें आप महिलाओं का सम्मान करना भूल जाएं, गरीब और मजलूमों के साथ नाइंसाफी करने लगें। कोई कितना भी बड़ा इंसान क्यों न हो, उसका घमंड एक दिन जरूर टूटता है।आज आजम खान का घमंड टूटा है। घमंड की वजह से ही उन्हें आज यह दिन देखना पड़ रहा है।
जयाप्रदा ने कहा कि जब मैं 2019 में रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ रही थी, तब आजम खान ने मेरे बारे में अभद्र टिप्पणियां करते हुए मुझे अपमानित किया।उसकी मुझे बहुत पीड़ा हुई थी।आज भी उस समय को याद करके सिहर उठती हूँ। यदि आजम खान ने उस समय अपने किए पर पछतावा किया होता तो आज यह दिन न देखना पड़ता।
(सौ स्वराज सवेरा)