•पहले भी बेहतर कार्यों के लिए हो चुकी हैं सम्मानित  
•अब तक 70 हज़ार लोगो को दे चुकी कोरोना रोधी टीका
•5000 से अधिक लोगों की कर चुकी हेल्थ स्क्रीनिंग एवं सर्वे
•संक्रमण काल में उसके योगदान को मीडिया के माध्यम से आम जन तक पहुंचाने के लिए सिफार की प्रशंसा

दरभंगा/21.मईसच ही कहा गया है, मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है. कठिन परिश्रम कभी बेकार नहीं जाता. इसको चरितार्थ किया है सदर पीएचसी में कार्यरत एएनएम शबरुन खातून ने. स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न मानकों पर खरा उतरने वाली पूरे बिहार में एएनएम को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए नेशनल फ्लोरेंस नाइटेंगल के सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. आखिरकार कोरोना जैसी विपरीत परिस्थिति में लगातार काम करने शबरुन कभी पीछे नहीं हटी. उसने अपने जीवन को लोगो को समर्पित कर दिया. इसी सब कारणों से राष्ट्रीय स्तर पर शबरुन को राष्ट्रपति शबरुन को पुरस्कृत करेंगे. इस सम्मान के लिए पूरे बिहार में दो एएनएम का चयन किया गया है. इसमे एक अररिया की एएनएम शामिल है.  एएनएम ने अपनी सच्ची लगन व मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है. 

जब तक मैं स्वस्थ हूँ, लोगों की सेवा करती रहूंगी:

अब तक 70 हज़ार से अधिक लोगो को कोरोना रोधी टीका व लगातार ज़िम्मेदारी पूर्वक दिए गए कार्य को सिद्ध करने वाली शबरुन ने कहा ‘‘ जब तक मैं स्वस्थ हूँ, लोगों की सेवा करती रहूंगी’’.  यह सम्मान उन सभी लोगों के लिए है, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से काम करने के लिए प्रेरित किया. इसमें उनके माता-पिता के अलावा विभागीय कर्मियों ने बखूबी साथ निभाया. कोरोना जैसे विपरीत परिस्थिति में भी माता पिता ने लोगों की सेवा से पीछे नहीं हटने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहे. आज उसी का सुखद परिणाम सामने आया है.  बताया कोरोना के पीक समय मे जब लोग घर से नहीं निकलते थे। उस समय वह कई महीनों तक अपने परिजनों से दूर रोजाना कोरोना संदिग्ध लोगों के घर जाकर सर्वे कार्य को पूरा करती रही। इस दौरान वह लोगों के हेल्थ स्क्रीनिंग भी करती हैं। उस समय हज़ारों लोगों के स्क्रीनिंग कार्य को अंजाम दे चुकी है।इसके अलावा जिला प्रशासन के आदेश पर एएनएम गर्भवती महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्ग से स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी लेती रही . संबंधित कार्य का संपादन कर रिपोर्ट बनाकर अधिकारी को सौंपती रही. अपने कार्य क्षमता के अधिकारियों एवं कर्मियों का विश्वास पात्र बन गई. इस अभियान में सभी लोगों का साथ मिलने से कर्तव्य पथ पर निरंतर आगे बढ़ती रही. 

पदाधिकारी व कर्मी करते है प्रशंसा:

सदर प्रखंड में कार्यरत एएनएम शबरून खातून का घर समस्तीपुर जिला के रोसरा थाना अंतर्गत डगवर टोली है। इसकी प्रशंसा चिकित्सा पदाधिकारी, हेल्थ मैनेजर व कर्मी करते हैं। सदर पीएससी के बीएचएम रेवती रमन प्रसाद ने बताया की शबरुन की दिए गए विभागीय कार्य को कभी अधूरा नहीं छोड़ती है। कोरोना जैसी विपरीत परिस्थिति में भी काम को पूरा किया। कभी अनुपस्थित नहीं रही। उसके कार्यप्रणाली से  सभी संतुष्ट हैं. इसलिए इस पुरस्कार के लिए उसके नाम का चयन कर जिला स्वास्थ्य समिति को भेजा गया। वहां से विभागीय मानक पर खरा उतरने के बाद ज़िला से राज्य स्वास्थ्य विभाग में उसका नाम भेजा गया। वहां से चयनित होने पर उसका अंतिम रूप से चयन हो सका है। यह उसके मेहनत का नतीजा है। बताया पूर्व भी गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य सबंधित विवरणी वंडर ऐप पर करने को लेकर डीएम डॉक्टर त्यागराजन से पुरस्कृत भी हो चुकी है। इसके अलावा शबरून को अन्य कार्य के लिए भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वर्तमान में शबरुन वेक्सिनेशन कार्य मे लगी हुई है.

संक्रमण काल मे परेशानी के बावजूद डटी रही:
कोरोना योद्धा शबरून खातून पहले व दूसरे लहर के दौरान  रोजाना अपने इलाके में करीब 200 से 250 लोगों का सर्वे कार्य करती थी. संदिग्ध लोगों की पहचान होने पर उनका हेल्थ स्क्रीनिंग भी करती हैं। संदिग्ध लोगों के थर्मल स्क्रीनिंग के अलावा अन्य कार्य को बखूबी अंजाम देती रह घर-घर जाकर पूछताछ करती है। खासकर कोरोना के लक्षण को लेकर परिवार के सदस्यों से जानकारी लेती है। जिला प्रशासन के निर्देशानुसार बाहर से हुए आए सदस्यों के बारे में ज़रूर पूछती है। पूछताछ के बाद वह परिवार के सदस्यों का नाम सहित स्वास्थ्य सबंधित जानकारी अंकित करती है। सबरुन बताती है कि संक्रमण केे मद्देनज कार्य करने में बहुत परेशानी होती थी. अधिकांश लोग काम में सहयोग नहीं करते थे, बावजूद लोगों को समझा-बुझाकर कोरोना जांच कार्य करती थी. परेशानियों का डटकर मुकाबला करते रहे हुए निरंतर विभागीय स्वास्थ्य कार्यक्रम व कोरोना जांच कार्यक्रम में सहभागिता देती रही। संक्रमण के मद्देनजर सावधानी बरतने की अपील भी करती थी. बताया कि संक्रमण के मद्देनजर जागरूकता के मीडिया की अहम भूमिका है. इसमें सीएफएआर  का भी योगदान शामिल है, जिसके सहयोग से उसकी कुशल कार्य क्षमता मीडिया के माध्ययम से लोगों तक पहुंच सकी. बताया कि पहलेे भी  संक्रमण काल में किए गए कार्यों को मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने के लिए सिफार ने प्रशंसनीय कार्य किया है।

विपरीत परिस्थिति में पिता करते रहे हौसला अफज़ाई:

सदर पीएचसी में कार्यरत कोरोना योद्धा रुपी शबरून समय समय पर समस्तीपुर जिले में रहने वाले अपने मां पिताजी से बात करती है। जिला के पहले  कोरोना संक्रमित मिलने पर अधिकारियों ने शबरून को उस इलाके में  सर्वे व हेल्थ स्क्रीनिंग के लिए भेजा था। शुरुआत में थोड़ा डर सा लगा, लेकिन जब पिता से बात हुई तो दूने उत्साह से शबरून अपने कार्य में लग गयी। शबरून खातून बताती हैं फोन पर बातचीत के दौरान उनके पिता ने उन्हें प्रोत्साहित करते रहे। बताया कि किसी भी अस्पताल में डॉक्टर मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवा लिखते हैं, लेकिन मरीजों की सच्ची सेवा एएनएम व नर्स ही करती है। इसीलिए मानवीय सेवा से बढ़कर दूसरा कोई कर्म नहीं है। इससे बढ़कर दूसरा धर्म नहीं है. उनके पिता उन्हें बेफिक्र होकर ईश्वर को याद कर अपने कर्म पथ पर आगे बढ़ते रहने की सीख देते हैं. यह सुनकर शबरून को साहस मिलता है वह नियत समय से अपने अस्पताल की ओर चल पड़ती हैं.