-सही पोषण और नियमित खान-पान की दी गई जानकारी।
-महिलाओं को स्तनपान कराने के फायदों की भी दी गई जानकारी।

समस्तीपुर, 19 अक्टूबर। जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें छह माह पूर्ण कर चुके सभी बच्चों को खीर खिलाकर उनके ऊपरी आहार की शुरुआत की गई। इस दौरान केंद्रों पर उपस्थित सभी परिजनों को बेहतर पोषण की जानकारी दी गई।

केयर इंडिया के डीटीओ ऑन अभीकल्प मिश्रा ने बताया कि महिलाओं और बच्चों को सही पोषण की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा समेकित बाल विकास परियोजना के माध्यम से राष्ट्रीय पोषण अभियान चलाया जाता है। पोषण अभियान के अंतर्गत सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर हर माह छह माह पूर्ण कर चुके बच्चों को खीर खिलाते हुए उनके ऊपरी आहार की शुरुआत की जाती है। इस दौरान शिशु के सभी परिजनों को भी पोषण के प्रति जागरूक किया जाता है।

सही पोषण और नियमित खान-पान की दी गई जानकारी-
अन्नप्राशन दिवस पर आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा 6 माह से 2 वर्ष तक के बच्चों की माताओं को बुलाकर बच्चों के लिए 6 माह के बाद ऊपरी आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी। मिश्रा ने बताया कि 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाया जाना चाहिए। शिशुओं को अतिरिक्त आहार के मिलने से उनके शरीर में तंदुरुस्ती आने के साथ ही उनके मष्तिष्क विकास में भी वृद्धि होती है। सही समय पर सही पोषण से ही देश में कुपोषण की समस्या को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को विशेष रूप से शामिल करने की बात बताई।

महिलाओं को स्तनपान कराने के फायदों की दी गई जानकारी-

अन्नप्राशन दिवस पर केंद्र में उपस्थित सभी महिलाओं को स्तनपान के फायदों की जानकारी दी गई। ताजपुर प्रखंड के 161 आंगनवाड़ी केंद्र में अन्नप्राशन के लिए उपलब्ध लोगों को जानकारी देते हुए महिला पर्यवेक्षिका पूजा कुमारी ने बताया कि सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भ के समय की खान-पान और परहेज पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को बच्चे के जन्म के पूर्व की तैयारी, बच्चे को जन्म के 1 घंटे के भीतर माँ का गाढा पीला दूध पिलाना आदि महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पहले छह माह तक बच्चों को सिर्फ माँ का दूध ही दिया जाना चाहिए। यह बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास को मजबूत बनाने में सहायक होता है।