-उम्र के अनुसार दें पोषक तत्व, बचाएं एनीमिया और अन्य रोगों से
-जिले में 1 से 30 सितम्बर तक मनाया जा रहा पोषण माह
समस्तीपुर, 7 सितम्बर। जिले के हर आयुवर्ग में पोषण की आवश्यकता और इससे सम्बंधित जागरूकता बढ़ाने के लिए 1 से 30 सितम्बर तक जिले में राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन किया गया है। पोषण की आवश्यकता हर उम्र में है। किशोरावस्था में सुपोषण की बात करें तो यह न सिर्फ किशोरों के सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी है बल्कि किशोरियों में स्वस्थ मातृत्व की चाभी भी सुपोषण ही है। क्योंकि किशोरावस्था में बेहतर पोषण से किशोरी में खून की कमी नहीं होती है। जिससे भविष्य में माँ बनने के बाद प्रसव के दौरान संभावित जटिलताओं में काफी कमी आ जाती है।
उम्र के हिसाब से पोषक तत्वों की होती है जरूरत–
एनसीडीओ डॉ विजय कुमार ने बताया कि किशोर एवं किशोरियों को उम्र के हिसाब से पोषक तत्वों की जरूरत होती है। 11 से 14 वर्ष तक आयु-वर्ग की किशोरियों में 2200 किलो-कैलोरी एवं इसी आयु-वर्ग के किशोरों में 2500 किलो-कैलोरी ऊर्जा की जरूरत होती है। जबकि 15 से 18 वर्ष तक की किशोरियों के लिए 2200 किलो-कैलोरी ऊर्जा एवं इसी आयु-वर्ग के किशोरों के लिए 3000 किलो-कैलोरी ऊर्जा की जरूरत होती है। इस दौरान विटामिन ए, विटामिन बी-12, फोलिक एसिड, विटामिन बी-3, विटामिन सी एवं आयोडीन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की अधिक जरूरत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत शारीरिक विकास किशोरावस्था में होता है। इसलिए किशोरावस्था में शेष सभी आयु वर्ग की तुलना में पोषक तत्वों की जरूरत सबसे अधिक होती है।
एनीमिया मुक्ति के लिए जरूरी आयरन, कैल्सियम और जिंक युक्त आहार —
किशोरावस्था के दौरान मासिक धर्म की शुरुआत होती है। ऐसे में लड़कियों के आहार में आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करना बहुत ज़रूरी होता है। इसलिए उनके आहार में संतरे, नींबू और आंवला जैसे विटामिन सी वाले खाद्य पदार्थों के साथ-साथ आयरन से भरपूर चीजें जैसे पालक, चुकन्दर, अनार, अंडा और हरी पत्तेदार सब्जियां, गुड़ और मांस की मात्रा बढ़ा दें। इसी तरह कैल्सियम भी बढ़ते बच्चों के लिए बहुत जरूरी होता है, ताकि हड्डियां मजबूत बनी रहें। इसलिए भोजन में दूध, चीज और पनीर अवश्य खिलाएं। जिंक हमारे शरीर में आवश्यक प्रोटीन का निर्माण करने में मदद करता है, इस लिहाज से यह विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
जिंक की पूर्ति के लिए उसके आहार में साबुत अनाज, मशरूम, अलसी, फलियां और तिल अवश्य शामिल करें। . पीरियड्स के दौरान शरीर से आयरन का नुकसान होता है। इसकी भरपाई के लिए लड़कियों को अतिरिक्त आयरन की ज़रूरत होती है। किशोरावस्था में एनीमिया, कार्य क्षमता को कम कर सकता और इम्यूनिटी से जुड़े कार्यों को भी प्रभावित कर सकता है। एनीमिया के कारण लड़कियों में संज्ञानात्मक (कोग्निटिव) विकास नहीं होगा, स्कूल में खराब प्रदर्शन होगा, याद्दाश्त कमजोर होगी, वृद्धि एवं विकास में रुकावट होगी, और भविष्य में गर्भावस्था के दौरान भी कमजोरी और अन्य गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।