– विभूतिपुर के शिवदानी कॉपर पीकेडीएल को मात देकर हो गए हैं स्वस्थ
-अब दूसरे को भी इलाज कराने के लिए सरकारी अस्पताल जाने की दे रहे सलाह

समस्तीपुर, 28 सितंबर। शिवदानी कॉपर समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर प्रखंड के विभूतिपुर ग्राम के रहने वाले हैं । उन्हें वर्ष 1997 में कालाजार हो गया था ,परंतु सही उपचार की बदौलत वह स्वस्थ्य हो गए थे.परंतु कहा गया है ना कि विपदा किसी भी परिस्थिति में किसी का पीछा नहीं छोड़ती। वर्ष 2018 से उनके चेहरे पर गांठ जैसा बनने लगा, जिसके कारण उनका चेहरा दिन प्रतिदिन कुरूप होता जा रहा था। . जिसके कारण उन्हें मानसिक एवं शारीरिक समस्या हो रही थी। , इस दौरान जांच कराने पर उन्हें पता चला कि वह पीकेडिएल की चपेट में आ गए हैं।

उन्होंने निजी अस्पताल का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से राहत नहीं मिली। उसी बीच उनकी केयर इंडिया के प्रखंड कालाजार कोऑर्डिनेटर से मुलाकात हुई। उन्होंने शिवदानी को स्वास्थ्य केंद्र विभूतिपुर जाने की सलाह दी। जहां उनकी काउंसिलिंग कर समस्तीपुर सदर अस्पताल उचित जांच एवं उपचार हेतु भेज दिया गया, परंतु पीकेडीएल जांच की व्यवस्था सदर अस्पताल में नहीं होने के कारण उन्हें उचित जांच एवं उपचार हेतु आरएमआरआई पटना भेज दिया गया। वहां यह उन्हें पोस्ट काला-जार त्वचीय लीशमैनियासिस की पुष्टि हुई। जिसके पश्चात उपचार प्रारंभ हुआ,और उन्होंने दवा का पूरा कोर्स किया। जिसके पश्चात वे पूर्ण रूप से स्वस्थ हुए।

कालाजार मरीज को मिलती है क्षतिपूर्ति राशि :

कालाजार मरीज को सरकार के द्वारा क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है। जिसके तहत शिवदानी को सरकार के द्वारा श्रम क्षतिपूर्ति राशि के रूप में 4000 रु.भी प्राप्त हुए हैं। उन्हें इलाज की पूरी प्रक्रिया में कोई पैसा नहीं लगा तथा समय-समय पर मार्गदर्शन मिलता रहा। जिसकी बदौलत आज वह पूर्णरूपेण स्वस्थ्य होकर एक अच्छा जीवन जी रहे हैं। अब उन्हें कोई परेशानी नहीं हो रही है।

सरकार व स्वास्थ्य विभाग का किया शुक्रगुजार:

शिवदानी कॉपर कहते हैं कि अगर कोई बीमारी हो जाती है तो मन में डर बैठ जाता । इस वजह से पहले निजी अस्पताल गया। सोचा था कि वहां बेहतर इलाज हो सकेगा। किसी तरह पैसे का बंदोबस्त कर इलाज कराने के लिए गया था, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। आखिरकार सरकारी अस्पताल गया। वहां से जांच एवं उपचार करवाई । इलाज के दौरान जांच से लेकर दवा तक के पैसे नहीं लगे और सरकार की योजना का लाभ भी मिला। सरकार का मैं शुक्रगुजार हूं कि हम जैसे गरीब लोगों के लिए इतनी सुविधाएं दे रही है।

अब लोगों को भी कर रहे जागरूकः शिवदानी जी कहते हैं कि मैं एक जिम्मेदार व्यक्ति हूं, इसलिए समाज के प्रति मेरी जिम्मेदारी भी। इसलिए मैं हर किसी को बीमार पड़ने पर सरकारी अस्पताल ही जाने की सलाह देता हूं। मुझे तो पोस्ट काला-अजार त्वचीय लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) की बीमारी थी, लेकिन अन्य बीमारियों का भी इलाज बेहतर तरीके से सरकारी अस्पतालों में होते मैंने देखा। साथ ही वहां के लोग भी काफी ध्यान रखते हैं। इससे मरीज को और भी अच्छा लगता है। इन्हीं कारणों से मैं लोगों को सरकारी अस्पताल जाने की सलाह दे रहा हूं।

पीकेडीएल के लक्षण दिखे तो जाएँ सरकारी अस्पताल:

भीबीडीसीओ डॉ विजय कुमार ने बताया कि काला-जार त्वचीय लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) आंत के लीशमैनियासिस (वीएल) की जटिलता है। दाने आमतौर पर मुंह के आसपास शुरू होते हैं। जहां से यह गंभीरता के आधार पर शरीर के अन्य भागों में फैलता है। डॉ विजय ने बताया कि इधर-उधर जाने के बजाय सीधा सरकारी अस्पतालों का रुख करना चाहिए। यहां पर दवा से लेकर हर तरह की व्यवस्था मरीजों के लिए मुफ्त में मिलती है। अच्छी बात यह है कि हाल के दिनों में कई ऐसे लोग देखे गए जो कि पहले निजी अस्पताल गए। वहां से ठीक नहीं हुए तो सरकारी अस्पताल आए। सरकारी अस्पतालों के इलाज से ठीक हुए। वैसे लोग भी समाज में जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं। यह काफी सकारात्मक पहल है।