-एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम –एनीमिया होने का एक बड़ा कारण कृमि है-होदा।
-परिवार के सदस्यों दवारा गर्भवती महिलाओं के बेहतर खानपान का प्रबंधन जरूरी।
-एनीमिया के कारणों में मिथ्या व गलत धारणाएं भी हैं शामिल।
-जिला में 15 से 49 वर्ष की 69.7% गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त।

#MNN@24X7 समस्तीपुर, 15 नवंबर। जिला को एनीमिया मुक्त बनाने की चुनौतियां बरकरार हैं। स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस तथा अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा एनीमिया दूर करने के लिए पोषण के प्रति व्यवहार परिवर्तन पर बल दिया गया है। वहीं पोषण अभियान जैसे कार्यक्रम की मदद से पोषण पर पारिवारिक तथा सामाजिक जागरूकता लायी जा रही है। इसके लिए एक दिवसीय जिला स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन बनारस स्टेट कैंपस स्थित सभागार में किया गया।

जिसमें प्रथम दिन समस्तीपुर, कल्याणपुर और विभूतिपुर प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी ,बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षिका ,प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, साधन सेवी आदि ने भाग लिया। .नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के मुताबिक जिला में15 से 49 वर्ष की 69.7% गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं। वहीं 15 से 49 वर्ष की 60.5% सभी सामान्य महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं । 6 माह से 59 माह के 67.2% बच्चे एनीमिया से ग्रसित हैं ।

एनीमिया बढ़ाने में मिथ्य की भी है भूमिकाः

रीजनल प्रोग्राम मैनेजर नजमुल होदा ने बताया एनीमिया को बढ़ाने में कई मिथ्य की भी भूमिका है। ऐसी मिथ्याओं से बचना चाहिए। उन्होंने बताया एनीमिया होने का एक बड़ा कारण कृमि है। लोगों में यह मिथ्य है कि नंगे पैर चलने से आंखों की रोशनी बढ़ती है लेकिन यह सिर्फ मिथ्य है। नंगे पैर चलने के दौरान हुक वर्म और राउंड वर्म जैसे कृमि शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।

यह कृमि रक्त कोशिकाओं को अपना भोजन बनाते हैं। बताया कि विशेषकर गांवों में महिलाएं गौशाला सहित चापाकल, शौचालय व अन्य गंदी जगहों पर नंगे पाँव जाती हैं। इससे कृमि पैर के संपर्क में आते और शरीर में प्रवेश कर जाते और यह एनीमिया का कारण बनता है। खानपान संबंधी मिथ्याओं पर चर्चा कर बताया कि अमूमन धारणा यह है कि काजू, किशमिश व दूसरी प्रकार के मेवों में ही सबसे अधिक आयरन होते हैं,जबकि सबसे अधिक आयरन गुड़, चुकंदर, पालक साग और खजूर में होता है। यह कम कीमत पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है।

प्रसव संबंधी जोखिम को बढ़ाता है एनीमियाः

केयर इंडिया के डीटीओ ऑन अभिकल्प मिश्रा ने बताया परिवार के सदस्यों दवारा गर्भवती महिलाओं के बेहतर खानपान का प्रबंधन जरूरी है। पोषण माह के मद्देनजर अच्छे पोषण की अहमियत की जानकारी दी जा रही है। एनीमिया के कारण किशोरियों तथा महिलाओं का स्वास्थ्य बहुत अधिक प्रभावित होता है। किशोरियों में एनीमिया होना उनके मां बनने की पूरी प्रक्रिया को जोखिम में डाल देता है।

एनीमिया के कारण प्रसव के समय अधिक खून बहना तथा इससे होने वाली मौत मातृ मृत्यु दर का एक बड़ा कारण है। हम अपने आसपास वाली ऐसे खाद्य पदार्थ का चयन करें जिसमें आयरन की अधिक मात्रा होती है। ऐसे खाद्य पदार्थ के बारे में जानकारी लें और इसका इस्तेमाल करें।अंकुरित अनाज में भरपूर आयरन होता है।अंकुरित चना तथा मूंग, राजमा, मटर, बींस, मसूर दाल का सेवन काफी लाभदायक है। आयरन अच्छी तरह से शरीर में अवशोषित हो सके इसके लिए नींबू का सेवन जरूर करें।ध्यान रखें कि चाय या कॉफी से शरीर के आयरन में कमी होती है।

एनीमिया में प्रतिवर्ष 03% की कमी लाने का लक्ष्य-

एनीमिया में प्रतिवर्ष 03% की कमी लाने का भी लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सरकार द्वारा 6X6X6 की रणनीति के तहत 6 आयुवर्ग, 6 प्रयास एवं 6 संस्थागत व्यवस्था की गयी है। यह रणनीति आपूर्ति श्रृंखला, मांग पैदा करने और मजबूत निगरानी पर केंद्रित करते हुए रखा गया है। उन्होंने कहा कि खून में आयरन की कमी होने से शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। इसके लिए सभी को आयरन एवं विटामिन ‘सी’ युक्त आहार का सेवन करना चाहिए। जिसमें आंवला, अमरुद एवं संतरे प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में मिलने वाले स्रोत हैं। विटामिन ‘सी’ ही शरीर में आयरन का अवशोषण करता है। इस लिहाज से इसकी मात्रा को शरीर में संतुलित करने की जरूरत है।

मौके पर डीसीएम अनिता कुमारी जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ विशाल कुमार, डीपीएम सुरेंद्र दास, जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी आलोक कुमार आदि उपस्थित थे.।