-लोक कल्याण से जुड़ी ऊर्जा अपने आप में होती है असीम।
-कुलपति ने किया तीन दिवसीय विद्यापति पर्व समारोह के विराट मैथिली कवि सम्मेलन का शुभारंभ।
#MNN@24X7 दरभंगा। कवि कोकिल विद्यापति सही मायने में विद्या की प्रतिमूर्ति थे। विद्यापति के गीत अपने आप में असाधारण है। उनके लिखे गए गीत आज भी प्रासंगिक है। विद्यापति की शक्ति ही इस यात्रा को निरंतर जारी रखी हुई है और इस यात्रा को गहराई दे रही है।
उक्त बाते तीन दिवसीय विद्यापति पर्व समारोह के दूसरे दिन सोमवार को विराट मैथिली कवि सम्मेलन की शुरुआत करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कही। कुलपति ने कहा कि लोक कल्याण से जुड़ी ऊर्जा अपने आप में असीम होती है। बिना अनुदान से लगातार 50 वर्षों से विद्यापति पर्व समारोह का आयोजन करने के लिए इस संस्थान के सदस्य बधाई के पात्र हैं।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने की। विराट कवि सम्मेलन में अतिथि के रूप में शिक्षाविद डॉ. संत कुमार चौधरी और पुर्णियाँ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. घनश्याम राय भी मौजूद थे। काव्यार्पण और बाल पुस्तिका का विमोचन अतिथियों ने किया।
विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’ ने सभी अतिथियों और कवियों का स्वागत और आभार व्यक्त किया। मंच संचालन पंडित कमलाकांत झा ने किया।