#MNN@24X7 दरभंगा, साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था हिन्दी समाहार मंच दरभंगा के तत्वावधान में “राष्ट्रपिता महात्मा गांधी–सह भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री” जयन्ती समारोह का आयोजन आशुतोष स्मृति निकेतन, शुभंकरपुर में अखिलेश कुमार चौधरी की अध्यक्षता में की गई।

सर्वप्रथम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लालबहादुर शास्त्री के चित्र पर मंच के अध्यक्ष अखिलेश कुमार चौधरी सहित उपस्थित साहित्यकारो एवं समाजसेवियो ने दोनो महामानव के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुस्पांजली किया।

इस अवसर पर डॉ सतीश चंद्र भगत ने कहा कि- गांधी जी सत्य अहिंसा के पूजारी थे और शास्त्री उनके परम अनुयाई। महाकांत प्रसाद ने कहा कि- गांधी और शास्त्री जी का जीवन प्रेरणादायी है। वहीं रमण कुमार झा ने कहा कि आज जिस दिशा की ओर जा रहा है उससे बचने के लिए दोनो महापुरुष के जीवन और चरित से शिक्षा लेनी चाहिए। आशीष अकिंचन ने – तुम थे सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाई कविता के माध्यम से श्रद्धांजली समर्पित किया। दोनो महामानव को नमन करते हुए शेखर कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आज ही के दिन दो फुल खिला है जिससे गमका हिन्दुस्तान के माध्यम से श्रद्धा सुमन समर्पित किया।

डॉ विश्वनाथ ठाकुर ने कहा कि दोनो समय के पाबंद थे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मंच के सचिव अमिताभ कुमार सिन्हा ने कहा कि- दोनो महापुरुष राष्ट्र के सच्चे सपूत थे। दोनो देशभक्त ने देश को आत्मनिर्भर और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जिसके कारण आज भारत सिरमौर बना हुआ है।

अध्यक्षीय उद्बोधन के क्रम में अखिलेश कुमार चौधरी ने कहा कि- रवीन्द्र नाथ टैगोर ने मोहन दास करमचंद गांधी को महात्मा कहकर सबसे पहले संबोधित किया और संपूर्ण देश उन्हें महात्मा कहने लगे। गांधी सत्य और अहिंसा के पर्याय है। विश्व भारत को गांधी के भारत के नाम से संबोधित करते है। कार्यक्रम में साहेब कुमार ठाकुर, अजीत कुमार आदि ने भी बिचार व्यक्त किया। स्वागत संगठन सचिव आशीष अकिंचन तथा संयुक्त सचिव महाकांत प्रसाद के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।