*विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस के अवसर पर “पुस्तक की महत्ता एवं कॉपीराइट नियमावली” पर ऑनलाइन ऑफलाइन संगोष्ठी संपन्न*

*सेमिनार में डा फुलो पासवान, डा शंभू शरण, डा विकास सिंह, डा राजकुमारी, डा चौरसिया, डा सुनीता, डा कीर्ति व डा मसरूर ने रखे महत्वपूर्ण विचार*

*पुस्तक ज्ञान व अनुभव का खजाना तथा इंसानियत व कामयाबी का सर्वोत्तम सेतु- डा फुलो पासवान*

*पुस्तकें हमारे जीवन को आनंदमय बनाने तथा नई पीढ़ी को परंपरा हस्तगत कराने में सक्षम- डा शंभू शरण*

*कॉपीराइट का दायरा काफी विस्तृत, उल्लंघन करने पर जेल व जुर्माना दोनों का प्रावधान- डा विकास सिंह*
सीएम कॉलेज, दरभंगा के इग्नू अध्ययन केन्द्र तथा पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के संयुक्त तत्वावधान में ‘विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस’ के अवसर पर “पुस्तक की महत्ता एवं कॉपीराइट नियमावली” विषयक ऑनलाइन व ऑफलाइन सेमिनार का आयोजन सीएम कॉलेज में किया गया, जिसमें उद्घाटक के रूप में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डा फुलो पासवान, अध्यक्ष इग्नू क्षेत्रीय केन्द्र, दरभंगा के वरीय क्षेत्रीय निदेशक डा शंभू शरण सिंह, मुख्य वक्ता मारवाड़ी महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा विकास सिंह, सम्मानित वक्ता जाकिर हुसैन दिल्ली महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय की हिन्दी- प्राध्यापिका डा राजकुमारी, विशिष्ट वक्ता के रूप में त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय के संस्कृत- प्राध्यापक पार्थ सारथी सील, आमंत्रित वक्ता मारवाड़ी महाविद्यालय के समाजशास्त्र विभागाध्यक्षा डा सुनीता कुमारी, विषय प्रवेशक के रूप में इग्नू समन्वयक डा आर एन चौरसिया, स्वागत कर्ता मिल्लत कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग की प्राध्यापिका डा कीर्ति चौरसिया तथा संचालिका के रूप में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के कोऑर्डिनेटर डा मसरूर सोगरा ने विचार व्यक्त किए, जबकि कार्यक्रम में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से डा गोपाल कुमार, डा रंजना झा, डा सविता कुमारी, डा भक्तिनाथ झा, डा सरिता कुमारी,डा अर्चना कुमारी, डा इंदुभूषण सुमन, डा प्रेम कुमारी, डा एम के पाठक, डा शिखर वासनी, डा विद्यानाथ झा, बालकृष्ण कुमार सिंह, जूही झा, अजय, अतुल, अनीता, तरुण, रोशन, संजीव, रवीन्द्र, प्रगति, श्यामानंद, मुकेश, विनीता, फहीन खान, संजीव, बंगाल से शोधार्थी राजकुमार चक्रवर्ती, नीतीश, पूजा, मिथुन, मुकेश, मनीषा, कृष्णा, सूर्यकांत, अमरजीत, सुरेन्द्र, अशोक, गुंजन, सन्नी, पिंकू व सत्यम सहित 70 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।
अपने संबोधन में प्रधानाचार्य डा फुलो पासवान ने पुस्तक की महत्ता की चर्चा करते हुए कहा कि यह हमारे चिंतकों व मनीषियों की समाज कल्याण एवं मानवता के कल्याणार्थ सबसे उपयोगी धरोहर है जो ज्ञान व अनुभव का खजाना तथा इंसानियत व कामयाबी का सर्वोत्तम सेतु है। पुस्तकें हमें न केवल सैद्धांतिक ज्ञान देते, बल्कि अनुभव भी सिखाते हैं। हर सफल व्यक्ति के पीछे कोई न कोई अच्छी पुस्तक का हाथ होता है। उन्होंने विषय को अत्यंत व्यापक व उपयोगी बताते हुए आयोजकों को धन्यवाद दिया तथा नई पीढ़ी से अधिक से अधिक पुस्तकों के अध्ययन का आह्वान किया।
अध्यक्षीय संबोधन में डा शंभू शरण सिंह ने कहा कि पुस्तकें हमारे जीवन को आनंदमय बनाती है तथा हमारी परंपराओं को नई पीढ़ी तक पूरी तरह हस्तगत भी कराती हैं। पुस्तकों का महत्व इतना व्यापक है कि उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। पुस्तक के रचयिता एवं पाठक दोनों को इसका लाभ प्राप्त होता है। पुस्तकें लिपि में व्यक्त लेखकों के ज्ञान एवं अनुभव का स्थाई कोष होता है। उन्होंने अच्छे मित्रों की तरह सही पुस्तकों का चयन कर अधिक से अधिक लाभ उठाने पर बल दिया।
मुख्य वक्ता डा विकास सिंह ने कहा कि पुस्तकें ज्ञान- परंपरा की वाहक होती हैं जो ताल पत्र और शिलालेख से होते हुए आज कागजी पुस्तक के रूप में हमें प्राप्त होती हैं। उन्होंने कॉपीराइट के स्वरूप एवं नियमावली की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इसका दायरा काफी विस्तृत है, जिसके उल्लंघन पर जेल और आर्थिक दंड दोनों का प्रावधान है। हम बिना लिखित अनुमति के किसी भी मूल लेखकों की बातें बिना संदर्भ के हुबहू इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। भारत में मूल लेखक की मृत्यु के 60 वर्ष तक कॉपीराइट अधिकार उनके परिवार को बना रहता है। भारत में 1957 में पहला कॉपीराइट एक्ट बना, जिसमें लेख, ध्वनि, पेंटिंग, मूर्ति व सॉफ्टवेयर आदि शामिल हैं।
डा सुनीता कुमारी ने कहा कि पुस्तकें हमारे जीवन को सुखी और संपन्न बनाती हैं। यह हमारे व्यक्तित्व में भी निखार लाता है। एक किताब भी हमारे जीवन को बदलने में सक्षम है। पुस्तकें नवजागरण की दूत रही हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय की राजकुमारी ने कहा कि पुस्तकें हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती हैं और हमें अकेलापन महसूस नहीं होने देती हैं। अच्छी पुस्तकों के अध्ययन से हमारी मानसिक व बौद्धिक शक्तियों का विकास होता है। पुस्तकें हमारी बुरी आदतों को दूर करने में मदद करती हैं तथा मुश्किलों का सामना करने का हौसला भी देती हैं।
त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय से पार्थ सारथी सील ने कहा कि पुस्तकों का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व है जो हमें चरित्रवान एवं स्मार्ट बनाती हैं। किताबें हमारे जीवन में सकारात्मक असर डालती हैं।
विषय प्रवेश कराते हुए इग्नू समन्वयक एवं संयोजक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि पुस्तकें हमारे सच्चे दोस्त एवं वास्तविक मार्गदर्शक होते हैं जो ज्ञान के साथ ही मनोरंजन का भी सशक्त माध्यम है। पुस्तकों के संकलन को देखकर हम किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का अंदाजा लगा सकते हैं। उन्होंने बताया कि किताबों के महत्व को बताने के उद्देश्य से यूनेस्को ने 1995 से हर वर्ष 23 अप्रैल को दुनिया भर में विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की, क्योंकि 23 अप्रैल शेक्सपियर की पुण्यतिथि के साथ ही अनेक लेखकों की जयंती व पुण्यतिथि भी है।
मिल्लत कॉलेज की डा कीर्ति चौरसिया ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान की कोऑर्डिनेटर डा मसरूर सोगरा ने किया।