*रक्तदान समाजसेवा का सर्वोत्तम माध्यम, जिससे मिलती है परम आत्मसंतुष्टि- डा चौरसिया*
स्थानीय सी एम कॉलेज, दरभंगा के संस्कृत विभागाध्यक्ष एवं इग्नू- कोऑर्डिनेटर डा आर एन चौरसिया ने दरभंगा के पारस हॉस्पिटल में इलाजरत किडनी पेशेंट बी एल श्रीवास्तव के लिए डीएमसीएच, दरभंगा जाकर स्वेच्छा से रक्तदान किया। ज्ञातव्य है कि पेशेंट समस्तीपुर जूट मिल से अवकाश प्राप्त तथा कौशलेंद्र श्रीवास्तव के पिता हैं जो पिछले कई दिनों से दरभंगा के आर बी मेमोरियल तथा पारस हॉस्पिटल के आईसीयू में इलाजरत हैं। उन्हें बहुत दिनों से डायबिटीज, यूरिन, लंग्स तथा किडनी आदि से संबंधित अनेक गंभीर समस्याएं हैं।
डा आर एन चौरसिया ने कहा कि रक्तदान पीड़ित मानवता की सेवा का एक सशक्त माध्यम है। मैं छात्र जीवन से ही निरंतर रक्तदान करता रहा हूं। प्रत्येक 18 से 65 वर्ष का स्वस्थ व्यक्ति हर 3 से 4 महीने में रक्तदान कर सकता है। इससे किसी प्रकार की शारीरिक कमजोरी नहीं होती है। रक्तदान समाजसेवा का सर्वोत्तम माध्यम है, जिससे रक्तदाता को परम आत्संतुष्टि मिलती है। रक्तदान जीवनदान के समान होता है। एक यूनिट रक्तदान से तीन से चार व्यक्तियों की जान बचाई जा सकती है। चूंकि रक्त को प्रयोगशाला में नहीं बनाया जा सकता है, इसलिए रक्तदान ही जरूरतमंद रोगी को बचाने का एकमात्र उपाय है।
कौशलेंद्र श्रीवास्तव ने रक्तदान के महत्व को स्वीकारते हुए कहा कि रक्त का महत्व हमें तब महसूस होता है, जब हमें खुद या अपने निकट संबंधियों को इसकी जरूरत होती है। रक्तदान बड़ा पुण्य का कार्य है, इसीलिए तो इसे जीवनदान या महादान भी कहा जाता है। राजकुमार गणेशन ने स्वैच्छिक रक्तदान के महत्व को बताते हुए शीघ्र ही पेशेंट के पूरी तरह ठीक होने की कामना की।
इस अवसर पर डा प्रभातदास फाउंडेशन, दरभंगा के सक्रिय कार्यकर्ता राजकुमार गणेशण तथा अनिल कुमार सिंह आदि उपस्थित थे। वहीं सीएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डा फुलो पासवान, इग्नू के सहायक समन्वयक डा शिशिर कुमार झा, राष्ट्रीय मानव संस्थान के चीफ फाउंडर डा रामबाबू चौपाल, मिल्लत कॉलेज की डा कीर्ति चौरसिया, अंबेडकर युवा शोध केन्द्र, दरभंगा के अध्यक्ष विजय पासवान, प्रधान सहायक विपिन कुमार सिंह, लेखापाल सृष्टि चौधरी, स्टेनो बिंदेश्वर यादव, प्रतुल कुमार तथा आस्थानंद यादव आदि ने इस नेक कार्य के लिए दाता को बधाई बधाई एवं शुभकामनाएं दी।